G20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के एक मेगा इकॉनमिक कॉरिडोर (India Middle East Europe Economic Corridor) का ऐलान किया. इस प्रोजेक्ट में भारत, UAE, सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन (EU), फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल होंगे.
PM मोदी ने इसे ऐतिहासिक साझेदारी बताते हुए कहा कि आने वाले समय में ये भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का एक बड़ा माध्यम होगा. इस कॉरिडोर से दुनिया की कनेक्टिविटी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को एक नई दिशा मिलेगी.
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे का उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और ट्रे़ड फ्लो में मदद मिलेगी.
रेल एंड शिपिंग कॉरिडोर देशों को उर्जा उत्पादों समेत ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएगा. इसकी घोषणा से पहले अमेरिकी अधिकारी फाइनर ने कहा था कि अमेरिका की नजर से ये समझौता पूरे क्षेत्र में तनाव कम करेगा और हमें ऐसा लगता है कि इससे टकराव से निपटने में मदद मिलेगी.
इस प्रोजेक्ट में दो अलग-अलग कॉरिडोर शामिल होंगे. पूर्वी कॉरिडोर, भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ेगा. वहीं उत्तरी कॉरिडोर खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ेगा.
इस कॉरिडोर में रेलवे, शिपिंग नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे.
इस समझौते में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बड़ा फायदा होने वाला है.
इस इकॉनमिक कॉरिडोर में एक रेल और बंदरगाहों से जुड़ा नेटवर्क बनाया जाएगा, जिसमें सातों देश 'पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट' के तहत इन्वेस्टमेंट करेंगे.
चीन के BRI प्रोजेक्ट यानी 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव' की तर्ज पर ही इसे एक महत्वाकांक्षी योजना माना जा रहा है.
यूरोपियन कमिशन प्रेसिडेंट ने इसको लेकर एक डॉक्युमेंट तैयार किया है, जिसके मुताबिक इस प्रोजेक्ट को महाद्वीपों और सिविलाइजेशन के बीच एक ग्रीन और डिजिटल पुल माना जा रहा है.
इस योजना में डेटा, रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन प्रोजेक्ट्स शामिल होंगी. ये प्रोजेक्ट सऊदी अरब, UAE, जॉर्डन और इजरायल समेत मध्य पूर्व में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ेगी. ये भारत और यूरोप के बीच व्यापार को 40% तक बढ़ाएगी.
इस प्रोजेक्ट के जरिये भारत-अमेरिका पार्टनरशिप को मिडिल ईस्ट का सहयोग मिलने से पूरी तरह से गेम चेंजर साबित हो सकता है.
खासकर तब, जबकि BRI के तहत चीन कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर दबदबा है, ऐसे में वो देश भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहेंगे, जिनमें ईरान भी हो सकता है क्योंकि ये कॉरिडोर उन्हें गल्फ और यूरोप तक सीधी पहुंच दे सकेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के प्रिंसिपल डिप्टी नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर जोन फाइनर ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट से इन्फ्रास्ट्रक्चर गैप दूर होगा. इसके साथ ही ये एक पारदर्शी, सस्टेनेबल, उच्च कैटिगरी का प्रोजेक्ट होगा.
दरअसल, चीन के BRI प्रोजेक्ट में खाड़ी देश अहम जगह रखते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि G20 शिखर सम्मेलन में ये प्रोजेक्ट भारत, अमेरिका और अन्य सहभागी देशों के लिए एक बड़ी कामयाबी है.