ADVERTISEMENT

Year Ender 2024: रोलर कोस्टर पर सवार रही देश की अर्थव्यवस्था; सुस्त GDP, कमजोर रुपये और बंपर टैक्स की रही चर्चा

साल 2024 भी ब्याज दरों में कटौती का इंतजार करते-करते खत्म हो गया, इसी महीने रिटायर हुए पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी01:56 PM IST, 23 Dec 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

साल 2024 के गुजरने के साथ ही इस बात का मूल्यांकन करना कि भारत के लिए ये साल कैसा रहा, कुछ आर्थिक आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी हो जाता है. GDP से लेकर वित्तीय घाटे तक भारत के लिए साल 2024 काफी उतार चढ़ाव वाला रहा. साल 2023 में भारत को ब्राइट स्पॉट कहा गया, जो साल 2024 की शुरुआत तक कहा जाता रहा. लेकिन साल 2024 का पटाक्षेप जिस मोड़ पर हो रहा है, वो उतना सुखद नहीं है. अर्थव्यवस्था के पैरामीटर्स थोड़ा अस्थिर हैं.

रोलर कोस्टर पर सवार GDP ग्रोथ

साल 2024 में देश की अर्थव्यवस्था रोलर कोस्टर पर सवार रही. FY24 की चौथी तिमाही में देश की GDP ग्रोथ 7.8% रही थी, पूरे FY24 के दौरान GDP ग्रोथ ने तमाम अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए 8.2% का स्तर छू लिया था. ये आंकड़ा सरकार का सीना चौड़ा करने के लिए काफी था. PM मोदी ने तब कहा था कि ये तो बस शुरुआत है, आगे बहुत कुछ होने वाला है. लेकिन

नए वित्त वर्ष की पहली ही तिमाही यानी Q1FY25 में GDP ग्रोथ फिसलकर 6.7% पर आ गई, जो कि 15 महीने में सबसे खराब आंकड़ा था. एग्रीकल्चर और माइनिंग जैसे सेक्टर में स्लोडाउन ने अर्थव्यवस्था की गाड़ी पर मानो ब्रेक ही लगा दिया, लेकिन मुश्किलें यहां थमी नहीं. अगली तिमाही यानी Q2FY25 में देश की GDP ग्रोथ 5.4% पर आ गई, जो कि तमाम अनुमानों से काफी कमजोर था, ये आंकड़ा 7 तिमाहियों का सबसे खराब आंकड़ा था.

रेट कट के इंतजार में बीता साल, दास रिटायर

साल 2024 भी ब्याज दरों में कटौती का इंतजार करते-करते खत्म हो गया, इसी महीने रिटायर हुए पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. रिजर्व बैंक ने मई 2022 के बाद ब्याज दरों में लगातार इजाफा करना शुरू किया था, लगातार 6 इजाफों के बाद रेपो रेट में 250 bps की बढ़ोतरी की जा चुकी है. फरवरी 2023 में रेपो रेट को आखिरी बार चौथाई परसेंट बढ़ाकर 6.5% किया था, तब से लेकर अबतक रेपो रेट इसी स्तर पर बरकरार है.

हालांकि दिसंबर पॉलिसी में कैश रिजर्व रेश्यो CRR को जरूर 50 बेसिस प्वाइंट कम किया गया है. यही शक्तिकांता दास की आखिरी पॉलिसी थी, उन्होंने 6 साल तक RBI गवर्नर का पद संभाला, 11 दिसंबर, 2024 को उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक का नया गवर्नर बनाया गया है.

रुपये की हालत पतली

ये साल रुपये की सेहत लिए बहुत ही बुरा साबित हुआ है. डॉलर के मुकाबले रुपये की हालत तेजी से पतली हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपया अब 85 के पार निकल चुका है. साल 2024 की शुरुआत में रुपया 83 के स्तर पर हुआ करता था. रुपये में लगातार आ रही इस गिरावट की कई वजहें हैं. लगातार विदेशी निवेश बाजार से निकल रहा है, साथ ही महंगाई भी लंबे समय से घटी नहीं है. हालांकि सितंबर में डॉलर इंडेक्स में बड़ी गिरावट आई थी, ये 106 के स्तर से फिसलकर 101 पर आ गया था, बावजूद इसके रुपये में कोई सुधार होता हुआ नहीं दिखा. रुपये के मजबूत नहीं होने की एक वजह है रिजर्व बैंक की ओर से लगातार डॉलर की खरीदारी.

ट्रैक पर वित्तीय घाटा

देश का वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2025 के पहले सात महीनों में पूरे साल के बजट लक्ष्य का 46.5% हो चुका है. सरकार की कमाई और खर्चों के बीच जो अंतर होता है उसे वित्तीय घाटा कहते हैं. अप्रैल-अक्टूबर के दौरान ये 7,50,824 करोड़ रुपये था. सरकार ने बजट के दौरान FY25 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य GDP का 4.9% रखा है, जबकि इसके पहले FY24 में लक्ष्य 5.6% था.

कुल मिलाकर सरकार वित्तीय घाटे को FY24 में 16,13,312 करोड़ पर ही रोकना चाहती है. पहले सात महीने के आंकड़ों से लगता है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट का मैनेजमेंट ट्रैक पर है. हालांकि कैपेक्स को लेकर थोड़ी चिंता जरूर है क्योंकि पहले 7 महीनों में ये 42% रहा है, ऐसे में बाकी 58% कैपेक्स बचे हुए 5 महीनों में कैसे खर्च होगा.

ट्रेड डेफिसिट नई ऊंचाई पर

देश का व्यापार घाटा भी इस साल नई ऊंचाई पर पहुंच गया. नवंबर में भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 37.84 बिलियन डॉलर. जो कि अबतक का ऑल टाइम हाई है. अक्टूबर में ये 27.1 बिलियन डॉलर था.इसी महीने में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 4.85% घटकर 32.11 बिलियन डॉलर रहा, जबकि इंपोर्ट 27.04% बढ़कर 69.95 बिलियन डॉलर रहा. अक्टूबर में ये एक्सपोर्ट 39.2 बिलियन डॉलर और इंपोर्ट 66.34 बिलियन डॉलर रहा था.अप्रैल से नवंबर के दौरान में भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में पिछले साल के अप्रैल-नवंबर की तुलना में 2.17% की बढ़ोतरी हुई, जबकि इंपोर्ट 8.35% बढ़ गया जिसके चलते देश का व्यापार घाटा बढ़ा.

सरकार को मिला बंपर टैक्स

इस साल देश में डायरेक्टर टैक्स कलेक्शन की रफ्तार काफी तेज रही है. अप्रैल-नवंबर 2024 तक 12.11 लाख करोड़ रुपये का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन रहा है, जो कि पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले 15.41% ज्यादा है, पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 10.49 लाख करोड़ रुपये था. अभी तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन सरकार के तय लक्ष्य 22.12 लाख करोड़ रुपये को आसानी से हासिल करता हुआ दिख रहा है.

डायरेक्टर टैक्स के साथ साथ इनडायरेक्टर टैक्स कलेक्शन भी इस साल धमाकेदार रहा. अप्रैल 2024 में सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपये का GST कलेक्शन हुआ, जो कि इतिहास में अबतक सबसे ज्यादा है. इसके बाद नवंबर 2024 में ताजा GST कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि दूसरा सबसे ऊंचा कलेक्शन है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT