Delhi CM Race: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल की है. आम आदमी पार्टी (AAP) को सिर्फ 22 सीटें हासिल ही हुईं. चुनाव से पहले BJP ने दिल्ली में CM पद के लिए किसी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया था.
ऐसे में अब ये सवाल है कि पार्टी दिल्ली का मुख्यमंत्री किसे बनाएगी. आइए जान लेते हैं कि दिल्ली CM पद की रेस में कौन-कौन से चेहरे शामिल हैं.
प्रवेश वर्मा सबसे आगे
नई दिल्ली सीट से प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को शिकस्त दी है. पिछली कई बार नई दिल्ली सीट का विधायक ही मुख्यमंत्री रहा है. इससे पहले शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल भी इसी सीट से चुनकर आए थे और CM बने थे. इस बार भी नई दिल्ली से जीते प्रवेश वर्मा रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं.
अगर उन्हें पार्टी नेतृत्व चुनता है, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी. हालांकि जब NDTV ने उनसे इसे लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'BJP में मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल और नेतृत्व करता है. आपको पता चल जाएगा कि वो पद किसे मिलेगा.'
किसी सांसद को भी मिल सकता है मौका
इससे पहले लोकसभा चुनावों में BJP ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थीं. इसलिए इस बात की भी संभावना है कि इन 7 सांसदों में से भी किसी को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी जा सकती थी.
दिल्ली में 7 सांसद हैं- प्रवीण खंडेलवाल (चांदनी चौक), मनोज तिवारी (उत्तर-पूर्वी दिल्ली), हर्ष मल्होत्रा (पूर्वी दिल्ली), बांसुरी स्वराज (नई दिल्ली), योगेंद्र चंदोलिया (उत्तर-पश्चिमी दिल्ली), कमलजीत सहरावत (पश्चिमी दिल्ली) और रामवीर सिंह बिधूरी (दक्षिण दिल्ली).
इन नामों में मनोज तिवारी सबसे आगे हैं. तिवारी ने भी कभी इस बात से इनकार नहीं किया है कि वो CM पद की रेस में नहीं हैं.
दिल्ली को फिर मिलेगी महिला CM?
इस बात को लेकर भी अनुमान लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली CM पद की कुर्सी किसी महिला को सौंपी जा सकती है. इसमें एक नाम बांसुरी स्वराज का आता है. इससे पहले साल 1998 में दिवंगत सुषमा स्वराज ने पार्टी के एक आदेश पर कैबिनेट से इस्तीफा देकर 'प्याज की कीमतों' से परेशान सरकार की चुनाव से दो महीने पहल दिल्ली की कमान संभाली थी.
हालांकि, इसके बाद भाजपा को दिल्ली की सत्ता में वापसी करने में 27 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.
अटकलें इस तरह की भी हैं कि क्या BJP किसी महिला को दिल्ली की कुर्सी सौंपेगी. ऐसे में सवाल यह है कि अगर यह फैसला होता है, तो योग्यता क्या होगी? वे कौन से चेहरे हैं. इसमें सबसे संभावित नाम बांसुरी स्वराज का है.
1998 में सुषमा स्वराज ने पार्टी के एक आदेश पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर 'प्याज की कीमतों' से हिल रही सरकार की चुनाव से दो महीने पहले दिल्ली की कमान संभाली थी. हालांकि, इसके बाद भाजपा को दिल्ली की सत्ता में वापसी करने में 27 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.