निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट सत्र (Budget Session) में लोकसभा को संबोधित किया. इसमें उन्होंने टैक्सेशन, हेल्थ इंश्योरेंस पर GST, इंडेक्सेशन, LTCG समेत आम आदमी और बजट से जुड़े तमाम मुद्दों पर विस्तार से बात रखी. उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज किया जिनमें कहा जा रहा था कि मिडिल क्लास सरकार से नाराज है.
उन्होंने कहा, '23 जुलाई तक HUF और इंडिविजुअल द्वारा खरीदे गए लैंड और बिल्डिंग एसेट्स में LTCG कैलकुलेशन के लिए लोग बिना इंडेक्सेशन के 12.5% और इंडेक्सेशन के साथ 20% की दर से टैक्स देने का विकल्प चुन सकते हैं. इसमें भी जो कम हो, वो विकल्प वे अपनाया जा सकता है.'
वित्त मंत्री ने कहा कि 'ये हाइपोथिसिस गलत थी कि बदलाव से लोगों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा. हम सिर्फ LTCG के मानकीकरण (Standardization) के लिए ये बदलाव लेकर आए हैं.'
मेडिकल इंश्योरेंस पर 18% GST के मामले पर वित्त मंत्री ने कहा-
मेडिकल इंश्योरेंस के ऊपर GST आने के पहले से ही हर स्टेट में टैक्स लगता था, ये नया विषय नहीं है. इसके पहले कभी भी विपक्ष ने अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को कोई चिट्ठी नहीं लिखी. इसके ऊपर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकी रही है. जबकि सब मिलाकर GST का 75% राज्यों को चला जाता है.निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
बीते 2 साल में मिडिल क्लास को काफी राहत मिली है. टैक्स स्लैब में बदलाव किए हैं. साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन के बढ़ने से सैलरी क्लास के लोगों को अच्छी बचत का मौका मिलेगा. इसके अलावा एंजेल टैक्स हटाने से भी स्टार्टअप्स को काफी राहत मिली है.
लेबर इंटेंसिव इंडस्ट्रीज के लिए कई अच्छे प्रावधान किए हैं. दुर्लभ खनिज, ज्वेलरी पर कस्टम्स ड्यूटी कम होने से इससे जुड़ी लेबर इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा. जरूरी है कि हम कच्चे माल पर कम टैक्स रखें.
ITR रिफंड का वक्त मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में 93 दिन से घटाकर औसतन 10 दिन किया.
TDS रेट को कम किया. इसका डीक्रिमिनलाइजेशन किया. इससे छोटे बिजनेसेज के लिए कैश फ्लो बढ़ेगा. म्यूचुअल फंड में निवेश भी बढ़ा है.