Lok Sabha Elections 2024: पिछले चुनावों में कैसी रही विदेशी निवेशकों की चाल, बढ़ाया इनफ्लो या किया आउटफ्लो?

बीते 5 लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो आमतौर पर प्री-इलेक्शन पीरियड के दौरान विदेशी निवेशकों का रुख बाजार की तरह ही रहा है.

Source: Central Vista

लोकसभा चुनाव और उसका असर बाजार पर भी नजर तो आता ही है. इसी बाजार में एक अहम भूमिका विदेशी निवेशकों की भी होती है, जो चुनाव के माहौल के हिसाब से अपनी स्ट्रैटेजी प्लान कर रहे होते हैं.

बीते 5 लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो आमतौर पर प्री-इलेक्शन पीरियड के दौरान विदेशी निवेशकों का रुख बाजार की तरह ही रहा है.

2009 के लोकसभा चुनावों के पहले दुनिया मंदी से उबरने की कोशिश कर रही थी, तो इसका असर बाजार पर भी दिखा और विदेशी निवेशकों का ट्रेंड बाजार के उलट नजर आया.

इस साल, विदेशी निवेशकों का रुख बाजार के प्रति साफ नजर आ रहा है. अब तक मार्केट में विदेशी निवेशकों ने 6,851 करोड़ रुपये का इनफ्लो किया है. जनवरी और फरवरी में बाजार से विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे थे, लेकिन मार्च में ये स्थिति बदली है.

NSDL के डेटा पर नजर डालें, तो प्राइमरी मार्केट में 2024 में अब तक 15,816.75 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

ये बात भी गौर करने लायक है कि मार्च में भले ही विदेशी निवेशकों का बाजार में इनफ्लो रहा हो, लेकिन ओवरऑल मार्केट कैपिटल में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश अपने निचले स्तर पर है. हो सकता है यहां से बाजार में तेजी नजर आए.

मेक्लाई फाइनेंशियल सर्विसेज (Mecklai Financial Services) के डायरेक्टर रितेश भंसाली (Ritesh Bhansali) का मानना है कि FPIs ने फिलहाल भारत में अंडरइन्वेस्ट किया है.

मार्च में अभी तक विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में 38,098 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

शेयर बाजार के आंकड़ें देखें, तो विदेशी निवेशकों ने बड़े सौदों के जरिए काफी सारा निवेश किया है. इसके चलते बाजार में FPI की एक्टिविटी ज्यादा नहीं पता चल रही है.

2019 में हुए चुनाव में विदेशी निवेशकों की ओर से किया गया निवेश बीते 5 साइकिल में सबसे ज्यादा रहा. चुनाव का नतीजा वही रहा, जो हर कोई मान कर चल रहा था. मोदी सरकार ने अपने दूसरे टर्म में पहुंची.

चुनाव होने के पहले, बीते 12 महीने पर नजर डालें तो बाजार में करीब 30% का उछाल आया है. इस दौरान, बाजार की उम्मीदें राजनीतिक स्थिरता, कैपिटल एक्सपेंडिचर पर शुरुआती चरण में किए गए निवेश के चलते उफान पर हैं.

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (Marcellus Investment Managers) के फाउंडर सौरभ मुखर्जी (Saurabh Mukherjea) के मुताबिक, 'अगर मौजूदा सरकार आने वाले चुनाव में शानदार बहुमत हासिल करती है, तो बाजार में भी भरपूर विदेशी निवेश देखने को मिलेगा. निश्चित रूप से ये निवेश लार्ज कैप शेयरों में ज्यादा नजर आएगा, जिनमें चुनाव के बाद बड़े स्तर पर री-रेटिंग देखने को मिलेगी'.

मुखर्जी इस कैलेंडर ईयर और अगले फाइनेंशियल ईयर में विदेशी निवेश किए जाने का अनुमान जता रहे हैं.

चुनाव के बाद की तिमाही

बीते 4 लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो केवल 2019 के चुनाव में फंड्स का आउटफ्लो नजर आया.

मई 2019 में नई सरकार बनी और दूसरी तिमाही में निवेशकों ने बाजार से 22,463 करोड़ रुपये बाहर खींचे. 2014, 2009 और 2004 के लोकसबा चुनाव में फंड्स का इनफ्लो नजर आया था.

एनालिस्ट्स का नजरिया

मेक्लाई फाइनेंशियल सर्विसेज के डायरेक्टर रितेश भंसाली की मानें, तो इक्विटी बाजार में भारी निवेश के पहले विदेशी निवेशक एक करेक्शन का इंतजार कर रहे हैं.

चुनाव के बाद बाजार में FPIs की ओर से भारी इनफ्लो नजर आ सकता है. उन्होंने कहा, 'अमेरिका और जापान के इक्विटी मार्केट में मजबूती और दूसरे एशियाई बाजारों का बेहतर वैल्यूएशन विदेशी निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने से रोक रहा है'.

उन्होंने कहा, 'चुनाव के बाद रियल एस्टेट, कैपिटल एक्सपेंडिचर और एनर्जी सेक्टर में शानदार इनफ्लो का अनुमान है'.

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के डायरेक्टर अनिल भंसाली (Anil Bhansali) के मुताबिक, '28 जून को भारत, JP मॉर्गन के गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स इमर्जिंग मार्केट्स में एंट्री करेगा, जिसके बाद मासिक आधार पर देश में करीब $2 बिलियन का निवेश किए जाने का अनुमान है'.

उन्होंने कहा, 'फंड के लिए सबसे टॉप के बॉन्ड में सबसे ज्यादा निवेश किए जाने का अनुमान है और ये बढ़ोतरी वक्त बीतने के साथ बढ़ती जाएगी'.

भंसाली ने कहा, 'भारत में निवेश नहीं किए जाने का एक बड़ा रिस्क चुनाव के नतीजे अनुमान के उलट होना है. चुनाव के नतीजे अगर वैसे नहीं आते, जैसा अनुमान किया जा रहा है, तो इन फ्लो पर भी असर पड़ सकता है. डेट पर फ्लो बढ़ने का अनुमान है, जहां 10-ईयर बॉन्ड यील्ड 7.08% पर बरकरार है और आगे ब्याज दरों में कटौती का अनुमान नहीं है'.

उन्होंने कहा, '2024 में $35 बिलियन का इनफ्लो किया जा सकता है. ये इनफ्लो डेट और इक्विटी में किया जा सकता है, जिसमें डेट पर ज्यादा फोकस होगा'.

लेखक Anjali Rai
जरूर पढ़ें
1 रिकॉर्ड तेजी के बावजूद FPIs का क्यों हुआ मोह भंग? अप्रैल में भारतीय बाजार से निकाले 8,671 करोड़ रुपये
2 भारतीय रुपया बना 2024 की बेस्ट करेंसी, जानिए कैसे?
3 एक नजर भारत के फलते-फूलते शेयर मार्केट पर
4 अप्रैल के पहले 2 हफ्ते में FPIs ने क्या खरीदा, क्या बेचा?
5 FPIs ने बदला ट्रेंड, मार्च में निवेश किए 40,000 करोड़ रुपये