Dharavi Redevelopment Project: ड्रोन, लाइडर जैसे अत्‍याधुनिक तकनीकों से हो रहा सर्वे, धारावी का बनेगा डिजिटल ट्विन

देश में किसी भी झुग्गी पुनर्वास परियोजना में ये पहली बार है, जब सर्वे और डॉक्‍युमेंटेशन के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्‍तेमाल किया जा रहा है.

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एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती की तस्‍वीर और तकदीर बदलने वाली पहल 'धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट (DRP)' में सर्वे के लिए अत्‍याधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है. ड्रोन, लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लायडर) और मोबाइल एप्लिकेशन का लाभ उठाते हुए, DRP का उद्देश्य धारावी के मकानों और रहवासियों की मैपिंग सटीकता, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करना है.

धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट-स्‍लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (DRP-SRA) के एक अधिकारी ने कहा कि इन उपकरणों का उपयोग करके धारावी का 'डिजिटल ट्विन' तैयार किया जा रहा है. ये एक वर्चुअल मॉडल होगा, तो डेटा एनालिसिस और फैसले लेने में मदद करेगा.

पहली बार हो रहा इस्‍तेमाल!

देश में किसी भी झुग्गी पुनर्वास परियोजना में ये पहली बार है, जब सर्वे और डॉक्‍युमेंटेशन के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्‍तेमाल किया जा रहा है.

धारावी पुनर्विकास परियोजना (DRP) के एक अधिकारी ने बताया कि परंपरागत रूप से, स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) परियोजनाओं के लिए सर्वे, पारंपरिक तरीकों जैसे कुल स्टेशन सर्वे और शारीरिक दस्तावेजों के मैनुअल कलेक्‍शन पर निर्भर होता था.

वहीं, DRP ने ड्रोन, लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग (लायडर) तकनीकी और मोबाइल एप्लिकेशनों जैसी आधुनिक उपकरणों को डेटा कलेक्‍शन और मूल्यांकन के लिए डिजिटल तरीके से लागू किया है.

लायडर, ड्रोन और मोबाइल ऐप का इस्‍तेमाल

DRP में एक पोर्टेबल लायडार सिस्टम, जैसे बैकपैक-माउंटेड स्कैनर, धारावी की संकरी और भीड़-भाड़ वाली गलियों में नेविगेट करने के लिए उपयोग किया जा रहा है.

  • लायडर एक सक्रिय रिमोट सेंसिंग तकनीक है जो इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

  • ये जियोस्‍पेशियल डेटा को तेजी से कैप्चर करने की क्षमता के लिए जानी जाती है.

  • ये लेजर लाइट के जरिये दूरी मापता है और भूभाग, इमारतों और वस्तुओं के अत्यधिक सटीक 3D प्रतिनिधित्व बनाता है.

  • ड्रोन तकनीक लायडर का पूरक है, जो क्षेत्र का हवाई चित्रण करके मैपिंग और प्‍लानिंग में सहायक है.

  • जमीन पर, सर्वेक्षण टीमें डेटा कलेक्‍शन के लिए मोबाइल एप्लिकेशंस का उपयोग करती हैं.

  • ये एप्लिकेशन सुनिश्चित करता है कि जानकारी प्रत्येक झुग्गीवाले के वास्तविक स्थान पर एकत्र किया जाए.

  • सभी डेटा को डिजिटल रूप में कलेक्‍ट किया जाता है. इससे सटीकता में सुधार होता है और गलती की संभावना कम होती है.

धारावी के डिजिटल ट्विन का निर्माण

DRP-SRA के एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल ट्विन का निर्माण, धारावी का वर्चुअल प्रतिनिधित्व, एक महत्वपूर्ण कदम है. उनके अनुसार, ये पहली बार है जब भारत में किसी झुग्गी पुनर्वास योजना में ऐसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. ये डिजिटल मॉडल अधिकारियों को डेटा का अधिक प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करने की सुविधा देगा. ये विवादों के त्वरित समाधान को सक्षम करता है और निगरानी की चूक को कम करता है.

चुनौतियां भी हैं लेकिन चिंता नहीं

सर्वेक्षण प्रक्रिया चुनौतियों से मुक्त नहीं है. धारावी के रहवासियों के बीच फ्रॉड या डेटा के दुरुपयोग के डर को दूर करने के लिए, DRP-SRA व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों का संचालन कर रहा है. इनमें मीटिंग्‍स, पंपलेट डिस्‍ट्रीब्‍यूशन और कॉल सेंटर्स की स्‍थापना शामिल है. इनके जरिये धारावी के लोगों को सटीक जानकारियां दी जाती हैं.

बता दें क‍ि DRP/SRA एक सरकारी संस्था है जो परियोजना के कार्यान्वयन और निगरानी की देखरेख करती है, इसमें सर्वेक्षण के सुचारू रूप से संचालन की जिम्मेदारी भी शामिल है.

क्षेत्र पर्यवेक्षक निवासियों की मदद करते हैं ताकि वे सही डॉक्‍यूमेंट्स प्रदान करें. यदि डॉक्‍यूमेंट्स पूर्ण होते हैं, तो निवासियों को DRP-SRA अधिकारी द्वारा एक स्वीकृति पर्ची दी जाती है और अगले चरणों के बारे में जानकारी दी जाती है. जिन निवासियों के पास सर्वेक्षण के समय सही डॉक्‍यूमेंट्स नहीं होते हैं, उन्हें सर्वेक्षण के महत्व के बारे में समझाया जाता है और उन्हें प्राप्त करने में मदद की जाती है.

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