सुप्रीम कोर्ट का फैसला- बच गई महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार, लेकिन उद्धव की एक गलती पड़ गई भारी

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो स्थिति कुछ और होती, हम उद्धव को अब मुख्यमंत्री नहीं बना सकते.

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Supreme Court Verdict: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले पर शिंदे गुट को राहत मिली है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर को लेकर कुछ सख्त टिप्पणियां भी की हैं.

बच गई एकनाथ शिंदे की सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, चूंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और खुद ही इस्तीफा दे दिया, अगर वो ऐसा नहीं करते तो स्थिति कुछ और होती, लेकिन अब हम वापस उनको बहाल नहीं कर सकते हैं. यानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल ये साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंद की सरकार बनी रहेगी. बाकी 16 विधायकों का क्या होगा, जिन्हें अयोग्य करार दिया गया था, इसका फैसला स्पीकर करेंगे.

गवर्नर का फैसला गलत!

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत ठहराया. कहा, 'गवर्नर के पास एकनाथ शिंदे और समर्थक विधायकों की सुरक्षा को लेकर पत्र आया. उन्हें इस पत्र पर भरोसा नहीं करना चाहिए था. क्योंकि इसमें कहीं नहीं कहा गया था सरकार बहुमत में नहीं है.'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'राज्यपाल को ये नहीं मान लेना चाहिए था कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके हैं. गवर्नर के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज नहीं था, जिसमें कहा गया कि वो सरकार को गिराना चाहते हैं. केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था.

बड़ी बेंच को भेजा जाएगा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा जाएगा. कोर्ट ने कहा, 'महाराष्ट्र का मुद्दा बड़ा है, इसलिए ये मामला बड़ी बेंच को जाएगा.'

चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ ने कहा है कि नबम रेबिया मामले में उठाए गए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए. क्योंकि उसमें और अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है. इससे पहले फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करना जरूरी नहीं समझा था.

17 फरवरी को सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था, 'नबम रेबिया फैसले को पुनर्विचार के लिए 7 सदस्यीय पीठ को भेजा जाए या नहीं, इस पर अलग से विचार नहीं किया जा सकता.' पीठ ने फिर से इस पर विचार किया.

2016 में अरुणाचल प्रदेश के नबम रेबिया मामले में फैसला सुनाते हुए 5 सदस्यीय बेंच ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर, सदन में अपने विरुद्ध रिमूवल का पूर्व नोटिस लंबित रहते हुए विधायकों की अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर सकते. नबम रेबिया फैसला एकनाथ शिंदे गुट के समर्थन वाले शिवसेना के बागी विधायकों के लिए रक्षा कवच साबित हुआ था और महाराष्ट्र विधानसभा के नए स्पीकर ने एकनाथ शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी थी.

अब सुप्रीम कोर्ट ने नबम रेबिया मामले में अधिक स्पष्ट स्थिति के लिए केस को 7 सदस्यीय बेंच को भेजने का फैसला ​सुनाया है. ये एक तरह से शिंदे गुट के लिए झटका हो सकता है.

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ऐसे शुरू हुई रार, सुप्रीम कोर्ट पहुंची तकरार

महाराष्ट्र में पिछले साल यानी जून 2022 में शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी थी, जिसके चलते तत्कालीन शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ BJP के समर्थन से सरकार बना ली थी. इसके बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट के खिलाफ याचिकाक लगाई थी. वहीं शिंदे गुट की ओर से भी याचिका दाखिल की गई थी.

आइए पूरे मामले को तारीख-दर-तारीख समझते हैं.

  • 20 जून 2022: एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी.

  • 23 जून 2022: एकनाथ शिंदे ने 35 विधायकों के समर्थन का दावा किया.

  • 25 जून 2022: विधानसभा स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा.

  • 26 जून 2022: बागी विधायकों के सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने पर कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर) को नोटिस भेजा. सुप्रीम कोर्ट से बागी विधायकों को राहत मिली.

  • 28 जून 2022: राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट के लिए कहा, जिस फैसले के खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

  • 29 जून 2022: सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

  • 30 जून 2022: BJP के सपोर्ट से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. BJP से देवेंद्र फडणवीस डिप्टी CM बने.

  • 03 जुलाई 2022: विधानसभा के नए स्पीकर ने एकनाथ शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी.

  • 04 जुलाई 2022: एकनाथ शिंदे ने सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया. महाराष्ट्र में शिंदे की सरकार अस्तित्व में आई.

इसके बाद उद्धव गुट ने सरकार की वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. दूसरी ओर शिवसेना के पार्टी नाम और चुनाव चिह्न पर उद्धव गुट और शिंदे गुट में रार जारी थी. मामला चुनाव आयोग पहुंचा.

चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिह्न धनुष-बाण, एकनाथ शिंदे गुट को आवंटित कर दिया, जबकि ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम दिया गया और उसे चुनाव चिह्न के तौर पर मशाल आवंटित किया गया.

सुप्रीम सुनवाई के बाद महा-फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में सभी पक्षों की याचिका पर सुनवाई शुरू की. लगातार 9 दिन तक सुनवाई की और इस दौरान कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट और राज्यपाल की दलीलें सुनी. 16 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज महाराष्ट्र पर महाफैसला सुनाया.

फैसला सुनाने वाली पीठ में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस MR शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस PS नरसिम्हा शामिल हैं.

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