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Budget 2024: रेलवे को सुरक्षा, सड़कों को तेजी और रियल एस्टेट को टैक्स छूट में बढ़ोतरी की आस, इंफ्रा सेक्टर की बजट से क्या हैं उम्मीदें?

अंतरिम बजट 2024-25 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11.10 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल इन्वेस्टमेंट का आवंटन किया गया. ये 2024-25 के लिए भारत की संभावित GDP का 3.4% है.
NDTV Profit हिंदीसुदीप्त शर्मा
NDTV Profit हिंदी03:13 PM IST, 12 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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मोदी सरकार के 2047 तक विकसित भारत के विजन में गति शक्ति योजना केंद्र में है. दरअसल ये एक मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी प्रोग्राम है, जिसके तहत रेल, सड़क, जल, हवाई मार्ग के साथ-साथ डिजिटल इंफ्रा के आयाम भी शामिल हैं. मतलब साफ है कि इंफ्रा पर सरकार का अधिकतम जोर है.

अंतरिम बजट के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि जुलाई में आने वाले बजट में भी इंफ्रा के अलग-अलग क्षेत्रों में जारी मौजूदा जोर को और तेज किया जाएगा. यहां हम सिलसिलेवार ढंग से इन इंफ्रा सेक्टर्स में जारी डिमांड को समझेंगे. लेकिन उससे पहले समझें सरकार के इंफ्रा फोकस को.

इंफ्रा पर जबरदस्त जोर

मोदी सरकार के इंफ्रा पर फोकस को आप कुछ आंकड़ों से बेहतर समझ सकते हैं. PIB के आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में प्रतिदिन 11.6 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बन रहे थे. जबकि 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 28.3 किलोमीटर/दिन पहुंच गया. मतलब रफ्तार ढाई गुने से भी ज्यादा तेज हो चुकी है.

इतना ही नहीं 2012-14 में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई करीब 91,000 किलोमीटर थी, जो 2022-23 में बढ़कर 1,45,240 किलोमीटर पहुंच गई है. बदलाव की तेजी साफ है.

अंतरिम बजट 2024-25 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11.10 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल इन्वेस्टमेंट का आवंटन किया गया. ये 2024-25 के लिए भारत की संभावित GDP का 3.4% है. बीते बजट की तुलना में ये 11% का इजाफा था. ध्यान रहे 2023 के बजट में इंफ्रा पर खर्च को सीधे 34% तक बढ़ा दिया गया था. मतलब साल-दर-साल इंफ्रा पर बजट आवंटन में बढ़ोतरी जारी है.

अब जब मोदी 3.0 सरकार अपने कार्यकाल की शुरूआत कर चुकी है, ऐसे में इस बार के यूनियन बजट में इंफ्रा पर फुल थ्रॉटल दबाने की संभावना और उम्मीद है.

बजट से इंफ्रा सेक्टर की उम्मीदें

  • इस बजट में संभावना है कि मौजूदा योजनाओं, प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में तेजी लाई जाएगी और तय समय पर इन्हें पूरा किया जाएगा.

  • प्राइवेट सेक्टर के इन्वेस्टमेंट को रेल (प्लेटफॉर्म फैसिलिटीज), एयरपोर्ट्स ऑपरेशंस और रोड कंस्ट्रक्शन (PPP मॉडल) जैसे सेक्टर्स में बीते कुछ सालों में काफी प्रोत्साहन मिला है. उम्मीद है कि बजट में इसे और तेज करने के लिए बजट में प्रबंध किए जाएंगे.

  • अर्बन इंफ्रा, अफॉर्डेबल हाउसिंग (3 करोड़ घरों का निर्माण) में सरकार पहले ही बड़े ऐलान कर चुकी है. बजट में और राहत की उम्मीद है.

  • रिन्युएबल्स में प्राइवेट सेक्टर की बड़ी एंट्री हो चुकी है. अदाणी ग्रुप खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा रिन्युएबल एनर्जी पार्क बना रहा है. इस क्षेत्र में अगले कुछ सालों तक डबल डिजिट ग्रोथ की उम्मीद है. ऐसे में बजट में कुछ घोषणाओं से इस सेक्टर को भी पुश मिलने की उम्मीद है.

  • इसके अलावा रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए सिंगल विंडो परमिट सॉल्युशंस, होम लोन पर लगने वाली ब्याज दरों में कटौती, नई तकनीकों के लिए सब्सिडी जैसे उपायों से भी हाउसिंग इंफ्रा को पुश दिया जा सकता है.

