नोएडा सेक्टर-18 के एक ग्रॉसरी स्टोर (Grocery Store) पर कई FMCG प्रोडक्ट्स के दाम बाजार भाव से कम लिए जाने के बाद जब मैंने शॉपकीपर से इसके पीछे का फंडा पूछा तो उन्होंने कहा, 'यही तो उनके स्टोर की USP है.' ग्राहकों से कम कीमत लेने के बावजूद उनका मुनाफा कम नहीं होता.
ये चौंकाने वाली बात इसलिए भी है कि एक तरफ हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज और मैरिको जैसी कंपनियां लगातार FMCG प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ा रही हैं और दूसरी ओर डिस्ट्रीब्यूटर्स घटते मार्जिन (HUL) को लेकर विरोध जता रहे हैं, वहीं एक रिटेल स्टोर, MRP से कम कीमत पर ग्राहकों को सामान दे रहा है. भला कैसे?
स्टोर में मौजूद ग्राहकों को स्टाफ के जिम्मे करने के बाद स्टोर के ऑनर प्रकाश शर्मा ने इसके पीछे की पूरी कहानी बताई. उन्होंने अपने मोबाइल में HUL का एक ऐप दिखाया- शिखर. इसी तरह ITC का ऐप उन्नति और कोकाकोला का ऐप कोकबडी भी उनके मोबाइल में इंस्टॉल था.
प्रकाश ने बताया कि कंपनियों के इन्हीं ऐप्स के जरिये वे अपने स्टोर्स के लिए माल ऑर्डर करते हैं. ये ऐप्स उन्हें ग्राहकों की पसंद, उनके इलाके की डिमांड और कंपनी के ऑफर्स के बारे में सटीक जानकारी देते हैं. अपनी सुविधानुसार प्रोडक्ट्स चुनने से उनका माल फंसता नहीं और मार्जिन के अलावा पेमेंट पर मिलने वाले ऑफर्स के चलते उनके मुनाफा बढ़ जाता है.
इस प्रोसेस में ऑर्डर भले ही ऑनलाइन होता है, जबकि उनके स्टोर तक माल ऑफलाइन यानी पारंपरिक तरीके से ही पहुंचता है. दरअसल, ये पूरा फंडा eB2B यानी बिजनेस-टू-बिजनेस ई-कॉमर्स मॉडल का है, जिसे करीब एक दशक से खूब पसंद किया जा रहा है.
आप जिस तरह अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, बिग बास्केट, ब्लिंकिट जैसे ई-कॉमर्स ऐप से सामान ऑर्डर करते हैं और अक्सर कई तरह के ऑफर्स की बदौलत पैसे बचाने में कामयाब होते हैं, दुकानदारों के लिए यही फंडा शिखर, उन्नति जैसे ऐप्स करते हैं.
इसे समझने के लिए हमने FMCG कंपनियों के लिए eB2B प्लेटफॉर्म डेवलप कर चुके स्टार्टअप SalesCode.ai के को-फाउंडर और CEO रंजीत कुमार से बात की. NDTV Profit हिंदी के साथ ऑनलाइन बातचीत में उन्होंने इसका मोडस ऑपरेंडी समझाया.
eB2B यानी बिजनेस-टू-बिजनेस ई-कॉमर्स मॉडल में डिस्ट्रिब्यूटर से दुकानदार तक माल इलेक्ट्रॉनिक मॉडल से पहुंचता है. आपके गांव-मुहल्ले, सोसाइटीज में जो ट्रेडिशनल दुकानें हैं, उनके पास कंपनी का सेल्समैन आता है, ऑर्डर लेता है और फिर डिस्ट्रीब्यूटर्स से उनकी दुकान तक माल पहुंच जाता है. जबकि eB2B में दुकानदार, डेडिकेटेड मोबाइल ऐप्स से ऑर्डर करते हैं.
स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट रेडसीर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत का eB2B मार्केट 40-45% CAGR से बढ़ रहा है और 2030 तक इसके 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. B2B जेनरल रिटेल बिजनेस में eB2B की हिस्सेदारी 8% होगी. हालांकि रंजीत कुमार AI की बदौलत इस आंकड़े के कहीं ज्यादा बढ़ने का दावा करते हैं.
