23 जुलाई, 2024 को देश का पूर्ण बजट (Budget 2024) पेश किए जाने से पहले सबकी निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर टिकी हैं. अर्थव्यवस्था का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा ऐसा है, जिसे इस बजट से काफी उम्मीदें हैं.
हम बात कर रहे हैं देश की सप्लाई चेन की, जिसका महत्व किसी इकलौती इंडस्ट्री या किसी एक सेक्टर से कहीं ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी देश की सप्लाई चेन में कई अहम उद्योग और सेक्टर शामिल रहते हैं और इसकी मजबूती का सकारात्मक असर पूरी इकोनॉमी पर पड़ता है.
सप्लाई चेन कुछ और नहीं बल्कि उत्पादकों, विक्रेताओं, एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स, एयरलाइंस, शिपिंग लाइन्स, वेयरहाउस, ट्रांसपोर्ट कंपनियों, डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स और रिटेलर्स को मिलाकर बनने वाला एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क है, जिसे किसी भी देश के बुनियादी ढांचे की रीढ़ कहा जा सकता है. ये एक ऐसा कॉम्प्लेक्स सिस्टम है, जिसका विस्तार हर तरह के कच्चे माल को प्रोड्यूसर के पास पहुंचाने से लेकर, तैयार प्रोडक्ट को एंड यूजर या कंज्यूमर के पास ले जाने तक जारी रहता है.
आज की ग्लोबल इकोनॉमी में सप्लाई चेन का विस्तार दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक है. एक मजबूत और एफीशिएंट सप्लाई चेन न सिर्फ तमाम सेक्टर्स के विकास के लिए जरूरी है, बल्कि आर्थिक कंपटीशन के दौर में देश को दुनिया के मंच पर दूसरों से आगे ले जाने लिए भी जरूरी है.
सप्लाई चेन की एफिशिएंसी यानी कुशलता को बढ़ाने में वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर का सबसे अधिक योगदान रहता है. अंतरिम बजट में सरकार ने बुनियादी ढांचे के लिए कैपिटल एक्सपेंडीचर को 11.1% बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये कर दिया था, जो देश के GDP के 3.4% के बराबर है. उम्मीद की जा रही है कि पूर्ण बजट में भी सरकार इस रुझान को जारी रखेगी. खास तौर पर मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर सिलसिला जारी रहेगा.
अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया. सरकार ने PM गतिशक्ति योजना के तहत तीन इकनॉमिक रेलवे कॉरिडोर बनाने का एलान किया है. ये 3 कॉरिडोर हैं (1) एनर्जी, मिनरल और सीमेंट कॉरिडोर (2) पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर, और (3) हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर. इन कॉरिडोर से लॉजिस्टिक्स की लागत घटेगी और एफिशिएंसी बढ़ेगी, जिसका लाभ तमाम तमाम उद्योगों को मिलेगा. इतना ही नहीं, इनसे प्रदूषण को कम करके भारत का कार्बन फुटप्रिंट घटाने में भी मदद मिलेगी. उम्मीद है कि आगामी बजट में सरकार अपनी इस योजना को और तेजी से आगे बढ़ाने का रोडमैप पेश करेगी.
भारत सरकार ने सप्लाई चेन को बेहतर बनाने के लिए हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इनमें PM गति शक्ति योजना और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी जैसी योजनाएं शामिल हैं.
नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (NLP) में सरकार ने भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को GDP के 14-18% से घटाकर ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के अनुरूप 8% तक लाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा भारत को लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में 2030 तक टॉप 10 देशों में पहुंचाने का टारगेट भी रखा गया है. ये टारगेट कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 2023 में ग्लोबल LPI रैंकिंग में भारत दुनिया के देशों में 38वें नंबर पर था, जबकि चीन 19वें नंबर पर. इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है, जिसमें रेलवे कॉरिडोर के एलान जैसे कदम शामिल हैं. उम्मीद है कि आगामी बजट में ऐसे कुछ और कदम भी उठाए जाएंगे.
सरकार के प्रोत्साहन से लॉजिस्टिक्स समेत इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है और देश की सप्लाई चेन के विकास एक मजबूत शुरुआत मिली है. उम्मीद है कि आगामी बजट में मौजूदा चुनौतियों से पार पाने और नए उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए कुछ और बड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर इस क्षेत्र में निवेश करने वालों को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में राहत देने वाले कुछ नए कदम उठाए जा सकते हैं.
सप्लाई चेन के पूरे नेटवर्क को सस्टेनेबल बनाने के लिए ट्रांसपोर्ट के ऐसे तरीकों को बढ़ावा देना जरूरी है, जो पर्यावरण के लिए बेहतर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए पिछले अंतरिम बजट में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के मैन्युफैक्चरिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया गया था. EV इंफ्रास्ट्रक्चर के मजबूत होने पर लॉजिस्टिक्स में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा. लॉजिस्टिक्स के लिहाज से देखें, तो इससे न सिर्फ पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि लंबे समय में ट्रांसपोर्ट की ऑपरेटिंग कॉस्ट भी कम होगी. उम्मीद की जा सकती है कि सरकार आने वाले बजट में भी इस दिशा में अपने प्रयासों का सिलसिला जारी रखेगी.
सप्लाई चेन मैनेजमेंट में लेटेस्ट टेक्नॉलजी का इस्तेमाल, एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर आगामी बजट में ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन जैसी नई टेक्नॉलजी के उदय और इस क्षेत्र में हर रोज सामने आ रही संभावनाओं को देखते हुए लॉजिस्टिक्स में इनके इस्तेमाल से काफी क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं. जानकारों का मानना है कि नई तकनीक से लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में एफिशिएंसी और सटीकता काफी बढ़ाई जा सकती है.
भारत सरकार देश को दुनिया के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने का जो सपना लेकर चल रही है, उसकी सफलता काफी हद तक सप्लाई चेन के विस्तार और मजबूती पर टिकी है. ये एक ऐसा क्षेत्र हैं, जिसमें भारत को चीन से भी कड़ा मुकाबला करना है और इसके लिए सरकारी नीतियों और बजट का समर्थन बेहद जरूरी है. उम्मीद है कि आने वाला बजट इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भारत को एक नई ताकत के तौर पर स्थापित करने में काफी मददगार साबित होगा.