नए RBI गवर्नर की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर रहा फोकस, फाइनेंशियल इन्क्लूजन की लागत कम करने पर देंगे जोर

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के इस्तेमाल से फाइनेंशियल इन्क्लूजन की लागत कम करने की होगी कोशिश.

RBI गवर्नर बनने के बाद संजय मल्होत्रा ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सब उनसे महंगाई और ग्रोथ पर कुछ सुनना चाहते हैं, मगर उन्होंने अपने संबोधन में इन पर कोई बात नहीं की.

नए गवर्नर जो कुछ भी कहा उसका सार ये था कि RBI ने मॉनेटरी पॉलिसी, करेंसी कंट्रोल, पेमेंट सिस्टम, फाइनेंशियल इन्क्लूजन, लक्विडिटी जैसे कई मुद्दों पर सराहनीय काम किया है और वो इस विरासत को कायम रखने के साथ इसे आगे बढ़ाएंगे.

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर जोर

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के इस्तेमाल पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम में UPI को लेकर बहुत काम हुआ है. वो आगे भी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल, इनोवेशन को बढ़ाने पर काम करेंगे. उनकी कोशिश होगी कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फाइनेंशियल इन्क्लूजन की लागत कम की जाए.

उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल इन्क्लूजन यानी बैंकिंग को समाज के हर तबके तक पहुंचाना और इसे बढ़ाना RBI की बड़ी जिम्मेदारी है. बैंकिंग को लोगों के द्वार यानी घर तक पहुंचाना बड़ा काम है और हालांकि इस दिशा में काफी काम हुआ भी है.

महंगाई कम करने और ग्रोथ बढ़ाने की बड़ी चुनौती

संजय मल्होत्रा ऐसे समय में RBI गवर्नर बने हैं, जब इकोनॉमी की ग्रोथ रेट घट रही है और महंगाई लगातार बढ़ रहा है. मौजूदा कारोबारी साल के सितंबर तिमाही में ग्रोथ रेट, बीती 7 तिमाही के सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई थी. जबकि महंगाई बढ़ी है. ऐसे में उनके सामने महंगाई और ग्रोथ रेट में संतुलन बनाए रखने की बड़ी चुनौती होगी. सबकी नजरें उनकी अगुवाई में ब्याज दरों में कटौती पर बनी रहेंगी.

आपको बता दरें RBI ने पिछली पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं. लेकिन इस बार की पॉलिसी से पहले आए दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% पर आ गई है. ऐसे में सब चाहते थे कि RBI दरों में कुछ राहत दे. मगर बढ़ती महंगाई ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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