रिपोर्ट कहती है कि eB2B ने ट्रेडिशनल मार्केट में अच्छी-खासी हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है. और इसके और बढ़ने का अनुमान है. 50% नॉन-यूजर्स आने वाले दिनों में eB2B प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं. रेडसीर के मुताबिक, कंपनियों की पहुंच से दूर मार्केट्स तक पैठ बनाने के लिए बड़े ब्रैंड eB2B को सीढ़ी बना रहे हैं.
सेल्सकोड (SalesCode.ai) के मार्केटिंग एंड स्ट्रैटेजी हेड मयूर गेरा कहते हैं कि इससे न केवल दुकानदारों या डिस्ट्रीब्यूटर्स, बल्कि कंपनियों को बड़ा फायदा पहुंचता है. वे कंपनियों को ग्रॉसरी लेवल पर 3 से 5% तक गारंटीड ग्रोथ का दावा करते हैं. HUL, ITC, कोकाकोला, P&G, मार्स, जॉनसन एंड जॉनसन, कोलगेट जैसी कंपनियों के लिए ये ग्रोथ 200 से 800 करोड़ तक आंकी गई है.
रंजीत कुमार कहते हैं, बीते कुछ सालों में दुकानदार का नजरिया बदला है, वो कंपनी से डायरेक्ट डील करना चाहते हैं. eB2B मॉडल ऐप्स उन्हें सीधे कंपनी से कनेक्ट करते हैं. हालांकि ऑर्डर के बाद ट्रेडिशनल चैनल से ही माल डिलीवर्ड होता है.
उन्होंने इसके कई और भी फायदे गिनाए.
ट्रेडिशनल बाजारों में कंपनी की पैठ, छूटे हुए मार्केट तक पहुंच
दुकानदारों को राइट प्राइस और राइट ऑफर्स उपलब्ध
चुनिंदा प्रोडक्ट्स के साथ कैटगरी वाइज कैटलॉग सुविधा
अपनी सुविधानुसार किसी भी समय ऑर्डर करने की सुविधा
कोई प्रोडक्ट लॉन्च होते ही ऑर्डर कर सकते हैं दुकानदार
ट्रेडिशनल प्रोसेस की तुलना में बिना देरी छोटे बाजारों तक पहुंच
देश में eB2B मॉडल में AI का प्रयोग बहुत नया है. इसकी स्ट्रैटेजी समझाते हुए मयूर कहते हैं, 'आज गूगल, बिंग जैसे सर्च इंजन या सोशल साइट्स, सबमें AI का इस्तेमाल हो रहा है. मार्केटिंग का फ्यूचर भी इसके बिना संभव नहीं. मार्केट में एक आदमी कुछ खरीदना चाहता है और दूसरा बेचना. AI इन्हीं दोनों के बीच का मीडियम बनता है. AI इतना स्मार्ट है कि आपको सेल के लिए एक्सट्रा एफर्ट नहीं लगाना होता.'
आपने गौर किया होगा कि आपका मोबाइल कैसे आपकी जासूसी करता है. आपने कोई सामान खरीदने की चर्चा भर की और आपको मोबाइल में उस चीज का एड शो होने लगता है. मयूर गेरा बताते हैं कि eB2B ऐप्स पर AI, दुकानदारों के लिए हाइपर पर्सनलाइज्ड आइटम शो करता है.
वे कहते हैं, एक सेल्सपर्सन 1 दिन में कितने ही दुकान कवर कर पाएगा और दुकानदार उसे कितना समय दे पाएंगे! 10 से 15 मिनट के भीतर सेल्समैन कम ऑर्डर लेकर ही निकल जाता है. वहीं व्यवहारिक तौर पर देखा जाए तो eB2B मॉडल में दुकानदार अपने खाली समय में आराम से आइटम्स एड करता जाता है और कार्ट से फाइनल ऑर्डर कर देता है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर ने खुद का eB2B ऐप 'शिखर' डेवलप किया है, जबकि ITC के लिए उन्नति और कोका कोला के लिए कोड बडी ऐप सेल्सकोड ने डेवलप किया है. कंपनी देश में 9 अन्य बड़ी कंपनियों को भी AI बेस्ड सॉल्यूशन प्रोवाइड कर चुकी है, जबकि कुल 18 देशों में 65+ कंपनियों को सर्विस देती है.
AI से बेरोजगारी के खतरे के सवाल पर रंजीत कहते हैं, 'AI पावर्ड eB2B मॉडल में ट्रेडिशनल चैनल ही यूज होता है, बस ऑर्डर ऐप बेस्ड होते हैं. ऐसे में सेल्समैन या अन्य प्रोफेशनल्स की नौकरी पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है.'