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BQ Explainer: अमेरिका में शटडाउन की नौबत क्‍यों आई, नहीं टला खतरा तो क्‍या होगा और उपाय क्‍या हैं?

US कांग्रेस को इस संकट से बाहर निकलने के लिए 17 नवंबर तक का समय मिला, लेकिन संकट टला नहीं है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी05:42 PM IST, 27 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
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हर हफ्ते 6 बिलियन डॉलर का नुकसान, GDP ग्रोथ में कमी, क्रेडिट रेटिंग पर खतरा, शेयर बाजार में भारी गिरावट, लाखों सरकारी कर्मियों का वेतन बंद! ऐसी और भी तमाम चुनौतियां हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी इकोनाॅमी अमेरिका के सामने आ खड़ी हुई हैं.

वजह- अमेरिका पर मंडराता शटडाउन का खतरा. डेडलाइन नजदीक थी- 1 अक्टूबर. लेकिन इससे पहले मंगलवार को US सीनेट ने अल्‍पकालिक फंडिंग बिल पर 77 वर्सेज 19 वोटों से इसे आगे बढ़ा लिया. ऐसा करने से US कांग्रेस को इस संकट से बाहर निकलने के लिए 17 नवंबर तक का समय मिल गया है.

हालांकि इस समयसीमा तक डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच सहमति नहीं बनी तो अमेरिका को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जाहिर है कि इसका असर दुनियाभर के देशों पर भी होगा.

ऐसे में हमारे लिए भी समझना जरूरी हो जाता है कि शटडाउन क्या है, अमेरिका ये स्थिति क्‍यों पैदा हुई, इसका क्‍या प्रभाव पड़ेगा और इससे कौन लोग प्रभावित होंगे.

अमेरिका में 15वीं बार शटडाउन का खतरा!

अमेरिका में एक बार फिर शटडाउन की स्थिति पैदा हो गई है. यदि ऐसा हुआ तो ये 1981 के बाद से ये 15वां शटडाउन होगा. इससे पहले 14 बार ऐसी स्थिति आ चुकी है. पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में सबसे लंबा 35 दिन का शटडाउन रहा था.

अमेरिका की बाइडेन सरकार फिर से शटडाउन की ओर बढ़ रही है. इस स्थिति में केवल बहुत जरूरी सेवाएं जारी रहती है, जबकि गैर-जरूरी सेवाओं पर ब्रेक लग जाता है. संघीय एजेंसियां गैर-जरूरी समझी जाने वाली सभी गतिविधियों को रोक देंगी. सेना सहित लाखों संघीय कर्मचारियों का वेतन भी रोक दिया जाएगा.

इसकी डेडलाइन अब 17 नवंबर है. यदि US कांग्रेस फंडिंग योजना को पारित करने में सक्षम नहीं होती है (जिस पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर करते हैं) तो शटडाउन प्रभावी रूप से तुरंत बाद यानी उसी रात 12:01 बजे शुरू हो जाएगा. हालांकि, इस बात का अनुमान लगाना संभव नहीं होगा कि ये शटडाउन कितने समय तक चलेगा.

क्‍यों पैदा हुई शटडाउन की स्थिति?

अमेरिका में जब सरकारी कामकाज और सरकारी एजेंसियों के लिए पर्याप्त फंडिंग पास करने में सरकार असमर्थ हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में सरकारी शटडाउन की घोषणा की जाती है.

दिल्‍ली बेस्‍ड एक थिंक टैंक में पॉलिसी एक्‍सपर्ट अविनाश चंद्र ने BQ Prime हिंदी से बातचीत में बताया कि सरकार की जो आय होती है और जो खर्च होता है, उसका अंतर यानी बजट घाटा बेतहाशा बढ़ जाने के चलते शटडाउन की स्थिति आती है.

