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Budget 2024: सब्सिडी, रोजगार, विनिवेश, कैपेक्स पर FM सीतारमण के बेबाक जवाब, बजट के बाद पहला धमाकेदार इंटरव्यू

FM Nirmala Sitharaman's First Interview: वित्त मंत्री ने साफ किया कि वित्तीय अनुशासन बनाए रखना एक अलग चीज है, इसके लिए सब्सिडी में कटौती की जरूरत नहीं.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी04:05 PM IST, 02 Feb 2024NDTV Profit हिंदी
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बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) की क्या सोच थी, चुनावों में जाने से ठीक पहले का ये बजट पॉपुलिस्ट नहीं होने के बावजूद पॉपुलर हुआ, आखिर क्यों वित्त मंत्री ने पॉपुलर ऐलानों से दूरी बनाकर रखी.

बजट के बाद वित्त मंत्री ने सबसे पहले NDTV नेटवर्क के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बजट के हर छोड़े बड़े पहलूओं पर चर्चा की. वित्त मंत्री ने जॉब्स, कैपेक्स, निवेश, विनिवेश और सब्सिडी पर खुलकर बात की.

सब्सिडी और वित्तीय अनुशासन अलग-अलग: FM

बजट में वित्त मंत्री वित्तीय अनुशासन बनाए रखने को लेकर काफी एग्रेसिव रहीं हैं, तो ऐसे में इसका असर वेलफेयर्स स्कीम्स या सब्सिडी पर आएगा? इस पर वित्त मंत्री ने साफ किया कि वित्तीय अनुशासन बनाए रखना एक अलग चीज है, इसके लिए सब्सिडी में कटौती की जरूरत नहीं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि - फर्टिलाइजर सब्सिडी कोविड काल में और उसके तुरंत बाद में और उसके अगले साल भी हजारों रुपये का अंतर पाया आया. यूरिया इंपोर्ट का भाव 100 रुपये की जगह 1500 रुपये प्रति किलो तक गया, फिर भी हमने इसका भुगतान किया.

इस बढ़े हुए भाव को हमने किसानों के ऊपर नहीं डाला. सारा का सारा बोझ सरकार ने अपने ऊपर लिया. जहां हमें बोझ उठाना पड़ता है, हम जरूर उठाते हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि हम लोगों को इस तरह से नियंत्रित करने में विश्वास नहीं करते जिससे उनके स्वयं के निर्णय लेने में बाधा पैदा हो. सरकार के कार्यक्रमों का मकसद लोगों को सशक्त बनाना है.

रोजगार के मुद्दे पर वित्त मंत्री

नौकरियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार वेलफेयर स्कीम के लिए जरूर खर्च करेगी, आयुष्मान भारत से गरीबों को फायदा मिला. लेकिन जब जॉब को वेलफेयर स्कीम से जोड़ने की कोशिश करते हैं, मैं ये साफ कर देना चाहती हूं कि जब भी हम किसी योजना की मंजूरी के लिए कैबिनेट में जाते हैं, तो प्रधानमंत्री की तरफ से पहला सवाल यही आता है कि इससे नौकरियों पर क्या असर पड़ेगा, कितनी नई नौकरियां पैदा होंगी.

दूसरी बात ये कि जॉब का मतलब सिर्फ किसी प्राइवेट कंपनी या सरकार कंपनी में नौकरी करना ही नहीं होता, ये भी अच्छा है, लेकिन आप में अगर क्षमता है तो आप अपना बिजनेस चला पाएं, इसमें भी सरकार मदद करती है. हम ऐसे लोगों के लिए लोन की कई स्कीम चलाते हैं, जिससे वो अपना रोजगार खुद खड़ा करते हैं. ऐसे लोगों की भी गिनती रोजगार में होनी चाहिए.

कैपेक्स में कटौती नहीं की: FM

क्या कैपेक्स को और बढ़ाया जा सकता था, इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई में इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन ये भी कहा कि - सरकार ने कैपेक्स एलोकेशन में कटौती नहीं की है. उन्होंने कहा कि पिछले साल कैपेक्स में 30% का उछाल लो-बेस की वजह से था, इसलिए 11% का इजाफा कम लग रहा है, लेकिन ये ऊंचे बेस से है, ये भी समझना होगा. 10 लाख करोड़ रुपये से 11.11 लाख करोड़ रुपये का कैपेक्स काफी बड़ा है.

उन्होंने कहा इसके साथ हमें ये भी देखना होगा कि राज्यों की इस कैपेक्स को इस्तेमाल करने की कितनी क्षमता है, वो इसको इस्तेमाल कर लेंगे, लेकिन इसमें लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि हर साल एलोकेशन भी बढ़ रहा है.

क्या प्राइवेट सेक्टर कैपेक्स में तेजी आएगी?

सरकार भले ही कैपेक्स को बढ़ा रही है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर की तरफ से इसमें ज्यादा उत्साह नहीं दिख रहा है. इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि कैपेक्स के लिए हम राज्य सरकारों को भी 50 साल के लिए ब्याज मुक्त लोन दे रहे हैं. इस सुविधा की वजह से राज्यों की तरफ से भी कई प्रमुख प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जा रहा है.

जहां तक प्राइवेट सेक्टर की बात है, तो कंपनियां सीधा बिडिंग के जरिए भी आ रही हैं और सरकार कंपनियों के इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के लिए PLI स्कीम भी चला रही है. कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में भी प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी हो रही है. इस चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने माना की PPP की ड्राफ्टिंग में दिक्कतों को लेकर वो चर्चा करेंगी, उन्होंने कहा कि वो ऐसी समस्याओं को पहचानती हैं, इसके बारे में वो सुझाव जरूर लेंगी.

