दिसंबर के खात्मे के साथ लोगों ने 2025 में बाजार की संभावनाओं पर टकटकी लगाना शुरू कर दिया है.
NDTV प्रॉफिट के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कोटक महिंद्रा AMC के नीलेश शाह ने निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में सालभर का उतार-चढ़ाव ना देखते हुए लंबी अवधि का नजरिया बनाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में T20 की तरह नहीं, बल्कि टेस्ट मैच की तरह खेलना चाहिए.
इस इंटरव्यू में उन्होंने आउटलुक 2025 के साथ-साथ निवेशकों के लिए स्ट्रैटेजी पर भी कुछ जरूरी टिप्स दी हैं. साथ ही उन्होंने बदलती वैश्विक स्थितियों में भारत के भविष्य और इसकी ग्रोथ पर भी खुलकर राय रखी है.
नीलेश शाह के मुताबिक बाकी देशों ने 2024 में सेल्फ गोल किए. भारत ने नहीं किया. मतलब बाकी देशों की रफ्तार धीमी हुई, लेकिन भारत की ग्रोथ बरकरार रही. उन्होंने आगे कहा, 'पोर्टफोलियो में सालभर का उतार चढ़ाव देखना सही नहीं है. 5-10 साल की लंबी अवधि का नजरिया रखें.'
पिछले 5 साल T20 जैसे थे. जबरदस्त रिटर्न रहा. मतलब लोगों की उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं. हमें नहीं लगता कि 2025 में इतना रिटर्न मिलेगा. इसलिए अब धैर्य के साथ टेस्ट खेलने का वक्त आ गया है.नीलेश शाह
शाह ने ये भी कहा कि मार्केट में निवेशक पैसा बनाएगा. ट्रेडर के बारे में कहना मुश्किल है.
शाह के मुताबिक 2025 में वैल्युएशन पर ध्यान देना जरूरी है. कोई स्टॉक कल चला, आगे चलेगा की गारंटी नहीं है. लेकिन सस्ता खरीदा है, तो चलने की संभावना ज्यादा है.
उन्होंने आगे कहा, 'भारत खुद उभर रहा है. कई सेक्टर अच्छा करेंगे. रोबोटिक्स में प्रिसिजन पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां बेहतर करेंगी, जैसे 90 के दशक के आखिर में IT कंपनियों ने किया. दो दशक पहले फार्मा ने किया. 2025 में IT, फार्मा, टेलीकॉम, प्राइवेट बैंक और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में ग्रोथ होगी. जबकि कैपिटल गुड्स, इंफ्रा, डिफेंस, रेलवे जैसे सेक्टर्स में वैल्युएशन महंगे हैं.'
शाह के मुताबिक पोर्टफोलियो को बैलेंस्ड रखना जरूरी है. सारा पैसा फिक्स्ड इनकम में नहीं लगाएं. क्या पता शायद इक्विटी से नेगेटिव रिटर्न ना आए. जितने पैसे का आप जोखिम नहीं ले सकते, वो फिक्स्ड इनकम में लगाएं. पर जितना जोखिम ले सकते हैं, वो इक्विटी में लगाना जरूरी है. क्योंकि जोखिम के बिना रिटर्न नहीं मिलता. अगर रिटर्न कम होगा, तो महंगाई आपको हरा देगी. इक्विटी, रियल एस्टेट और गोल्ड मिलाकर महंगाई को बीट करना चाहिए, ताकि हर साल संपत्ति में वृद्धि हो.
वहीं फंड एलोकेशन पर शाह कहते हैं, 'कोर पोर्टफोलियो में लार्ज कैप, ब्लू चिप और मिड कैप फंड रखते हैं. फिर एक सैटेलाइट पोर्टफोलियो बनाइए, जहां सेक्टोरल या थीम बेस्ड शेयरों को रख सकते हैं. रिटेल निवेशकों को फंड मैनेजर को निवेश का दायित्व दे देना चाहिए, ताकि सही सलाह मिले.'