सरकारी कार्यों और योजनाओं के लिए जो बजट तैयार किया जाता है, कई बार समय के साथ उसका खर्च बढ़ जाता है. बजट वर्ष के दौरान कुछ आकस्मिक जरूरतों पर भी राशि खर्च होती है. सरकारें दोनों सदनों की सहमति के बिना भी कुछ खर्च कर देती हैं. इनके चलते भी बजट घाटा बढ़ जाता है. हाल का एक बड़ा उदाहरण, युद्ध में यूक्रेन की मदद पर गतिरोध है. इन वजहों से शटडाउन की स्थिति पैदा होती है.
अविनाश चंद्र, पॉलिसी एक्‍सपर्ट, नई दिल्‍ली

अविनाश आगे बताते हैं, 'जब कोई फंडिंग कानून नहीं बनाया जाता है, तो सरकारी एजेंसियों को सभी गैर-जरूरी काम (Non Essential Works) बंद करने पड़ते हैं.'

कुछ सरकारी संस्थाओं को छूट दी जाती है. जैसे कि सामाजिक सुरक्षा जांच जारी रहेगी. एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स और कानून प्रवर्तन अधिकारियों जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मियों को अपने काम पर रिपोर्ट करना होता है. बाकी लोगों को छुट्टी दे दी जाती है.

किन पर और कैसे पड़ेगा असर?

  • शटडाउन के दौरान, सरकार का संचालन एक तरह से बंद हो जाता है तो लाखों सरकारी कर्मियों को वित्तीय संकट से जूझना पड़ सकता है.

  • जब तक शटडाउन रहता है, तब तक उनका वेतन रुक जाता है. अमेरिकी कानून के तहत फंडिंग गतिरोध दूर होने के बाद ही कर्मचारियों को पिछला वेतन मिलता है.

  • अमेरिका में करीब 20 लाख सैन्य कर्मियों के अलावा करीब 20 लाख से अधिक सिविल कर्मी भी शामिल हैं, जिन्हें वेतन मिलने में देरी होगी.

  • इसके अलावा करीब 60% संघीय कर्मचारी रक्षा, सीनियर सिटीजन मामलों और होम लैंड सिक्‍योरिटी डिपार्टमेंट्स में भी तैनात हैं, जिन पर शटडाउन का असर हो सकता है.

  • शटडाउन के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष और सदस्य काम करते रहेंगे और उन्हें वेतन मिलता रहेगा. हालांकि जिन सदस्यों को जरूरी नहीं समझा जाएगा, उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी.

  • अमेरिका के सभी 50 राज्‍यों में संघीय कर्मचारी हैं. इनमें हवाई अड्डों पर सुरक्षा का संचालन करने वाले परिवहन सुरक्षा प्रशासन एजेंटों से लेकर डाक वितरित करने वाले डाक सेवा कर्मी तक शामिल हैं.

  • शटडाउन के दौरान कुछ संघीय कार्यालयों को भी बंद करना पड़ेगा या कुछ घंटों की कटौती का सामना करना पड़ेगा.

  • सरकार के कई डिपार्टमेंट काम करना बंद कर देंगे और जो प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर्स भी सरकार से जुड़े हैं वो भी अपने सर्विसेज बंद कर देंगे और अपने कर्मचारियों को या तो छुट्टी पर भेजे देंगे या उन्हें काम से निकाल देंगे.

  • सरकारी सेवाओं पर इसका काफी प्रभाव पड़ सकता है. क्लिनिकल परीक्षण, बंदूक परमिट और पासपोर्ट जैसी सरकारी सेवाओं पर भी असर हो सकता है.

अमेरिकी इकोनॉमी को बहुत बड़ा झटका

अमेरिका में शटडाउन की स्थिति आई तो इससे हर हफ्ते 6 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा. ये आकलन है अर्न्‍स्‍ट एंड यंग (E&Y) का. E&Y का कहना है कि शटडाउन से हर हफ्ते GDP का 0.1% हिस्सा कम हो जाएगा, वहीं गोल्डमैन सैक्स के अनुसार ग्रोथ में कमी का आंकड़ा 0.2% हो सकता है.