  • FICCI ने प्री-बजट मेमोरेंडम में भी कुछ अहम मुद्दों को उठाया है. इनमें हाउसिंग लोन लेने पर इनकम टैक्स में दी जाने वाली छूट के दायरे को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. दरअसल ये लंबे समय से एक ही स्तर पर बनी हुई है. जबकि घरों के निर्माण में आने वाली लागत काफी बढ़ चुकी है. इस दौरान बैंकों की ब्याज दरों में भी काफी इजाफा हो चुका है. FICCI ने सुझाव दिया है कि इस लिमिट को दोगुनी कर 4 लाख रुपये कर दिया जाए. साथ ही मूलधन की पेमेंट को अलग से जोड़ा जाए, ना कि सेक्शन 80C के अंतर्गत इसे एडजस्ट किया जाए.

  • FICCI ने 'Notional Rental Income' पर टैक्स को रद्द करने का सुझाव भी दिया है. दरअसल नोशनल रेंटल इनकम संबंधित प्रॉपर्टी से किराये की संभावना पर लगता है, भले ही प्रॉपर्टी को किराये से ना दिया गया हो. इससे प्रॉपर्टी मालिक पर प्रॉपर्टी किराये पर ना देने की स्थिति में गैर जरूरी दबाव बढ़ता है.

  • डिजिटल इंफ्रा में ग्रोथ को सस्टेन करने के लिए अब AI जैसी नई तकनीकों पर भी फोकस की खास जरूरत है.

बड़े इंफ्रा सेक्टर्स की मौजूदा जरूरतें

रेलवे: बीते कुछ समय में मोदी सरकार ने रेलवे को बेहतर करने के लिए दोतरफा अभियान चलाया है. एक तरफ वंदे भारत जैसी हाई स्पीड ट्रेनों पर जोर है, तो दूसरी तरफ यात्री सेवाओं को बेहतर करने की कोशिश चल रही है. इसके तहत ट्रेन के डिब्बों के भीतर बेहतर सुविधाएं, साफ-सफाई के साथ-साथ डिजिटल इंटरफेस को सुलभ करने की कोशिश रही है.

लेकिन इस सबके बीच हुए हादसों ने बड़ा फोकस यात्री सुरक्षा की ओर केंद्रित करवाया है. सरकार इसके लिए 'कवच' सिस्टम भी लेकर आई, जो ऑटो ब्रेकिंग पर फोकस है. रेल मंत्रालय के मुताबिक ये 1465 किलोमीटर रेलवे ट्रैक्स पर इंस्टॉल भी हो चुकी है. बजट में उम्मीद है कि इसके ज्यादा से ज्यादा इंस्टॉलेशन पर फोकस किया जाएगा. वैसे सरकार का अगले 5 साल में इसे 44,000 किलोमीटर ट्रैक्स पर इंस्टॉल करने का इरादा है.

इस बीच टियर-1 के साथ-साथ टियर-2 शहरों में मेट्रो एक्सपेंशन की बड़ी संभावनाएं हैं, ये एक्सपेंशन हो भी रहा है, बजटीय ऐलानों से इस क्षेत्र में अच्छा फायदा लिया जा सकता है.

रोड ट्रांसपोर्ट और एविएशन

जैसा ऊपर बताया कि बीते 10 साल में प्रतिदिन बनने वाली रोड में 250% तक का इजाफा हो चुका है. अब ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट्स से कई पुरानी परियोजनाओं में ट्रांसपोर्टेशन स्पीड और बढ़ाने की कोशिश भी हो रही है. साथ ही ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट्स पर तो तेजी से काम जारी है ही.

ध्यान रहे लैंड बेस्ड ट्रांसपोर्ट मोड्स (रेलवे और सड़क मिलाकर) में रोड ट्रांसपोर्ट की यात्री परिवहन में 87% और मालवाहक परिवहन में 61% हिस्सेदारी है.

EV व्हीकल पर सरकार का विशेष फोकस है. टेस्ला समेत कई दिग्गज कंपनियां भारतीय बाजार में एंट्री को बेताब है. ऐसे में नई EV पॉलिसी के बाद बजट में कुछ बड़े ऐलान से इस दिशा में काम को तेज किया जा सकता है.

एविएशन में सरकार का फोकस टियर-2 शहरों को ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी देने की तरफ है. मतलब इंट्रा कंट्री एविएशन को तेज करने की कवायद रही है. ऐसे में बजट से रोड और एविएशन को ग्रांट बढ़ाकर इन कवायदों को गति देने की उम्मीद है.

तो इतना तो तय है कि इस बार यूनियन बजट में इंफ्रा पर अहम फोकस रहेगा, लेकिन इसकी गहराई कितनी होगी, ये सिर्फ बजट के दिन पता चलेगा.

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