SEBI-Sahara Case: SC ने सहारा की वर्सोवा प्रॉपर्टी डेवलपमेंट प्लान के रिव्यू का आदेश दिया

बीते साल सितंबर में सहारा को वर्सोवा प्रॉपर्टी पर एक ज्वाइंट वेंचर या लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था, ताकि SEBI-सहारा फंड में 10,000 करोड़ रुपये की कमी को पूरा किया जा सके.

प्रतीकात्मक फोटो

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को SEBI को सहारा ग्रुप की वर्सोवा प्रॉपर्टी के डेवलपमेंट के लिए दाखिल किए गए प्रस्ताव का परीक्षण करने का आदेश दिया है. ओबेरॉय रियल्टी और वेलोर एस्टेट ने ये प्रस्ताव जमा किए हैं. सुप्रीम कोर्ट अगले तीन हफ्ते में केस की सुनवाई करेगा और तय करेगा कि किस डेवलपर को डेवलपमेंट की अनुमति दी जाए.

इस बीच कोर्ट ने दोनों डेवलपर्स को डिमांड ड्राफ्ट के जरिए 1,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि जब तक अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक ये कैश जमा रहेगा.

बीते साल सितंबर में सहारा को वर्सोवा प्रॉपर्टी पर एक ज्वाइंट वेंचर या लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था, ताकि SEBI-सहारा फंड में 10,000 करोड़ रुपये की कमी को पूरा किया जा सके.

दरअसल अगस्त 2012 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की दो कंपनियों; सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को 24,000 करोड़ रुपये रिफंड करने के लिए कहा था. साथ ही इस पर 15% ब्याज लगाने का निर्देश भी दिया था.

ये पैसा 2 करोड़ छोटे निवेशकों में वितरित किया जाना था, जिन्होंने 2008 से 2011 के बीच FCD (फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स) में निवेश किया था. ये आदेश SEBI की उस जांच और आदेश के बाद आया था, जिसमें कहा गया था कि दोनों फर्म्स पैसे जुटाने के क्रम में कानूनों का उल्लंघन किया था.

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