वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना 7वां और मोदी 3.0 का पहला फुल बजट आज पेश कर दिया. किसानों, युवाओं, महिलाओं के लिए कई बड़े ऐलान किया गए. टैक्सपेयर्स, छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए राहत भरे फैसले लिए गए. देखा जाए तो ये बजट एक जितना पॉपुलर है उतना ही संतुलित भी है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर से लेकर नए-नए रोजगार के मौके बनाने के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया गया है.
रेटिंग एजेंसी मूडीज सरकार के इस बजट को कई पैमानों पर आंकती है. मूडीज का कहना है कि भारत सरकार का फिस्कल कंसोलिडेशन का रास्ता एक क्रेडिट-पॉजिटिव रास्ता है जो कि अगले 3 साल में कर्ज की स्थिरता को GDP के 80% के ऊपर पहुंचा देगा. हालांकि ये कर्ज का स्तर अपने समकक्षों से ऊंचा ही रहेगा.
मूडीज का अनुमान है कि अगले दो साल में सरकार का इंटरेस्ट पेमेंट गिरकर रेवेन्यू का करीब 24% हो जाएगा, जो कि FY21 में 28% से ज्यादा था. मूडीज रेटिंग्स के एसोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर जीन फैंग ने कहा, ये Baa-रेटेड समकक्षों की ओर से दर्ज किए गए औसत 8.7% से काफी ज्यादा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए ऐलान किया कि सरकार FY25 के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य GDP का 4.9% रखेगी, जबकि अंतरिम बजट में 5.1% का लक्ष्य रखा गया था.
फेंग ने कहा कि पॉलिसी निरंतरता इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के कैपेक्स में दिखाई देती है, जो कुल खर्च का लगभग 23% है, मूडीज का कहना है कि कुल मिलाकर,बजट क्रेडिट-पॉजिटिव है क्योंकि इसमें वित्तीय घाटे को अंतरिम बजट में घोषित की गई तुलना में कम रखने की उम्मीद दिखती है. मूडीज का कहना है कि इससे लगता है कि सरकार FY26 तक फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य 4.5% का हासिल कर लेगी.
मूडीज ने ये भी कहा है कि ऊंचे टैक्स कलेक्शन की वजह से चालू वित्त वर्ष में रेवेन्यू ग्रोथ देखने को मिल सकती है, जबकि रिजर्व बैंक की ओर से दिए गए उम्मीद से ज्यादा डिविडेंड की वजह से वित्तीय मोर्चे पर थोड़ा और गुंजाइश बनी है. हालांकि भविष्य में क्या डिविडेंड होगा ये बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक ये बजट वित्तीय घाटे को काबू में करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है. उसके मुताबिक वित्तीय घाटे को 5.1% से कम करके 4.9% करना बड़ा लक्ष्य, मगर इसे हासिल करने में मुश्किल नहीं होगी. इससे पहले भी भारत ने FY23 में भी 5.9% लक्ष्य की जगह 5.6% का वित्तीय घाटे को हासिल किया था.
यही नहीं फिच के मुताबिक बड़े पूंजीगत खर्च के साथ वित्तीय घाटे को काबू में रखना बड़ी बात है. हालांकि उसके मुताबिक RBI के बड़े डिविडेंड से वित्तीय घाटे को काबू में करने में मदद मिली है.
मगर फिच जनवरी 2024 में दिए गए BBB- की रेटिंग और स्टेबल आउटलुक पर कायम है. हालांकि उसने ये भी कहा है कि भारत में पब्लिक फाइनेंस की स्थिति दूसरे इमर्जिंग देशों से कमजोर है. वित्तीय घाटे, इंट्रेस्ट-टू-रेवेन्यू और डेट रेश्यो दूसरे इमर्जिंग देशों से ज्यादा है.
फिच के मुताबिक वित्तीय कंसोलिडेशन से मध्यम अवधि में सरकार का कर्ज और GDP के रेश्यो भारत के क्रेडिट प्रोफाइल को सपोर्ट करेगा. ऐसे में वो रेटिंग के हिसाब से भारत के वित्तीय स्थिति में सुधार के असर का मूल्यांकन करती रहेगी.