नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य साफ है. देश का तेज आर्थिक विकास इस बजट के केंद्र में है. सरकार ने इसे हासिल करने के लिए एक तरफ वित्तीय घाटे को काबू में रखा तो दूसरी तरफ कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत खर्च को स्थिर रखा है . वित्तमंत्री ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट में 5.1 परसेंट वित्तीय घाटे का ऐलान किया था, मगर फुल बजट में इसे घटाकर 4.9 परसेंट कर दिया है.
वित्तीय घाटे के मोर्चे पर सरकार को ये कंफर्ट बंपर टैक्स कलेक्शन और रिजर्व बैंक से मिले दो लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम डिविडेंड से आया है. सरकार को मौजूदा कारोबारी साल में 38.31 लाख करोड़ रुपये अनुमानित आय की उम्मीद है. इसमें से 21.99 लाख करोड़ डायरेक्ट यानी कॉरपोरेट इनकम टैक्स और पर्सनल इनकम टैक्स से आएगा. जबकि 16.22 लाख करोड़ रुपये इनडायरेक्ट टैक्स से आएगा. इसमें सबसे बड़ा मद GST है.
सरकार ने विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बार फिर पूंजीगत खर्च पर भरोसा जताया है. अंतरिम बजट में सरकार ने 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कैपिटल एक्सपेंडिचर का प्रावधान किया है. वित्तमंत्री ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. फुल बजट में भी वित्तमंत्री ने 11.11 लाख करोड़ रुपये के के पूंजीगत खर्च का प्रावधान रखा है. पिछले 5 साल में पूंजीगत खर्च ढाई गुने से ज्यादा बढ़ा है. कारोबारी साल 21 में 4.26 लाख करोड़ रुपये था.
पूंजीगत खर्च का मतलब है कि सरकार सड़क निर्माण, पोर्ट और एयरपोर्ट निर्माण जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा खर्च करेगी. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 1 रुपये की पूंजीगत खर्च से इकोनॉमी में 4 रुपये की आय जनरेट होती है. साथ ही आर्थिक विकास की कई गतिविधियों को भी सपोर्ट करता है. इससे देश में लॉजिस्टिक व्यवस्था में सुधार होता है, जिससे प्रोडक्ट और सर्विस की डिलिवरी सुधरती है.
सरकार ने FY25 में कुल एक्सपेंडीचर 48.21 लाख करोड़ रहने का अनुमान लगाया है. इस साल सरकार को नेट टैक्स कलेक्शन 25.83 लाख करोड़ रहने का अनुमान है, जबकि बॉरोइंग (उधारी) 11.63 लाख करोड़ रहने की उम्मीद है. अच्छी बात ये है कि सरकार ने उधारी में भारी कटौती की है. FY24 में सरकार ने 16.54 लाख करोड़ रुपये बाजार से उठाए थे.
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