रामदेव और बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, भ्रामक विज्ञापन मामले में माफीनामा मंजूर

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में मांगी गई माफी को स्वीकार कर लिया है.

Source: NDTV Profit

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से मंगलवार को योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के MD आचार्य बालकृष्ण को बड़ी राहत मिली गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में मांगी गई माफी को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अवमानना केस को भी बंद कर दिया है.

रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा कि कोर्ट ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा दिए गए वचनों के आधार पर अवमानना ​​कार्यवाही बंद कर दी है.

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को जारी अवमानना ​​नोटिस पर 14 मई 2024 को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

क्‍या है पूरा मामला?

बाबा रामदेव और उनकी कंपनी के खिलाफ मामला पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा पर सवाल उठाने के लिए रामदेव और उनकी कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की थी.

दरअसल, पतंजलि के कुछ विज्ञापनों में दिखाया गया था कि कैसे इसकी दवाएं कई बीमारियों का इलाज कर सकती हैं. यहां तक तो फिर भी ठीक था, लेकिन इन विज्ञापनों में एलोपैथिक और आधुनिक चिकित्सा को कमतर बताया गया और सवाल उठाए गए.

कोर्ट ने उन सभी प्रोडक्‍ट्स के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाने की बात कही थी, जो अस्थमा, मोटापा और इस तरह की बीमारियों को ठीक करने का वादा करते हैं.

पतंजलि ने कोर्ट से कहा था, कंपनी ये सुनिश्चित करेगी कि आगे चलकर किसी भी मेडिकल सिस्‍टम के खिलाफ मीडिया में किसी भी रूप में कोई भी बयान जारी नहीं किया जाएगा.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी के एक दिन बाद ही पतंजलि ने एक बयान जारी कर दिया.

कंपनी ने कहा, 'वो अपने प्रोडक्‍ट्स के संबंध में कोई 'झूठा विज्ञापन या प्रचार' नहीं कर रही है और अगर सुप्रीम कोर्ट जुर्माना लगाती है, तो भी उसे कोई आपत्ति नहीं है.' कंपनी ने यहां तक कह डाला कि अगर भ्रामक दावे करते हुए पाए जाएं तो हमें मौत की सजा भी दे दी जाए.'

इसी बयान के बाद आदेशों के उल्‍लंघन और अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी कार्यवाही शुरू हुई. इस मामले में कोर्ट ने कार्रवाई नहीं करने और आंखें मूंदे रहने के लिए उत्तराखंड सरकार और केंद्र को भी फटकार लगाई थी.

लेखक गौरव