ADVERTISEMENT

आपके मुनाफे में एक्स्ट्रा रिटर्न जोड़ता है डिविडेंड, निवेशकों को ऐसे मिलता है फायदा

डिविडेंड के जरिये कोई कंपनी अपने शेयरधारकों के बीच अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा बांटती है. जो कंपनियां लगातार डिविडेंड देती हैं, वे आमतौर पर वित्तीय रूप से मजबूत मानी जाती हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी06:28 PM IST, 29 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

शेयर बाजार में निवेश करते समय निवेशक कई बार सिर्फ स्टॉक्स की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी पर ही ध्यान देते हैं. निवेश का एक और महत्वपूर्ण पहलू जो अक्सर अनदेखा रह जाता है, वो है डिविडेंड. ये न केवल कंपनियों की स्थिरता और मुनाफे का संकेत देते हैं, बल्कि निवेशकों के कुल रिटर्न में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आगे जानेंगे कि डिविडेंड कैसे आपके मुनाफे में एक्स्ट्रा रिटर्न जोड़ते हैं और निवेशकों को इससे क्या-क्या फायदे होते हैं.

कंपनियों की मजबूती का संकेत है डिविडेंड

डिविडेंड के जरिये कोई कंपनी अपने शेयरधारकों के बीच अपने प्रॉफिट यानी मुनाफे का एक हिस्सा बांटती है. जो कंपनियां लगातार डिविडेंड देती हैं, वे आमतौर पर मुनाफा कमाने वाली और वित्तीय रूप से मजबूत मानी जाती हैं. उसके लगातार डिविडेंड देने से संकेत मिलता है कि वो फ्री कैश फ्लो जेनरेट करने में सक्षम है और अपनी ग्रोथ को जारी रख सकती है.

इस तरह से डिविडेंड पेमेंट, कंपनी की वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेत होता है. डिविडेंड देने वाली कंपनियां अक्सर ज्यादा स्थिर होती हैं. जब शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है, तो इन कंपनियों के स्टॉक्स तुलनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं. खास बात ये भी है कि डिविडेंड का पेमेंट केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है. मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियां भी अच्छा डिविडेंड देती हैं. ऐसी कंपनियों के शेयर आम निवेशकों के लिए निवेश के आकर्षक विकल्प हो सकते हैं.

डिविडेंड से कैसे मिलता है डबल बेनेफिट?

डिविडेंड दो तरह से आपके मुनाफे को बढ़ाने में मदद करता है. डिविडेंड देने वाली कंपनियां मजबूत मानी जाती हैं, जिसके कारण लंबी अवधि में उनके शेयरों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है और दूसरे डिविडेंड पेमेंट के तौर पर निवेशकों को सीधे कंपनी से पैसे मिल जाते हैं. कंपनी से मिलने वाली इस डिविडेंड इनकम को आप अतिरिक्त आय भी मान सकते हैं. आइए इसे एक उदाहरण से समझें:

  • मान लीजिए आपने किसी कंपनी के 500 शेयर 400 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर खरीदे हैं.

  • आपके कुल निवेश की राशि होगी: 2,00,000 रुपये.

  • कंपनी का सालाना रिटर्न 15% है, जिससे आपको 30,000 रुपये का लाभ होगा.

  • इसके अलावा, कंपनी प्रति शेयर 12 रुपये का डिविडेंड देती है, जिससे आपको 6,000 रुपये का डिविडेंड मिलेगा.

  • इस प्रकार, आपका कुल मुनाफा 36,000 रुपये (30,000 + 6,000 रुपये) हो जाएगा.

डिविडेंड के कंपाउंडिंग रिटर्न की मिसाल

डिविडेंड निवेशकों के मुनाफे में एक्स्ट्रा रिटर्न कैसे जोड़ता है और इसका कंपाउंडिंग इफेक्ट क्या होता है, इसे आप निफ्टी 500 इंडेक्स और निफ्टी 500 टोटल रिटर्न इंडेक्स (Nifty 500 TRI) की तुलना से भी समझ सकते हैं. निफ्टी 500 टोटल रिटर्न इंडेक्स में डिविडेंड के तौर पर मिला रिटर्न भी शामिल है. बड़ौदा BNP पारिबा म्यूचुअल फंड के अनुसार जनवरी 2000 से जुलाई 2024 तक निफ्टी 500 इंडेक्स की कंपाउंडिंग ग्रोथ 12.5% थी, जबकि निफ्टी 500 TRI की ग्रोथ रेट 14.2% रही. इससे पता चलता है कि डिविडेंड ने इस अहम इंडेक्स में 1.7% एक्स्ट्रा रिटर्न जोड़ा. इस अंतर की अहमियत को ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर जनवरी 2000 में निफ्टी 500 TRI में 1 लाख रुपये का निवेश किया गया होता तो आज उसकी वैल्यू 26 लाख रुपये होती. वहीं निफ्टी 500 इंडेक्स (डिविडेंड के बिना) में इसी निवेश की वैल्यू 18 लाख रुपये होती. यानी 24 साल के कुल रिटर्न में 30% से ज्यादा योगदान अकेले डिविडेंड का रहा है.

कुल मिलाकर देखें, तो डिविडेंड पेमेंट करने वाले स्टॉक निवेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT