Maharashtra Elections 2024: आरक्षण, रोजगार और किसान; क्या हैं बड़े मुद्दे, कैसी है गठबंधनों की तैयारी?

बीते लोकसभा चुनाव में महायुति को तगड़ा झटका लगा था. खासतौर पर मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे इलाकों में गठबंधन के खिलाफ लोगों ने एकतरफा वोटिंग की थी. इस बार क्या है गठबंधन की स्ट्रैटेजी?

महाराष्ट्र में बीते लोकसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को तगड़ा झटका लगा था. खासतौर पर मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे इलाकों में गठबंधन के खिलाफ लोगों ने एकतरफा वोटिंग की थी. वहीं महाविकास अगाड़ी अपने लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को ताजा चुनाव में भी जारी रखने की कोशिश में है. कुलमिलाकर दोनों गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर है. समझते हैं कि ऐसे कौन से मुद्दे और वर्ग हैं, जो महाराष्ट्र में वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं और दोनों बड़े गठबंधन इनको साधने के लिए क्या कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक ही चरण में सभी 288 सीटों पर मतदान हो रहा है. PTI के मुताबिक इस बार मैदान में 4,136 कैंडिडेट हैं, जो 2019 के 3,239 के आंकड़े से 28% ज्यादा है. प्रदेश में 9.7 करोड़ मतदाता हैं. प्रदेश में कुल 1,00,186 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. जबकि चुनाव कराने के लिए 6 लाख सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

मुख्य मुकाबला महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति के बीच है. महायुति में BJP, शिवसेना और NCP (अजित पवार) हैं, जबकि MVA में कांग्रेस, NCP (शरद पवार गुट) और शिवसेना (UBT) शामिल हैं.

महिला वोट बैंक: सत्ता पाने का ब्रह्मास्त्र

लगभग 50% वोट बैंक किसी भी चुनाव में बेहद निर्णायक होता है. बीते कई चुनावों से देशभर में महिला वोट बैंक की सक्रियता काफी बढ़ी है. महाराष्ट्र का हालिया चुनाव भी इससे अछूता नहीं है. यहां भी इस वर्ग के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए प्रदेश सरकार 'माझी लाडकी बहीण' योजना चला रही है. जो इस वर्ग के एक बड़े हिस्से को कवर करती है. इसमें लाभार्थियों को 1,500 रुपये/महीना दिया जाता है. महायुति और BJP ने अपने संकल्प पत्र में इस राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये/महीना करने का वायदा किया है. महायुति को उम्मीद है कि केंद्र की लखपति दीदी समेत अन्य घोषणाओं का लाभ भी उन्हें मिलेगा. खुद प्रधानमंत्री बीते हफ्ते अपनी जनसभाओं में इस पर जोर देते रहे हैं.

दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी ने भी काउंटर के तौर पर अपने घोषणा पत्र में महालक्ष्मी योजना के तहत महिला लाभार्थियों को 3,000 रुपये/महीना देने की घोषणा की है. कांग्रेस कर्नाटक में इस तरह की योजना चला भी रही है. एक अन्य अहम ऐलान में महाविकास अघाड़ी ने माहवारी के दिनों में महिलाओं को 2 दिन की आधिकारिक छुट्टी देने का नियम बनाने का भी वायदा किया है. साथ ही 9-16 साल की उम्र वाली लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराने की बात भी गठबंधन ने कही है.

कृषि-किसान: विदर्भ और मराठवाड़ा की कुंजी

विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे इलाके कृषि बहुल हैं. दोनों इलाकों में कर्ज माफी, फसल का सही भाव और किसानों का आर्थिक सशक्तीकरण बड़ा मुद्दा है. इन दोनों क्षेत्रों में मिलाकर करीब 108 विधानसभा सीटें हैं. मतलब 40% सीटें. ध्यान देने वाली बात ये है कि लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा में BJP एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, जबकि महायुति विदर्भ में 2 ही सीटें जीत पाई थी.

महायुति ने कपास को MSP के तहत खरीदने का ऐलान किया है, साथ ही 15% तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद का वायदा भी किया है. सोयाबीन खरीद के लिए MSP 6,000 रुपये क्विंटल रखा जाएगा. इसके अलावा भावांतर योजना को भी लागू करने की बात है. महायुति ने किसानों की कर्ज माफी के साथ-साथ किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर 25,000 करने का वायदा भी अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया है. हालांकि कितना कर्ज माफ किया जाएगा, ये साफ नहीं है.

महाविकास अघाड़ी ने भी किसानों की कर्ज माफी से जुड़ा बड़ा ऐलान किया है. किसानों का 3 लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जाएगा. जबकि उन्हें रेगुलर लोन की पेमेंट के लिए 50,000 रुपये की आर्थिक मदद भी दी जाएगी.

