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NDTV Profit Analysis: रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के शेयरों को हुआ क्‍या है, क्‍यों निगेटिव रिटर्न की ओर बढ़ रही है कंपनी?

रिलायंस अपनी वार्षिक आम बैठक (AGM) के बाद से ही कमजोर प्रदर्शन कर रही है.
NDTV Profit हिंदीसजीत मंघाट
NDTV Profit हिंदी01:15 PM IST, 13 Dec 2024NDTV Profit हिंदी
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मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने पिछले तीन महीनों में सिर्फ कमजोर प्रदर्शन ही नहीं किया है, बल्कि इसने बाजार को भी अंडरप्ररफॉर्म किया है. कंपनी 10 वर्षों में पहली बार निगेटिव वार्षिक रिटर्न का रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज 8% वेटेज के साथ निफ्टी 50 में तीसरा प्रमुख हैवीवेट है. पिछले तीन महीनों में ये 15% तक गिर गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान निफ्टी में 4.9% से ज्‍यादा की गिरावट आई है. निफ्टी के इस गिरावट में भी RIL का अहम रोल रहा है.

इस अवधि के दौरान निफ्टी 50 इंडेक्स में योगदान के मामले में रिलायंस, सबसे बड़ी घाटे वाली कंपनी रही है, उसके बाद ITC और HUL का नंबर आता है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी वार्षिक आम बैठक (AGM) के बाद से ही कमजोर प्रदर्शन कर रही है, जब इसने रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो के मॉनेटाइजेशन के लिए कोई स्‍पष्‍ट समयसीमा नहीं दी. इससे शेयरहोल्‍डर्स काफी निराश हुए थे.

हालांकि कंपनी ने निवेशकों की चिंता को कम करने के लिए AGM के दिन 1:1 के बोनस का ऐलान भी किया था, हालांकि स्टॉक अभी भी कमजोर प्रदर्शन कर रहा है. बता दें कि कंपनी ने 2014 के बाद पहली बार 2024 में 2.3% का निगेटिव रिटर्न दिया है.

साल 2024 में, RIL के शेयर ने AGM से पहले जनवरी और जून के महीने में 10.34% और 9.44% रिटर्न दिया था, जबकि सितंबर से ये शेयरहोल्‍डर्स को निगेटिव रिटर्न दे रहा है और ये फ्यूचर्स शॉर्ट पोजीशन में बढ़ोतरी के साथ मेल खाता है, जो HDFC बैंक के बाद 21,000 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है.

ओपन इंटरेस्ट पोजीशन में बढ़ोतरी भी लंबे समय तक अंडर परफॉरमेंस की उम्मीद का एक संकेत है और निवेशक अपने पोर्टफोलियो में अपनी पोजीशन की हेजिंग में लगे हुए हैं.

इंडेक्स कॉम्‍पोनेंट्स के लिए बेंचमार्क किए गए पैसिव फंड्स ने पिछले कुछ महीनों में खराब प्रदर्शन किया है, जबकि सक्रिय रूप से मैनेज्‍ड फंड (जिनके पोर्टफोलियो में RIL, 8-10% के बीच है) ने बेंचमार्क इंडेक्स से खराब प्रदर्शन किया है.

रास्‍ते में पत्‍थर ही पत्‍थर!

रिलायंस को कई स्तरों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

  • रिटेल ऑपरेशन काे री-स्‍ट्रक्‍चर और काॅन्‍सोलिडेट किया जा रहा है. इससे कंपनी के लिए शेयरहोल्‍डर अनलॉकिंग प्‍लान्‍स में देरी हुई है, जो क्विक कॉमर्स और स्‍ट्रक्‍चरल रिटेल शिफ्ट में कंपटीशन का सामना कर रही है.

  • 'प्रति यूजर औसत राजस्व' (ARPU) बढ़ाने की इसकी योजनाएं अपेक्षा से धीमी हैं, क्योंकि कंपटीशन और सिम कार्ड का काॅन्‍सोलिडेशन इंडस्‍ट्री को आगे ले जा रहे हैं, लेकिन टैरिफ बढ़ोतरी का पूरा प्रभाव पड़ना अभी बाकी है.

  • तेल-गैस (Oil & Gas) और पेट्रोकेमिकल मार्जिन दबाव में हैं और न्यू एनर्जी बिजनेस, जहां कैपेक्‍स का एक बड़ा हिस्‍सा लगा हुआ है, वो परिचालन समय से पीछे है.

  • इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों के पूंजीगत व्यय (Capex) से परिचालन से महत्वपूर्ण कैश फ्लो आने की उम्‍मीद थी, लेकिन वैश्विक बाधाओं और मार्जिन प्रेशर के चलते कैश फ्लो अनुमानित स्तरों से नीचे है. इससे कंपनी को पूंजीगत व्यय और अन्य विकास योजनाओं की फंडिंग के लिए कर्ज लेने की जरूरत है.

पिछले तीन महीनों के शेयर मूल्य में गिरावट के चलते अकेले रिलायंस का रिवर्सल, निफ्टी 50 में 340 से अधिक अंक जोड़ सकता है.

नीचे देखिए पूरी वीडियो:

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