सरकार अपना बहीखाता दुरुस्त करना चाहती है. इसकी एक झलक इस अंतरिम बजट में देखने को मिली. सरकार ने एक तरफ वित्तीय घाटे को काबू में करने का रोडमैप दिया, तो दूसरी ओर ग्रोथ की रफ्तार को तेज करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाने का ऐलान किया.
सरकार जानती है कि इंफ्रा पर खर्च बढ़ाकर ही देश के विकास को रफ्तार दी जा सकती है. इस बार भी अंतरिम बजट में सरकार का फोकस भी इसी पर रहा. सरकार ने FY25 में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च में 11.1% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है. सरकार अगले कारोबारी साल में इस पर 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. देश की कुल GDP का 3.4% इंफ्रा पर खर्च होगा.
मौजूदा कारोबारी साल के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. इसमें से सरकार ने कितना खर्च किया है, ये बाद में ऑडिट के बाद पता चलेगा.
सरकार के इंफ्रा पर फोकस को इसी से समझ सकते हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में दूसरी बार चुनाव जीतकर वापस आए तो उन्होंने कैपिटल एक्सपेंडिचर 3 लाख करोड़ रुपये रखा था, पांच साल में ये बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है
सरकार ने अपना ध्यान वित्तीय घाटे को एक बार फिर कम करने पर फोकस कर दिया है. मौजूदा कारोबारी साल में 5.8% वित्तीय घाटा रहने का अनुमान है. सरकार ने FY24 में 15.43 लाख करोड़ रुपये उधारी का लक्ष्य रखा था और दिसंबर खत्म होने तक सरकार इसका 91% खर्च कर चुकी है.
मगर सरकार जानती है कि वित्तीय घाटे की बैसाखी इकोनॉमी के लिए सही नहीं है, इसलिए वित्तमंत्री ने इस पर काबू पाने का इरादा जताया है. अगले कारोबारी साल यानी FY25 में वित्तीय घाटा GDP का 5.1% तक रखने का लक्ष्य रखा है. अगले साल सरकार 11.75 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेगी.
यही नहीं FY26 में वित्तीय घाटा GDP का 5.1% रखने का लक्ष्य रखा है. आप ये जानकार हैरान होंगे कि FY19 में वित्तीय घाटा सिर्फ 3.4% था.
लेकिन सवाल उठता है कि वित्तीय घाटे पर काबू करने का भरोसा कहां से आया. दरअसल सरकार की टैक्स से आय लगातार बढ़ रही है. मौजूदा कारोबारी साल में यानी FY24 में टैक्स से आय `23.24 लाख करोड़ रहेगी, जोकि FY23 में 20.97 लाख करोड़ रुपये था. अब FY25 में भी टैक्स वसूली में तेज उछाल की उम्मीद है. वित्तमंत्री को उम्मीद है कि अगले कारोबारी साल में सरकार को 26 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स आय होगी.