बजट आने वाला है और हर किसी को वित्तमंत्री से कुछ न कुछ उम्मीद है. वित्तमंत्री ने भी उद्योगों की इच्छा जानने और उनके सुझावों को सुनने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में उन्होंने गुरुवार को दो बैठकों में कैपिटल मार्केट के विशेषज्ञों और उद्योग संघों के साथ मुलाकात की. सुबह के सत्र में उन्होंने कैपिटल मार्केट, NBFCs, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों से चर्चा की.
फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलमेंट काउंसिल के डायरेक्टर रमन अग्रवाल के अनुसार, इंडस्ट्री बॉडी ने SIDBI यानि स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलमेंट बैंक ऑफ इंडिया और NABARD यानि नेशनल बैंक फॉर एग्रिकल्चर एंड रूरल डेवलमेंट को ज्यादा पूंजी देने का सुझाव दिया है, ताकि ये आगे छोटे उद्योगों और किसानों की मदद कर सकें. रमन अग्रवाल ने कहा कि इससे NBFCs को रीफाइनेंसिंग में मदद मिलेगी और सेक्टर की क्रेडिट ग्रोथ बढ़ेगी. यही नहीं इससे पूंजी के जरूरत के लिए बैंकों पर निर्भरता कम होगी.
अग्रवाल ने कहा कि NBFCs ने को-लेंडिंग पर GST की मांग और सर्विस फीस पर GST के भुगतान पर भी सफाई मांगी, जबकि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों ने गिफ्ट सिटी पर चर्चा की.
मुथूट ग्रुप के प्रबंध निदेशक जॉर्ज अलेक्जेंडर मुथूट ने बताया कि कुछ कंपनियों ने पूंजी बाजार के विस्तार के लिए कुछ टैक्स छूट की भी मांग रखी. मॉर्गन स्टेनली के MD अरुण कोहली ने बताया कि इंडस्ट्री ने सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स हटाने, कैपिटल गेन्स टैक्स और वायदा में ट्रांजैक्शन टैक्स को आसान करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री का मानना है कि विनिवेश की गति बढ़नी चाहिए और कर नीति में स्थिरता तथा नीतियों में निरंतरता बनी रहनी चाहिए. इस सप्ताह के शुरुआत में, उद्योग संघों ने अपनी सिफारिशों के साथ राजस्व सचिव के साथ अलग से भी मुलाकात की.
वित्तमंत्री ने गुरुवार को दूसरी बैठक उद्योग संगठनों के साथ की. इस बैठक के बाद CII के अध्यक्ष और ITC के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव पुरी ने कहा कि सरकार को वित्त वर्ष 2014 के साढ़े 9 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को 25% बढ़ाना चाहिए. साथ ही FRBM अधिनियम की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों के एक उच्चस्तरीय समूह का गठन करना चाहिए.
CII ने ये भी सुझाव दिया है कि भूमि अधिग्रहण कानून, श्रम, बिजली, कृषि और फिस्कल स्थिरता के लिए GST काउंसिल जैसी फेडरल बॉडी बनायी जानी चाहिए. खपत बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स स्लैब में राहत, मनरेगा में मजदूरी को बढ़ाने और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी जैसी योजनाओं में राशी बढ़ाने की भी सिफारिश की. बैठक के बाद NDTV प्रॉफिट से बात करते हुए IMC चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट समीर सोमैया ने कहा कि बैठक में विकास की रफ्तार को टिकाऊ बनाए रखने के उपायों पर भी चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि ग्रीन ट्रांजिशन और जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से निटपने के उपायों और ग्रीन संसाधनों के साथ विकास को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई.
PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि सरकार को PLI योजना को 14 और सेक्टर्स पर लागू करना चाहिए. इंडस्ट्री संघ के मुताबिक मेडिसिनल प्लांट्स, हैंडिक्राफ्ट, चमड़ा, जूते, ज्वेलरी और स्पेस क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों को भी PLI योजना के तहत लाना चाहिए. उद्योग संघ ने श्रम सुधारों से जुड़े 4 कानूनों को भी लागू करने की भी बात कही. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने बजट में फिजिकल, सोशल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे पर सार्वजनिक खर्च को 25% तक बढ़ाने की सिफारिश की.