हाल के दिनों में मार्केट करेक्शन (Market Correction) यानी गिरावट के बाद इन्वेस्टर्स के दिमाग में कई तरह के सवाल हैं. जैसे- क्या इस करेक्शन के बीच और पैसा लगाएं या कैश पर बैठे रहें. या फिर इस तरह के किसी करेक्शन से बचने के लिए पोर्टफोलियो में वैरायटी कैसे लाएं या संभावित जोखिम को कैसे मैनेज करें.
इन सारे सवालों के जवाब आपको मिलेंगे BQ प्राइम हिंदी पर दिग्गज निवेशक और GQuant Investech के फाउंडर शंकर शर्मा (Shankar Sharma) से. उनसे बात की BQ प्राइम के अगम वकील ने.
शंकर शर्मा कहते हैं कि 'मार्केट ओवरहीटेड लग रहा था. बिना जानकारी वाले लोग पैसा बना रहे थे. इस तरह की चीजें लंबी नहीं चलती हैं. ये बहुत साफ था कि एक झटका आने वाला है. बाजार का नियम है कि ऐसे झटके में ज्यादातर लोग पैसा गवाएंगे. तो आम जनता जब ज्यादा पैसा बनाने लगे, तो सावधानी रखी जानी चाहिए. मैंने ये वॉर्निंग भी दी थी. फिर मार्केट में काफी शार्प करेक्शन आया. इस बाजार में ज्यादा लालच में पड़ेंगे तो कभी पैसे नहीं बन पाएंगे, इसलिए जरूरी है कि थोड़े पैसे ले लें यानी कुछ मुनाफावसूली कर लें.'
शर्मा आगे कहते हैं, 'इस करेक्शन में हमें अच्छी कंपनियों में पैसे लगाने का बहुत अच्छा मौका मिल रहा है. बुल मार्केट में जब ज्यादा उत्साह हो जाता है, तो झटका देता है. लेकिन ये तात्कालिक स्पीड ब्रेकर है.'
शंकर शर्मा कहते हैं, 'मैं विदेशों में भी कई जगह निवेश करता हूं. ऐसे में लोकल मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच मेरे पास एसेट ऑप्शन बदलने की क्षमता ज्यादा होती है. इसलिए मेरे पोर्टफोलियो में ज्यादा कैश नहीं है. मतलब 10-15% से ज्यादा नहीं है. विनिंग स्टॉक यानी तेज दौड़ने वाले शेयर से वैसे भी पैसे निकाले नहीं जाते, जब तक बहुत जरूरी ना हो.'
शंकर शर्मा के मुताबिक, 'जब भी मैं बड़ा मुनाफा कमाता हूं, मैं हमेशा 15-20% प्रॉफिट बुक कर लेता हूं. ये तो हर कोई कहता है कि जब मार्केट करेक्ट करता है यानी गिरता है, तो खरीद का अच्छा मौका होता है. लेकिन ये कोई नहीं कहता कि जब हाई हो तो बेच देना चाहिए अगर ऐसा नहीं करेंगे तो निचले स्तरों पर खरीदने का पैसा कहां से आएगा. तो जो पैसा मैं मुनाफावसूली करके निकालता हूं वो करेक्शन यानी गिरावट में अच्छे शेयर खरीदने में काम आता है.'
शंकर कहते हैं, 'मैं डायवर्सिफाइड ढंग से अपने शेयरों को चुनता हूं ना कि किसी थीम पर. इसके लिए मैं कंप्यूटर और ह्यूमन इंटेलिजेंस को जोड़कर काम करता हूं और इसके चलते मुझे बाजार में कभी डर नहीं लगा है.
शंकर शर्मा के मुताबिक, 'मार्केट में एक परसेप्शन पर चलता है. अगर BJP सरकार आएगी, तो मार्केट बेहतर होगा. ऐसा BJP की छवि के कारण है. लेकिन मेरा मानना है कि चुनाव बहुत अस्थायी चीज है. मेरा विश्वास किसी एक पार्टी और नेता के ऊपर नहीं है. अगर चुनाव के बाद मार्केट गिरता है तो वो खरीदारी का बहुत बढ़िया मौका होगा. मार्केट को इलेक्शन से कोई फर्क नहीं पड़ता, सिर्फ टेंपरेरी इफेक्ट के अलावा.'
दूसरे बाजारों पर शंकर शर्मा कहते हैं कि 'पिछले साल मैंने तुर्की का बताया था कि वहां भारत से बेहतर रिटर्न मिलेगा. मैक्सिको भी बेहतर था. लेकिन भारत असली बुल मार्केट है. यहां बड़ी आबादी है, कम संसाधन है, इसलिए हमेशा ज्यादा करने का प्रेशर होता है. इसलिए मेरे पोर्टफोलियो में भारत का हिस्सा हमेशा बड़ा रहा है.'
शंकर शर्मा कहते हैं, 'स्टॉक मार्केट का गेम बहुत कठिन है. कोई कहता है कि आप कोई भी शेयर खरीदकर पैसे बनाओगे और मार्केट से निकल जाओगे, तो आप बहुत रेयर हो.
शेयर बाजार में पैसे बनाने के लिए काफी स्टडी चाहिए. अगर बिना स्टडी के पैसे बनने लगें, तो सतर्क हो जाइये. 22-23 साल पहले मुझे बहुत तजुर्बा नहीं था, लेकिन बिना बहुत स्टडी के मैंने पैसे बनाए. ये मेरी बुद्धिमत्ता थी कि तब मैंने अपने शेयर बेचकर पैसे घर लाने का फैसला किया. अगर मैं खुद को झांसा देता कि मेरी स्मार्टनेस के चलते ये पैसा आया है और प्रॉफिट बुक नहीं करता तो मेरे सारे शेयर भविष्य में गिर गए होते.'