स्टार्ट-अप्स का एक पसंदीदा शहर है. नाम है बैंगलुरु. शहर के बीच एक कॉलोनी है, नाम है डॉलर कॉलोनी. यहां पहुंच कर एक ऑफिस मिलता है, ऑफिस ऐसी कंपनी का जिसने ब्रोकरेज की दुनिया को बदल कर रख दिया. नाम है Zerodha. इस नाम के पीछे है एक शख्स जो किसी के लिए यूथ आइकॉन है तो किसी के लिए स्टार्ट-अप की दुनिया का चमकता सितारा. नाम है नितिन कामत.
जैसे ही हम इस ऑफिस में पहुंचे, हमारा स्वागत एक 'खास मेहमान' ने किया. खास मेहमान का नाम है Zero, जो कभी फ्लोर पर टहलती है तो कभी हमारे पास आकर बैठ जाती है और हमारे साथ वो भी नितिन कामत के आने का इंतजार करती है. नितिन कामत के आते ही Zero ने अपने ही अंदाज में उनका स्वागत किया और जैसे ही हमारी बातचीत शुरू हुई, वो वहां से हट गई. ऑफिस के एक स्टाफ ने आवाज लगाई, "Zero, इकड़े आ...(Zero, इधर आओ)"
Zerodha के फाउंडर नितिन कामत ने इसका नाम Zero तब रखा जब उन्होंने इसे पहली बार गैराज में देखा था, इसके बाद ही इसे परिवार के सदस्य के रूप में अपना लिया. Zero ने, बीते 9 सालों में देश के सबसे बड़े ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के बनने और बढ़ने का पूरा सफर अपनी आंखों से देखा है.
बातचीत की शुरुआत हुई तो साफ था कि हम नितिन कामत से क्या जानना चाहते हैं. शांत, सरल स्वभाव के मृदुभाषी नितिन कामत अच्छे से जानते हैं कि उन्हें कब क्या करना है. वो ऐसे बिजनेसमैन नहीं हैं जो बिना सोचे-समझे कारोबार के विस्तार के बारे में सोचें और खास कर ऐसे तो बिल्कुल नहीं जो सिर्फ पैसे जुटाने के लिए IPO ले आएंं.
उनका कहना है "हमें अभी फंड की जरूरत नहीं, लेकिन बाद में अगर जरूरत होगी तो हम इस पर विचार करेंगे"
नितिन कामत का मानना है कि "शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली कंपनियों के लिए भविष्य का अंदाजा लगाना काफी जरूरी होता है लेकिन ब्रोकरेज की दुनिया में कोई अंदाजा नहीं चलता"
हमारा कारोबार हमें मुनाफा दे रहा है. हमारी कोई बड़ी महत्वाकांक्षाएं भी नहीं हैं और दूसरी बात जो हमने सोच रखी है कि हम कभी नए कस्टमर्स लाने पर खर्च नहीं करेंगे.नितिन कामत, फाउंडर, Zerodha
भारतीय शेयर बाजार में इन्वेस्टर्स की संख्या सच में उतनी ज्यादा नहीं है जितनी बताई जाती है. कामत कहते हैं, "ये आंकड़ा 10 करोड़ नहीं महज 3.5 करोड़ है."
कामत के सहयोगी उन्हें कहते हैं कि एक एंटरप्रेन्योर के तौर पर वो काफी निराशावादी हैं. इसके जवाब में नितिन कहते हैं, "मैं खुद को एक तर्कसंगत आशावादी इंसान के रूप में देखता हूं जो खराब से खराब संभावनाओं के बारे में भी सोच कर चलता है. इसका फायदा ये होता है कि मैं जल्दी निराश नहीं होता हूं क्योंकि अगर मैं निराश हो जाऊंगा तो मैं बिजनेस नहीं कर पाऊंगा.
IPO मार्केट में ASBA पहले ही लागू है. 40 मिनट की चर्चा के दौरान नितिन ने सेकेंडरी मार्केट में भी ASBA की तर्ज पर ड्राफ्ट प्रपोजल लाने को लेकर बातचीत की. इसके अलावा उन्होंने ई-रुपी या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी और सरकारी स्कीम्स में इसकी उपयोगिता पर भी बात की.
"ट्रेडर्स की बुनियादी परेशानियों को दूर करना चाहता था, उस वक्त ब्रोकरेज काफी ज्यादा थी और ब्रोकिंग का कारोबार काफी उलझा हुआ और साफ-सुथरा नहीं था जिसे पारदर्शी बनाने की जरूरत थी"Zerodha को शुरू करने के सवाल पर नितिन कामत
ट्रेडर्स की परेशानी दूर करने से शुरू कर के Zerodha ने काफी लंबा सफर तय किया है.
"जैसे-जैसे कारोबार आगे बढ़ा, हमें लगा कि लोगों को एजुकेट करने की काफी जरूरत है क्योंकि हमारे देश में फाइनेंशियल लिटरेसी काफी कम है. इस आइडिया के साथ हमारे दूसरे प्लेटफॉर्म्स की शुरुआत हुई. फिर हमें लगा, सिर्फ कम दरों पर पारदर्शी ब्रोकरेज और लोगों को एजुकेट करने से काम नहीं चलेगा. लोगों को बेहतर टूल्स, यूटिलिटीज और बेहतर प्लेटफॉर्म की भी जरूरत है और फिर शुरू हुआ हमारा इन-हाउस प्लेटफॉर्म- Kite"
BQ Prime: निवेशकों के लिए आपकी क्या राय है? अभी पैसे खर्च करें या बचत करें?
नितिन कामत: दोनों ही करना चाहिए. मुझे लगता है बचत करना और निवेश करना दोनों बहुत जरूरी है. वो लोग जो 20 से 35 की उम्र में हैं उनके लिए जॉब्स की काफी कमी है क्योंकि टेक्नोलॉजी ने कई जॉब्स में इंसानों की जरूरत को खत्म कर दिया है. टेक्नोलॉजी कई चीजों को बेहतर बना रही है और मेडिकल प्रोग्रेस की वजह से लोगों का जीवन काल बढ़ रहा है. तो जब आज का 20 साल का व्यक्ति 50 साल का होगा तो उसके लिए नई जॉब खोजना काफी मुश्किल हो जाएगा और ये हम अभी से ही देख पा रहे हैं.
देश के सबसे बड़े ब्रोकरेज हाउस के दफ्तर में पहुंचने पर कल्पना के उलट हमें एक साधारण ऑफिस मिला जहां से असाधारण काम हो रहा है. और मिले उतने ही साधारण एंटरप्रेन्योर जो अपनी इंडस्ट्री को लेकर असाधारण सोच रखते हैं.
नितिन कामत का पूरा इंटरव्यू यहां देखें.