केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया है. चार दिन पहले एन बीरेन सिंह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. लंबे समय से हिंसा की चपेट में रहे पूर्वोत्तर का ये राज्य राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा था.
पिछले साल के अंत में राज्य में जातीय हिंसा को लेकर एन बीरेन सिंह ने प्रदेश की जनता से माफी मांगी थी. गुरुवार शाम केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस आशय का आदेश जारी किया.
बीते रविवार शाम उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इससे पहले कांग्रेस ने CM के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही थी.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है. गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया था. मणिपुर में पिछले 2 साल से जातिगत हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत के कारण लंबे समय से मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की जा रही थी.
राष्ट्रपति शासन की क्या है प्रक्रिया?
राष्ट्रपति शासन के लिए राज्यपाल की तरफ से केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजा जाता है. राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से सिफारिश की जाती है. राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लेते हैं. राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए लागू होता है. इसे संसद की दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से मंजूरी लेनी पड़ती है.संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है.