शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या बढ़कर करीब 10 करोड़ हो गई और ये संख्या लगातार बढ़ रही है. 2004 में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने LTCG (Long-Term Capital Gains) को खत्म करके STT (Security Transaction Tax) लगा दिया था. उनके इस फैसले की बहुत तारीफ हुई थी. मगर BJP ने 2018 में फिर से LTCG टैक्स लगा दिया. तभी से बाजार लगातार सरकार से इसे हटाने की गुजारिश करता रहा है.
अभी शेयरों को 12 महीने के बाद बेचने और उससे होने वाले कुल मुनाफे पर 10% LTCG टैक्स लगता है. अगर 12 महीने से पहले किसी शेयर को बेचा तो मुनाफे पर 15% STCG (Short Term Capital Gains tax) टैक्स लगता है.
12 महीने से पहले बेचने पर कुल मुनाफे पर 15% का STCG
12 महीने के बाद बेचने पर कुल मुनाफे पर 10% का LTCG
शेयर बाजार से जुड़े जानकारों का मानना है कि LTCG को हटाने से शेयर बाजार का विस्तार होगा. ज्यादा से ज्यादा लोग निवेश करेंगे. हालांकि कोरोना काल के बाद अब ये तर्क बहुत मायने नहीं रखता है. पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. कोरोना से पहले देश में करीब 4 करोड़ DEMAT खाताधारक थे अब ये बढ़कर करीब 10 करोड़ हो गई हैं.
कोरोना के बाद ये भी देखा गया है कि लोग शेयर बाजार में निवेश कम सट्टा ज्यादा लगा रहे हैं. शेयरों को खरीदकर लंबे वक्त तक रखने की सब्र बहुत कम लोगों में होता है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगर वित्तमंत्री LTCG खत्म कर देंगी तो, लोग बाजार में निवेश करेंगे और टैक्स बचाने के लिए उन शेयरों को कम से कम एक साल के ज्यादा वक्त के लिए रखेंगे.
यही नहीं टैक्स विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सरकार को शयेरों पर LTCG से बहुत ज्यादा कमाई भी नहीं हो रही है. एसेसमेंट ईयर 2018-19 में सरकार को इससे सिर्फ ₹1,222 करोड़ मिले थे. AY 2019-20 में बढ़कर ₹3,460 करोड़ और AY 2020-21 में ₹5,311 करोड़ की आय LTCG से हुई है. ये आंकड़े भले ही सरकारी खजाने के हिसाब से बहुत ज्यादा नहीं है, मगर इसमें लगातार इजाफा हो रहा है और सरकार इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहती है.
AY 2018-19 ₹1,222 करोड़
AY 2019-20 ₹3,460 करोड़
AY 2020-21 ₹5,311 करोड़
2020 से पहले अगर कोई कंपनी डिविडेंड देना चाहती थी, तो उसे कुल रकम का 15% डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) के रूप में जमा करना होता था. बाजार के जानकारों का मानना था कि ये डबल टैक्सेशन है. सरकार ने उनकी बात मानते हुए 2020 के बजट में इसे खत्म कर दिया और कहा कि अब डिविडेंड निवेशकों की कुल आय में जुड़ेगा और आय के स्लैब के हिसाब से उसे टैक्स देना होगा. जानकारों का मानना है कि ये भी डबल टैक्सेशन है. कंपनियां अपने मुनाफे पर कॉरपोरेट टैक्स देने के बाद मुनाफे को डिविडेंड के रूप में डिस्ट्रीब्यूट करती हैं. ऐसे में एक ही कमाई पर दो बार टैक्स लिया जाता है. बाजार चाहता है कि सरकार इस डबल टैक्सेशन को भी खत्म करे.
सरकार ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स हटाया मगर इसे निवेशकों की आमदनी से जोड़ दिया
डिविडेंड को निवेशक की आय में जोड़ने से एक ही कमाई पर दो बार टैक्स लिया जाता है
कंपनी कॉरपोरेट टैक्स देने के बाद डिविडेंड देती है, ऐसे में उसे आमदनी से जोड़ना डबल टैक्सेशन है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1997 से पहले डिविडेंड पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता था. 1997 में DDT लगा और 2020 से DDT को हटाकर डिविडेंड को लोगों की आमदनी में जोड़ दिया गया. यानी 1997 से किसी न किसी रूप में सरकार डिविडेंड पर टैक्स वसूल रही है और ये निवेशकों पर टैक्स की दोहरी मार है.
शेयर बाजार में भले ही करीब 10 करोड़ निवेशक हो गए हों, लेकिन अब भी संभावनाएं बहुत हैं. चीन में 13% और अमेरिका में 55% आबादी शेयरों में निवेश करती है. ऐसे में सरकार अगर टैक्स सिस्टम को तर्कसंगत बनाती है तो बाजार से नए निवेशक जुड़ेंगे और कंपनियों को भी बाजार से पूंजी जुटाने में आसानी होगी.