क्या सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की जंग में मुकेश अंबानी पर भारी पड़ रहे हैं एलन मस्क? समझिए मसला

एयरटेल के सुनील भारती मित्तल ने प्रतिद्वंद्वी जियो का समर्थन किया है. उन्होंने मांग की है कि सैटेलाइट कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए पैसा दें.

Source: NDTV Profit

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite Spectrum) का आवंटन कैसे होगा, इसे लेकर बहस एक बार फिर गरम हो चुकी है. एयरटेल (Airtel) के सुनील भारती मित्तल ने प्रतिद्वंद्वी जियो (Jio) का समर्थन किया है. उन्होंने मांग की है कि सैटेलाइट कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए पैसा दें. मित्तल ने ये बात इंडिया मोबाइल कांग्रेस और इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन की वर्ल्ड टेलीकॉम स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली के उद्घाटन को संबोधित करते हुए कही. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ITU सेक्रेटरी जनरल दूरीन बोगदान मार्टिन (Doreen Bogdan Martin) भी मौजूद थे. ITU वैश्विक संस्था है, जो सभी सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को रेगुलेट करती है.

मस्क ने मित्तल के बयान पर क्या कहा?

एयरटेल ने सैटेलाइट कंपनियों को टेलीकॉम ऑपरेटर्स के समान स्तर पर देखने की मांग का समर्थन किया, लेकिन एलॉन मस्क (Elon Musk) की एंट्री से इस पर बहस तेज हो गई है.

मस्क ने X पर लिखा, ये अप्रत्याशित होगा क्योंकि लंबे समय से ये स्पेक्ट्रम ITU उपलब्ध कराती है. मस्क जियो और एयरटेल की मांगों से जुड़ी खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे.

ग्लोबल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनियां जैसे मस्क की स्टारलिंक भारत को संभावित बाजार के तौर पर देख रही हैं. मौजूदा नियमों के तहत प्रशासनिक आवंटन (Administrative Allocation) को मंजूरी है, नीलामी को नहीं. टेलीकॉम कंपनियों के बीच स्पेक्ट्रम की नीलामी होती है.

सिंधिया के बयान से जियो को झटका!

इन सबके बीच संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस हफ्ते ये ऐलान कर दिया की भारत भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर चलते हुए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का एडमिनिस्ट्रेटिव आवंटन करेगा. यानी एक तरह से गेंद मस्क के पाले में जाती हुई नजर आई.

मित्तल और मस्क की प्रतिक्रियाओं पर सवाल पूछे जाने पर सिंधिया ने कहा कि 'टेलीकॉम एक्ट 2023 में साफ कहा गया है कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक तौर पर आवंटन होगा. भारत सैटकॉम स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक तौर पर आवंटन करके कुछ अलग नहीं कर रहा है. अगर भारत ऑक्शन के जरिए स्पेक्ट्रम का आवंटन करता तब चीजें अलग होतीं.' हालांकि उन्होंने साफ किया कि इसका मतलब ये नहीं कि इसकी कोई कीमत नहीं होगी, इसकी कीमत चुकानी होगी.

उन्होंने आगे कहा, 'सैटेलाइट स्पेक्ट्रम शेयर्ड स्पेक्ट्रम है. इसकी कीमत को अलग तरीके से तय नहीं किया जा सकता है. TRAI सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन करने के लिए सबसे बेहतर प्राइसिंग पेश करेगा.'

मस्क ने किया सिंधिया की बात का समर्थन

मामले पर मौजूदा स्थिति को बरकरार करने के सिंधिया के बयान पर मस्क ने लिखा कि 'हम उनके बयान की बहुत सराहना करते हैं. हम स्टारलिंक के साथ भारत के लोगों की सेवा करने के लिए अपनी ओर से सबसे अच्छी कोशिशें करेंगे.'

मंगलवार को एयरटेल ने सफाई दी कि वो भारत में ऑपरेट होने वाले सैटकॉम्स के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन प्लेइंग फील्ड समान होना चाहिए. इसके अलावा उसने कहा कि वो खासतौर पर शहरी इलाकों के लिए नीलामी की मांग कर रहे हैं. सभी जोन्स के लिए ये लागू नहीं होता.

एयरटेल Eutelsat OneWeb के साथ जॉइंट वेंचर में है और उसने पहली ही दो ग्राउंड स्टेशन बनाए हुए हैं. इसमें से एक गुजरात और दूसरा तमिलनाडु में है. कंपनी का मकसद भारत से आने वाले सभी कम्युनिकेशंस को सैटकॉम नेटवर्क पर हासिल करना है. कंपनी अभी ऐसी सेवाओं को कमर्शियल तौर पर उपलब्ध कराने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रही है.

अगर सरकार सैटकॉम आवंटन को लेकर रवैये में बदलाव का फैसला करती है, तो उसे टेलीकॉम एक्ट में संशोधन करना होगा. इसके अलावा उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ITU की ओर से तय स्टैंडर्ड्स के खिलाफ जाना होगा. भारत के दो बड़े ऑपरेटर्स नीलामी की मांग कर रहे हैं. ऐसे में टेलीकॉम सेक्टर के लिए आने वाले दिन रोचक होने वाले हैं.

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