जातिगत समीकरण और आरक्षण

महाराष्ट्र में हाल के सालों में मराठा आरक्षण बड़ा मुद्दा बना है. कुल आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी करीब 32% है. मराठवाड़ा में इसका खासा प्रभाव है, जहां विधानसभा की 46 सीटें हैं. मनोज जरांगे के नेतृत्व में इसके कंसोलिडेशन से लोकसभा चुनाव में महायुति को बड़ा घाटा लगा था. महाराष्ट्र में दलित चेतना भी काफी तेज है. 2011 की जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र में SC-ST आबादी करीब 21% है.

लेकिन इस बार मराठा आरक्षण पर बहुत हलचल नहीं है. जरांगे की तरफ से भी बहुत सक्रियता नजर नहीं आ रही है. SC-ST के लिए भी महायुति ने भी कुछ अहम वायदे किए हैं. जिनमें इस वर्ग के एंटरप्रेन्योर्स के लिए 15 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज देने का वायदा भी है. इन कवायदों से महायुति को पुराने घाटे को पाटने की उम्मीद बनी है. प्रधानमंत्री भी अपने प्रचार में 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' के नारे को जबरदस्त ढंग प्रोमोट करते दिखे.

लेकिन महाविकास अघाड़ी भी जातिगत मुद्दों पर फ्रंट फुट पर है. अपने घोषणा पत्र में गठबंधन ने जातिगत जनगणना कराने का वायदा किया है. ये देशभर में विपक्षी पार्टियों का बड़ा मुद्दा रहा है. इतना ही नहीं महाविकास अघाड़ी ने 50% आरक्षण की सीमा को भी हटाने का वायदा किया है, ये अधिकतम आरक्षण सीमा सुप्रीम कोर्ट ने तय की है.

युवा: MVA का बेरोजगारी भत्ता बनाम महायुति का 1 लाख सरकारी नौकरियों का वायदा

इलेक्शन कमीशन के मुताबिक महाराष्ट्र में कुल 9.7 करोड़ वोटर्स हैं, इनमें से 21 लाख वोटर्स 18-19 साल के उम्र वर्ग में हैं, मतलब ये अपने मत का पहली बार इस्तेमाल करेंगे. कुल मिलाकर देखें तो 18 से 29 साल की उम्र के बीच लगभग 2 करोड़ मतदाता हैं. मतलब करीब 20%. जाहिर तौर पर इस वर्ग की अपनी साझा आकांक्षाएं हैं. राजनीतिक पार्टियां इसे बखूबी समझती हैं और दोनों गठबंधनों की अप्रोच में भी ये दिखता है.

युवाओं को एक बड़े प्रोत्साहन के तौर महाविकास अघाड़ी ने 4,000 रुपये/महीना बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया है. इसके जरिए गठबंधन की खास फर्स्ट टाइम वोटर और नौकरियां ना मिलने से हताश युवकों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की है.

BJP ने भी इन वोटर्स के लिए घोषणा पत्र में 1 लाख सरकारी नौकरियों समेत कुल 25 लाख नौकरियों जैसे अहम वायदे किए हैं. इसके अलावा 10 लाख छात्रों को 10,000 रुपये/महीना भत्ता दिया जाएगा. साथ ही OBC, SEBC, EWS और NT कैटेगरी के छात्रों की ट्यूशन और कोचिंग फीस की सरकार की तरफ से अदायगी होगी.

इंफ्रा डेवलपमेंट: MMR में सबसे अहम मुद्दा

कोंकण क्षेत्र में स्थित MMR (मुंबई मेट्रोपॉलिटन एरिया) में 36 विधानसभा सीटें हैं. मुंबई और इसके आसपास के इलाकों के लिए इंफ्रा बड़ा मुद्दा रहा है. बीते सालों के अव्यवस्थित विकास के चलते मुंबई शहर पर आबादी का जबरदस्त भार है.

Statistica.com के मुताबिक मुंबई में आबादी घनत्व 24,073 लोग/वर्ग किलोमीटर है. अगर दुनिया के बड़े शहरों की बात करें तो सिर्फ ढाका ही मुंबई से ज्यादा घनत्व वाला शहर है.

महाराष्ट्र सरकार ने कोस्टल रोड, अटल सेतु, एक्वा मेट्रो लाइन, समृद्धि एक्सप्रेसवे, नवी मुंबई एयरपोर्ट जैसे बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर काम पूरा किया है. चाहे अमित शाह हों या प्रधानमंत्री मोदी या फिर शिंदे और फडणवीस, सबने अपने प्रचार के दौरान मुंबई में इन कार्यों का बखूबी प्रचार किया है.

ये तो हुई कुछ बड़े मुद्दों की बात, लेकिन चुनाव में कब क्या काम कर जाए, इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है. लेकिन भविष्य में जो भी हो, कम से कम फिलहाल पार्टियों का तमाम चीजों के बीच इन मुद्दों पर जोर रहा है. अब किसके जोर का असर प्रदेश पर दिखता है, वो 23 नवंबर के नतीजों से पता चलेगा.

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