विनिवेश से पहले वैल्युएशन बढ़ाने पर ध्यान दे रहे: FM

विनिवेश को लेकर बजट में किसी तरह का ऐलान नहीं होने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि विनिवेश को लेकर पॉलिसी हम साल 2021 के बजट में ही लेकर आए थे. उसी समय से ही विनिवेश को लेकर हमारी प्रतिबद्धता बिल्कुल साफ हो चुकी थी, इससे पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है. लेकिन जब हम विनिवेश की बात करते हैं तो हमें ये मानना होगा कि आजकल लिस्टेड कंपनी या नॉन लिस्टेड कंपनी हो, वैल्युएशन को लेकर काफी चर्चा है कि किसी कंपनी की सचमुच में क्या वैल्युएशन है.

इसीलिए हम विनिवेश की जल्दबाजी नहीं कर रहे, लेकिन उस पर काम लगातार चल रहा है. जैसे-कंपनी की सही वैल्युएशन क्या है, कंपनी का इंटरनल सिस्टम सही है या नहीं. वित्त मंत्री उदाहरण दिया कि जब हम LIC के विनिवेश का ऐलान करने वाले थे, LIC के इंटरनल सिस्टम में कमियों को दूर करने की जरूरत हमें महसूस हुई थी, नहीं तो उसका सही वैल्युएशन करने में बहुत मुश्किल होती. PSE (Public Sector Undertakings) में 1991 से ही इंटरनल प्रोफेशनलिज्म लाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन ये प्रोफेशनलिज्म मार्केट ओरिएंटेशन के लिए काफी नहीं था.

मगर हमने LIC के IPO से पहले बेहतर तरीके से इसकी शुरुआत की. उन्होंने कहा कि सिस्टम में जहां-जहां प्लेसमेंट होना है, उसे पूरा करके हम उनकी वैल्युएशन को बढ़ा रहे हैं. जिसकी वजह से हमें PSU से आज अच्छी क्वालिटी का डिविडेंड मिल रहा है.

डिफेंस को आत्मनिर्भर बनाने वाले फैसले किए

दुनिया भर में जियो पॉलिटिकल चुनौतियां हैं, ऐसे में सरकार ने बजट में डिफेंस के लिये क्या किया है, इस पर वित्त मंत्री ने बताया कि बजट में डिफेंस को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल से पहले की सरकारों ने ध्यान नहीं, अब हम उनकी भरपाई करने के बाद डिफेंस पर ध्यान दे रहे हैं, इसलिए डिफेंस में जितना भी दिया जाए वो कम ही लगेगा.

कांग्रेस के 10 साल के खिलाफ लाएंगे व्हाइट पेपर

वित्त मंत्री ने कहा कि UPA सरकार साल 2004 से 2014 के कार्यकाल को लेकर व्हाइट पेपर लेकर आएंगी. वित्त मंत्री ने बताया कि जब साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में आए तो उनके ऊपर काफी दबाव था. इकोनॉमी की हालत बहुत बुरी थी, पॉलिसी पैरालिसिस, घपले-घोटालों की वजह से इकोनॉमी में मंदी थी और भरोसा खत्म सा हो गया था. विदेशी निवेशकों के मन में भी शक था, तो ऐसे में हमने सोचा कि उसी समय क्यों न व्हाइट पेपर लेकर आया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री ने सबसे पहले देश के बारे में सोचा.

उन्होंने कहा कि अगर व्हाइट पेपर इस समय लाते हैं तो निवेशकों का भरोसा भारत पर से चला जाएगा, कोई भी भारत में पूंजी लेकर नहीं आएगा. निवेशकों के साथ साथ हमारे देशवासियों का भरोसा भी हिल जाएगा. इसलिए प्रधानमंत्री ने व्हाइट पेपर लाने का प्रस्ताव नहीं माना. वित्त मंत्री ने कहा कि अब हमें सरकार में 10 साल हो चुके हैं.

हम दुनिया की टॉप-3 इकोनॉमी में पहुंच रहे हैं. इस समय व्हाइट पेपर लाने से हमें भी समझ में आएगा कि हमारे सामने और क्या बेहतर करने का मौका है. जिस हालात में UPA सरकार ने देश को छोड़ा था, अभी मौका है कि देशवासियों के सामने लेकर आया जाए, क्योंकि हमने भी 10 साल काम किया और ये दिखाया कि सेवा भावना से कैसे काम करना है.

जनता का आशीर्वाद आगे भी मिलेगा: FM

सरकार के अंतरिम बजट में लोकलुभावन ऐलानों की कमी दिखी, जबकि उनके पास मौका था कि वो ऐसा कर सकते थे, बावजूद उन्होंने ऐसा नहीं किया. चुनावों से ठीक पहले सरकार के इस भरोसे की क्या वजह रही, इस पर वित्त मंत्री ने बताया कि 'हमने लगातार 10 साल तक जनता के हित में काम किया, कई योजनाएं लेकर और इन योजनाओं का फायदा समाज के सबसे आखिर पंक्ति में बैठे जरूरतमंद तक पहुंचाया. उन्होंने कहा कि हमारे अंदर जो आज भरोसा है, वो इसलिए है क्योंकि जनता के हित की योजनाएं, जनता तक पहुंचीं हैं. जनता का आशीर्वाद दो बार मिला, आगे भी मिलेगा, यही हमारे भरोसे की वजह है.'

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