'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर रामनाथ कोविंद पैनल ने सौंपी रिपोर्ट, एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश

इस रिपोर्ट में पैनल ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि "समिति की सर्वसम्मत राय है कि एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए

Source: X/President of India

क्या देश में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ होंगे, इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है.

पैनल ने की एकसाथ चुनाव कराने की सिफारिश

इस रिपोर्ट में पैनल ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि "समिति की सर्वसम्मत राय है कि एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए. पैनल ने रिपोर्ट में कहा है कि सबसे पहले, लोकसभा चुनाव और राज्य चुनाव एक साथ होने चाहिए और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने चाहिए.

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि एक साथ चुनाव, चुनावी प्रक्रिया और गवर्नेंस को बदल देंगे. ये अवधारणा 'इंडिया, दैट इज भारत' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद कर सकती है.

पैनल ने राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से भारत के चुनाव आयोग की ओर से एक कॉमन वोटर लिस्ट और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की है.

पैनल में कौन-कौन शामिल था

रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल में बाकी सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, फाइनेंस कमीशन के पूर्व चेयरमैन एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप और सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे थे.

पैनल को त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव, दल-बदल या ऐसी कोई अन्य घटना होने पर एक साथ चुनाव से जुड़े संभावित समाधानों का एनालिसिस और सिफारिश करने का काम सौंपा गया था.

PM मोदी ने भी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की बात की थी

भारत में, जब मौजूदा सरकार का कार्यकाल समाप्त हो जाता है या वह किसी कारण से भंग हो जाती है, तो संसद सदस्यों के चुनाव के लिए आम चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।

भारत में, जब मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाता है, या वो किसी वजह से भंग जाती है, तो संसद सदस्यों के चुनाव के लिए आम चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जरूरत को लेकर बात की है, और ये 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र का भी हिस्सा था.

देश में पहले भी होते थे एक साथ चुनाव

ऐसा नहीं है कि देश में पहले एक साथ चुनाव नहीं हुआ करते थे, 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव कराना आम बात थी और इस तरह से चार चुनाव हुए भी हैं. 1968-69 में कुछ राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिए जाने के बाद ये चलन बंद हो गया. लोकसभा भी पहली बार 1970 में तय समय से एक साल पहले भंग कर दी गई थी और 1971 में मध्यावधि चुनाव हुए थे.

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