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Budget 2024: टूरिज्म में टॉप गियर लगाने की जरूरत; प्री-कोविड रिकवरी अब भी आधी, क्या हैं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की उम्मीदें?

UNWTO के मुताबिक जनवरी से सितंबर 2023 के बीच टूरिस्ट की संख्या के मामले में प्री कोविड लेवल से 87% रिकवरी हो चुकी है. जबकि भारत में रिकवरी 50% से भी कम है. जानिए इस स्थिति में बजट 2024 से सेक्टर को क्या उम्मीदे हैं?
NDTV Profit हिंदीसुदीप्त शर्मा
NDTV Profit हिंदी06:28 PM IST, 16 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
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हॉस्पिटैलिटी सेक्टर देश की आर्थिक तरक्की में बड़ा योगदान देता रहा है. इस सेक्टर के अंदर रेस्टोरेंट और टूरिज्म जैसे सेगमेंट देश के सबसे बड़े एम्प्लॉयर्स में से एक हैं. NRAI (National Restaurant Association Of India) के मुताबिक अकेले रेस्टोरेंट सेक्टर 72 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है.

इस सेक्टर को कोविड के दौरान टूर एंड ट्रैवल रुक जाने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था. लेकिन भारत में इसकी रिकवरी बाकी दुनिया की तुलना में लगभग आधी है.

इन्हीं स्थितियों में अंतरिम बजट 2024 से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को उम्मीद बंधी हुई है, हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही साफ कर चुकी हैं कि इस बार बजट में कोई बड़ी घोषणा होना मुश्किल है. फिर भी यहां बजट के बैकग्राउंड में इस सेक्टर की उम्मीदों और समस्याओं के बारे में चर्चा करना ठीक रहेगा. लेकिन उससे पहले रिकवरी पर थोड़ी चर्चा जरूरी है.

कितनी हुई रिकवरी?

UNWTO के मुताबिक जनवरी से सितंबर 2023 के बीच दुनियाभर में टूरिस्ट की संख्या के मामले में प्री कोविड लेवल से 87% रिकवरी हो चुकी है. संस्थान का अनुमान है कि 2023 में इंटरनेशनल टूरिज्म से कुल 1.4 ट्रिलियन डॉलर की कमाई हुई है, जो प्री कोविड लेवल की 93% रिकवरी हो चुकी है.

अब भारत पर आते हैं. PIB के मुताबिक अक्टूबर 2023 तक भारत में 73 लाख टूरिस्ट आए. अगर औसत लें, तो दिसंबर तक ये आंकड़ा 88 लाख पहुंच सकता है. जबकि प्री कोविड लेवल को देखें, तो 2019 में भारत में 1 करोड़ 93 लाख विदेशी टूरिस्ट आए थे. मतलब रिकवरी 50% से भी कम है.

ऐसा नहीं है कि सरकार ने कोशिशें नहीं कीं. बीते साल सेक्टर को बूस्ट देने के लिए कई कदम उठाए गए थे. फिर भी अभी टूरिज्म, रेस्टोरेंट और हॉस्पिटैलिटी से जुड़े दूसरे सेक्टर्स को प्रोत्साहन देने के लिए और कोशिशें करने की जरूरत है.

कैसे आएंगे ज्यादा टूरिस्ट?

टूरिस्ट खींचने के दो तरीके हैं. एक तो सुविधाएं और सहूलियतें बढ़ा दी जाएं, दूसरा उनके बजट में बेहतर विकल्प उपलब्ध करवाए जाएं. आखिर कोई भी अंतरराष्ट्रीय कोई टूरिस्ट भारत डेस्टिनेशन चुनता है, तो उसके दिमाग में एशिया के ऐसी ही जियोग्राफी वाले दूसरे देश भी होते हैं. यहीं बजट तस्वीर में आता है. ध्यान रहे ये टूरिस्ट भारतीय करेंसी के हिसाब से अच्छा खर्च करने वाले और प्रीमियम सर्विसेज लेने वाले होते हैं.

बता दें भारत में हाई-एंड होटल पड़ोसी देशों से काफी महंगे हैं, ऊपर से ज्यादा टैक्सेशन इन्हें और महंगा बना देता है.

खर्च कम करने का मतलब है, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की ऑपरेटिंग कॉस्ट को कम किया जाए. आखिर तभी तो कम पैसे में बढ़िया रहना और खाना उपलब्ध करवाया जा सकेगा.

तो सवाल बनता है कि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की ऑपरेटिंग कॉस्ट कैसे कम की जाए. ये सेक्टर भी लंबे वक्त से ऐसी ही मांग करता आ रहा है. यहां हम इन्हीं की चर्चा करने वाले हैं.

टैक्सेशन में सुधार की गुंजाइश!

होटल इंडस्ट्री GST समेत इनडायरेक्ट टैक्स को तर्कसंगत बनाए जाने की मांग लगातार कर रही है. फिलहाल 18% GST है, जिसे कम कर ग्लोबल लेवल पर लाने की मांग है. आखिर भारत के ही पड़ोसी सिंगापुर और थाईलैंड में सिंगल डिजिट टैक्सेशन है. हालांकि GST पर बजट में कोई फैसला नहीं हो सकता, मगर लागत पर चर्चा करने वक्त इस पर बात करना जरूरी है.

होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HAI) की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में होटल मार्केट से GDP में 65 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ, जो 2047 तक बढ़कर 1,504 बिलियन डॉलर पहुंच सकता है. ऐसे में सरकार को इस सेक्टर का पूरा लाभ लेने के लिए पूरा सहयोग देने की जरूरत है.