US ट्रैवल इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक, शटडाउन में ट्रैवल और टूरिज्‍म सेक्‍टर को हर दिन 140 मिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Moody's ने US की रेटिंग डाउनग्रेड करने की चेतावनी दी है. मूडीज के अनुसार, शटडाउन से आर्थिक और राजनितिक स्थिरता पर सवाल उठेंगे. मूडीज एकमात्र बड़ी रेटिंग एजेंसी जिस पर US की रेटिंग AAA बनी हुई है. फिच ने 1 अगस्त को US की रेटिंग AAA से घटाकर AA कर दी थी, जबकि S&P ने 2011 में ही US को डाउनग्रेड किया था और तब से रेटिंग नहीं बढ़ाई है.

ट्रंप के कार्यकाल में सबसे लंबा शटडाउन

1976 के बाद से 22 बार फंड की कमियां हुई हैं, जिनमें से 10 के कारण कर्मियों को छुट्टी पर भेजना पड़ा है. ज्यादातर शटडाउन बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद हुए हैं. 1981 से लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल के शटडाउन तक कुल 14 बार शटडाउन हो चुके हैं. 2018-19 में ट्रंप के कार्यकाल में मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के मुद्दे पर गतिरोध के चलते सबसे लंबा शटडाउन (35 दिन) चला था.

आर्थिक या राजनीतिक संकट!

अमेरिका की इकोनॉमी पर नजर रखने वाले रिसर्च फेलो और कई थिंक टैंक के साथ काम कर चुके पॉलिसी एक्‍सपर्ट कुमार आनंद इस संकट पर अलग राय रखते हैं. वे इसे आर्थिक के साथ राजनीतिक संकट भी बताते हैं. BQ Prime हिंदी से बातचीत के दौरान उन्‍होंने कहा कि प्री-शटडाउन स्थिति को वे लोकतंत्र के लिए अच्‍छा बताते हैं.

बहुत से लोग ये बात नहीं कहेंगे, लेकिन मैं कहूंगा कि लोकतंत्र के लिए ऐसी स्थिति पैदा होना अच्‍छा है. अमेरिकी डेमोक्रेसी में दोनों स्‍तंभों कार्यपालिका और विधायिका (Executive and Legislature) की जो व्‍यवस्‍था है, उसमें एक बजट तैयार करता है, दूसरा खर्च. इस खर्च पर दोनों सदनों की सहमति जरूरी होती है. सरकार पर जवाबदेही तय होती है कि देश के पैसे का सही इस्‍तेमाल हो. सरकार के लापरवाही या मनमानी करने पर ये देशभर के लिए डिबेट का मुद्दा बन जाता है.
कुमार आनंद, पॉलिसी एक्‍सपर्ट और अमेरिकी मामलों के जानकार

आखिर उपाय क्‍या हैं?

सरकार को फंड देना कांग्रेस की जिम्मेदारी होती है. सदन और सीनेट को किसी तरह से सरकार को फंड देने पर सहमत होना होगा और फिर राष्ट्रपति को बिल पर हस्ताक्षर करना होगा. कांग्रेस अक्सर मौजूदा स्तरों पर सरकारी कार्यालय खोलने के लिए स्टॉप गैप धन प्रदान करने के लिए सस्‍टेनेबल रेजॉल्‍यूशन (CR) पर भरोसा करती है, जिस दौरान बजट पर बातचीत चल रही होती है.

कुमार आनंद कहते हैं कि इन परिस्थितियों में अक्‍सर देखा गया है कि आखिरकार राजनीतिक हितों को लेकर समझौता हो जाता है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंंप के साथ गठबंधन करने वाले कुछ समर्थकों ने अब तक टेबल पर हर बिल का विरोध किया है.

हालिया परिस्थिति में कट्टरपंथी रिपब्लिकन का कहना है कि कोई भी अस्थायी बिल उनके लिए गैर-स्टार्टर है. वे सरकार को तब तक घेरे रखने पर जोर दे रहे हैं जब तक कि कांग्रेस, सरकार को फंड देने वाले सभी 12 बिलों पर बातचीत नहीं कर लेती. इसके लिए भी दिसंबर तक का समय लग सकता है.

(Source: BQ Research/Bloomberg/PTI/npr.org/ X@GregDaco/NDTV World)

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