S Jaishankar Exclusive: मोदी युग में भारत की विदेश नीति पूरी तरह बदली, अगले 25 साल की तैयारी के हिसाब से काम जारी

विदेश मंत्री ने NDTV से खास बातचीत में कहा, 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर है भारत का जोर'. उन्होंने बताया कि किन बातों को ध्यान में रखकर देश की विदेश नीति बनाई जा रही है.

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मोदी युग में भारत की विदेश नीति पूरी तरह बदल गई है. ये बड़ी बात है और ये कोई और नहीं बल्कि खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने NDTV ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) से खास इंटरव्यू में कही. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदला है. इस इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने बताया कि कैसे भारत सिर्फ तात्कालिक जरूरतों के हिसाब से नहीं बल्कि अगले 25 साल की तैयारी के हिसाब से विदेश नीति पर काम कर रहा है.

विदेश मंत्री (External Affairs Minister) एस जयशंकर भारत के पूर्व विदेश सचिव (Foreign Secretary) रह चुके हैं. उन्होंने विदेश नीति से संबंधित कई किताबें भी लिखी हैं. हाल ही उन्होंने एक किताब लिखी है 'व्हाय भारत मैटर्स' (Why Bharat Matters) और 3 साल पहले उन्होंने 'द इंडिया वे' (The India Way) लिखी थी. उन्होंने किताब के शीर्षकों में 'इंडिया' से 'भारत' तक के सफर पर भी बात की. विदेश मंत्री ने बताया कि पिछले 3-4 साल में देश में कई ऐसे कई बदलाव हुए हैं, जिसे देखकर लगता है कि भारत नाम ज्यादा सही है. उन्होंने बताया कि पिछले 3-4 साल में आत्मविश्वास, डिलीवरी, सोच और संस्कृति के स्तर पर बड़ा बदलाव हुआ है. और इस बदलाव को देखकर लगता है कि 'भारत' के उपयोग से उनका संदेश ज्यादा सही तरीके से पाठकों तक पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि वो 'भारत' को एक किस्म से माइंडसेट, एक अप्रोच मानते हैं.

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी

एस जयशंकर ने बताया कि 2014 में सरकार नेबरहुड फर्स्ट की पॉलिसी लेकर आई. इसके तहत भारत ने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने को प्राथमिकता दी. उन्होंने श्रीलंका का उदाहरण देकर बताया कि कैसे कर्ज संकट में फंसे इस देश की कोई मदद नहीं कर रहा था और भारत ने 4.5 अरब डॉलर की मदद देकर उसे संकट से उबरने में मदद की. इससे पड़ोसी देशों में पॉजिटिव संदेश गया.

खाड़ी देश भी पड़ोसी हैं!

विदेश मंत्री ने खाड़ी देशों से संबंध सुधारने की कोशिशों पर भी बात की. उन्होंने बड़े दिलचस्प तरीके से बताया कि कैसे खाड़ी देश भी हमारे पड़ोसी हैं. उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे से पहले खाड़ी देश हमारे पड़ोसी ही थे. हालांकि 2014 से पहले के कुछ दशकों में सरकार ने इसे भुला दिया था. इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UAE गए. आज UAE के साथ संबंध इतने प्रगाढ़ हो चुके हैं कि अगले महीने वहां एक भव्य मंदिर का उद्घाटन होने वाला है.

मार्केट दुनिया की तीसरी बड़ी ताकत

विदेश मंत्री एस जयशंकर बाजार यानी मार्केट को दुनिया की तीसरी बड़ी ताकत मानते हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा और अब उस पर अमल कर रहे हैं. अब ये रिश्ता नए स्तर पर पहुंच चुका है.

'कूटनीति' विदेश नीति का चौथा मार्कर

विदेश मंत्री ने बताया कि विदेशी संबंधों में बातें मानने का बहुत दवाब होता है और इसे कूटनीति से निपटा जा सकता है. उन्होंने यूक्रेन और फिलिस्तीन का उदारहण देकर बताया कि कैसे मित्र देशों से संबंध खराब किए बगैर कूटनीतिक तरीके से इससे सुलझाया जा रहा है. कई देश G20 के एजेंडे में भी इसे शामिल करना चाहते थे. मगर यहां भी कूटनीति का इस्तेमाल किया गया.

विवादों पर विदेश मंत्री की खरी-खरी

विदेश मंत्री ने हाल के विवादों पर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि कनाडा सिख आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. ये वहां की घरेलू राजनीति की कमज़ोरी है, मगर इसका भारत के साथ संबंधों पर असर पड़ रहा है.

उन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति पर भी साफ-साफ बात की. उन्होंने कहा कि घरेलू राजनीति को विदेश नीति पर हावी नहीं होने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देश तैयार होने चाहिए, तभी कुछ पॉजिटिव निष्कर्ष निकलेगा.

पाकिस्तान, चीन पर दो टूक

विदेश मंत्री ने भारत के दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन पर भी बात की. उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों उभरती शक्तियां हैं, लेकिन भारत का मुकाबला सिर्फ चीन से नहीं है, ऐसे में भारत को कई फ्रंट पर एक साथ काम करना होगा. पाकिस्तान बारे में उन्होंने कहा कि उससे खराब रिश्तों के पीछे आतंकवाद है. मौजूदा हालात में पाकिस्तान से उच्चस्तरीय बातचीत दूर की कौड़ी है.

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