डाइन इन रेस्टोरेंट के टैक्स से जुड़ा विवाद: भारतीय लग्जरी होटल्स को टैरिफ कंपटीशन तो फेस करना ही होता है, लेकिन उन्हें डाइन-इन रेस्टोरेंट पर भी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है, जिससे किसी टूरिस्ट को ओवरऑल खर्च बढ़ता है.

दरअसल स्टैंडअलोन रेस्टोरेंट के लिए GST दर 5% तय है, जबकि लग्जरी होटल्स के डाइन इन रेस्टोरेंट में ये दर 18% है, जिसके चलते डाइन-इन रेस्टोरेंट महंगा पड़ता है. ये होटल के रेस्टोरेंट को कंपटीशन में पीछे भी करता है.

GST में ITC की मांग: NRAI का कहना है कि ये एकमात्र सेक्टर है जिसमें 5% GST है, लेकिन ITC (Input Tax Credit) की उपलब्धता नहीं है. इससे इंडस्ट्री को दोहरे टैक्सेशन से बचाव नहीं मिल पाता. इससे बिजनेस मार्जिन भी कम होता है और किसी नए प्रोजेक्ट के लिए कैपिटल बजट भी काफी बढ़ जाता है. इससे विस्तार योजनाओं पर फर्क पड़ता है.

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को इंडस्ट्री घोषित किए जाने की मांग

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर लंबे वक्त से खुद को इंडस्ट्री किए जाने की मांग कर रहा है. अगर ये दर्जा मिलता है, तो इस सेक्टर से जुड़े बिजनेस के लिए कम ब्याज पर और आसानी से कर्ज उपलब्ध हो सकेगा. साथ ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस भी बढ़ेगी. क्लियरेंस प्रोसेस तेज होगा. इससे बिजनेस करने की लागत में कमी आएगी और इनकी सर्विस ग्लोबल लेवल पर ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो पाएंगी.

लाइसेंसिंग प्रक्रिया और NOCs को तर्कसंगत बनाना

NRAI ने लाइसेंसिंग प्रक्रिया को ज्यादा तर्कसंगत बनाने की मांग रखी है. 15 जनवरी को जारी प्रेस रिलीज में संगठन ने बताया कि एक रेस्टोरेंट को स्थापित करने और चलाने के लिए 15 से 25 लाइसेंस/NOC की जरूरत होती है.

इस लाइसेंसिंग व्यवस्था के चलते कई रेस्टोरेंट बिजनेस अपने इलाके के बाहर ग्रोथ नहीं कर पाते, साथ ही ऑपरेशनल कॉम्प्लेक्सिटी भी बढ़ती है. नियमों के पालन का भी अतिरिक्त भार बढ़ता है.

संगठन की मांग है कि सरकार के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' प्रोग्राम के तहत इन प्रक्रियाओं को आसान किया जाए, सिंगल विंडो सॉल्युशन उपलब्ध करवाया जाए. संगठन का तर्क है कि रेस्टोरेंट सेक्टर से छोटे कई सेक्टर के लिए अलग मंत्रालय खोला गया है, जिससे उनकी अच्छी ग्रोथ हुई है, ऐसा ही अलग मंत्रालय विभाग इस सेक्टर के लिए भी खोला जाए.

SMEs के लिए सब्सिडी स्कीम्स और डेट फाइनेंसिंग

रेस्टोरेंट सेक्टर ने जरूरी सुविधाओं, सामग्रियों और कचरा प्रबंधन में सब्सिडी की मांग की है. इसकी पैरवी करने वालों का कहना है कि इससे छोटे शहरों और कस्बों में संघर्ष कर रहे रेस्टोरेंट्स को मदद मिलेगी. फिर इंस्टीट्यूशनल लेंडर्स से कम दरों पर फूड स्टार्ट अप्स को कर्ज मिलना भी मुश्किल होता है, ऐसे में सब्सिडाइज्ड लेंडिंग इस समस्या का हल कर सकती है.

इससे सीधा फायदा ये होगा कि कुछ पारंपरिक चुनिंदा जगहों से बढ़कर टूरिज्म छोटे इलाकों में भी सुलभ होगा. आखिर इन इलाकों में संभावना बहुत ज्यादा है.

पिछले बजट के इंफ्रा फोकस को आगे बढ़ाएं

2023 के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खास फोकस किया गया था. ज्यादा एयरपोर्ट बनाने पर जोर के साथ-साथ रोड-रेलवे के बजट को भी बढ़ाया गया था. लास्ट माइल कनेक्टिविटी बढ़ने से टूरिज्म सेक्टर को सीधा फायदा होता है. साथ ही शहरों और पर्यटन स्थलों को साफ-सुथरा और टूरिस्ट फ्रैंडली बनाने की जरूरत है. उम्मीद है कि अंतरिम बजट में भी ऐसी ही कुछ चीजों को आगे बढ़ाया जाएगा.

वीजा के मोर्चे पर सहूलियत

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के मुताबिक 63 देश भारत को फ्री वीजा सुविधा उपलब्ध करवाते हैं. ये सुविधा अपन साथ ही बिना तकलीफ के एंट्री प्रोसेस को पूरा करवाने पर फोकस करते हैं. भारत भी ये सीख ले सकता है और खुद को फ्री वीजा जैसे तरीकों से बजट डेस्टिनेशन के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकता है.

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