बदलती वैश्विक स्थितियों पर चर्चा करते हुए नीलेश शाह ने कहा, 'एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश हैं, जबकि दूसरी तरफ रूस और चीन. जहां भी भारत जाएगा, वो पलड़ा भारी होगा. इसलिए हमें अपने हितों को देखते हुए योजना के साथ कदम उठाने होंगे.'
शाह ने बिजनेस करने की सहूलियत बढ़ाने पर कहा, 'उदारीकरण के बाद लाइसेंस राज का खात्मा हुआ. आज इंस्पेक्टर राज को खत्म करने जरूरत है. ताकि व्यवसाय करने की सहूलियत और बढ़े. हमारा एंटरप्रेन्योर दुनिया में किसी से भी कंपिटीशन कर पाएगा.'
उन्होंने कहा, 'सिंगूर में टाटा की फैक्ट्री नहीं लगी, साणंद में लगी. नैनो नहीं चली, पर टाटा की फैक्ट्री चल गई. आज साणंद काफी आगे है. जबकि सिंगूर के लोग रंज मना रहे हैं. कोशिश ये करनी चाहिए कि पूरे भारत में एंटरप्रेन्योर को रेड कार्पेट मिले, उन्हें व्यवसाय करना आसान हो.'
शाह ने बजट से उम्मीदों से जुड़े सवाल पर कहा, 'फिस्कल कंसोलिडेशन का अच्छा काम हुआ है, उस पर बजट में काम जारी रखना चाहिए. इस बीच बैंक लॉकर में पड़े सोने को डी-फ्रीज कर अर्थव्यवस्था में लाने के लिए कुछ आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग करना चाहिए.'
शाह के मुताबिक 'विदेशी निवेशकों ने अपने निवेश का छोटा हिस्सा बेचा है. भले ही ये रकम के तौर पर बड़ा लगे. दरअसल उन्होंने प्रॉफिट बुकिंग भी की. फिर ट्रंप भी फैक्टर रहे. कमजोर रुपये और भारतीय बाजार के वैल्युएशन के चलते भी ये सेलिंग हुई है. ये महज री-अलाइनमेंट ही है. हम ग्रोथ और गवर्नेंस पर फोकस करेंगे, तो FPIs आएंगे ही आएंगे.'
वहीं वैल्युएशन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, 'बाजार में फ्रॉथ वाले कुछ सेक्टर्स को छोड़ दें, तो भारतीय बाजार में वैल्युएशन ठीक है. IT, फार्मा, प्राइवेट बैंक में ऐतिहासिक वैल्युएशन के आसपास बहुत कंपनियां मौजूद हैं.'
वहीं आने वाले जोखिम पर चर्चा करते हुए नीलेश शाह कहते हैं, 'जो कथित रिस्क थे, वे लोग जान ही चुके हैं. ट्रंप आकर ब्याज दरों में उथल-पुथल करेंगे, उसके लिए बाजार तैयार है. फरवरी में शायद भारत में भी ब्याज दरों में कटौती ना हो. इसलिए इसे जोखिम कहना ठीक नहीं है, बल्कि ये इंफॉर्म्ड डिसीजन हैं. जिस हिसाब से स्थिति बने, वैसा निर्णय लेना होगा. जैसी गेंद आए, वैसी बल्लेबाजी जरूरी.'
शाह के मुताबिक अर्निंग्स ग्रोथ बुल मार्केट को आगे ले जाने वाला ट्रिगर है. जब तक कंपनियों की अर्निंग्स बढ़ेगी, शेयर की कीमत बढ़ती जाएगी.
नीलेश शाह आगे कहते हैं, 'अमेरिका में फेड ने बखूबी लिक्विडिटी और महंगाई को मैनेज किया है. महंगाई दर अब नीचे आई है और अर्थव्यवस्था धीमी जरूर है, पर मंदी में नहीं गई. रिकवर कर रही है.'
नीलेश शाह के साथ ये पूरी बातचीत यहां देखें