खेती-किसानी से लेकर हेल्थ सेक्टर तक, ड्रोन का इस्तेमाल व्यापक तौर पर होने लगा है. अब इस कड़ी में नाम जुड़ा है, भारतीय डाक विभाग (India Post) का. डाक विभाग ने इसके लिए स्काई एयर मोबिलिटी के साथ एक समझौता किया है.
डाक विभाग ये पता लगाने के लिए ये कदम उठाया है कि अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज इलाकों में ड्रोन के माध्यम से चिट्ठी पहुंचाना कितना व्यवहारिक है. बाद में अन्य दुर्गम क्षेत्रों में भी इसके विस्तार की योजना है.
डाक विभाग ने मंगलवार को बयान में कहा कि ‘प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ (PoC) के समर्थन में साक्ष्य जुटाने के मकसद से शुरू की गई पहल का विस्तार किया जाएगा.
इसने कहा कि विभाग अन्य कठिन और पहाड़ी क्षेत्रों में चिट्ठी और अन्य सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन इस्तेमाल करने के वर्क प्लान पर काम करेगा.
कूरियर और पार्सल मार्केट से तालमेल
डाक विभाग ने बयान में कहा है कि कूरियर एक्सप्रेस और पार्सल बाजार में नए इनोवेशन और एक्टिविटीज के साथ तालमेल रखते हुए ये पहल की गई.
बीते 21 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के नामसाई और लोहित जिले में स्थित चौखम डाकघर और नामसाई स्थित वाकरो ब्रांच पोस्ट ऑफिस के बीच ड्रोन के माध्यम से चिट्ठी पहुंचाने को लेकर PoC शुरू किया.
कहां से कितनी देर में पहुंचा ड्रोन?
पहाड़ी इलाके के कारण चौखम डाकघर से वाकरो ब्रांच डाकघर के बीच चिट्ठी पहुंचने का मौजूदा समय लगभग 2 से 2.5 घंटे है, क्योंकि चिट्ठी और अन्य पार्सल अरुणाचल प्रदेश राज्य परिवहन सेवाओं की बसों के माध्यम से ले जाया जाता है.
ड्रोन के माध्यम से चिट्ठी पहुंचाने से दोनों स्थानों के बीच लगने वाला समय कम होकर 22-24 मिनट हो गया है.
इसके तहत चौखम डाकघर से एक ड्रोन सुबह 10.40 बजे चला और वाकरो ब्रांच डाकघर पर 11.02 बजे पहुंचा.
वहीं वापसी में, ड्रोन सुबह 11.44 बजे वाकरो ब्रांच डाकघर से उड़ा और दोपहर 12.08 बजे चौखम डाकघर पहुंचा.
वाकरो ब्रांच डाकघर चौखम डाकघर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बस या अन्य वाहनों की अपेक्षा ड्रोन पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर है.
डाक विभाग का ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो अन्य दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में चिट्ठी और पार्सल पहुंचाने के लिए ड्रोन के उपयोग का विस्तार किया जाएगा.