वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NDTV ग्रुप के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दूसरे मुद्दों के बीच दक्षिण भारतीय राज्यों की शिकायतों और चिंताओं पर भी विस्तार से बात की.
दरअसल दक्षिण भारतीय राज्यों का आरोप रहता है कि उन्हें कम फंड मिलता है, जबकि उनकी तुलना में उत्तर भारतीय राज्यों को महज आबादी के आधार पर ज्यादा फंडिंग की जाती है. ये राज्य ये भी कहते हैं कि इनकी खुशहाली और उन्नति ही इनकी विरोधी बन गई है.
दरअसल एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने वित्त मंत्री से पूछा कि डीलिमिटेशन भी होने वाला है और जल्द फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट भी आने वाली है, तो ऐसे में वित्त मंत्री कैसे दक्षिण भारत की चुनौतियों और शिकायतों का समाधान करने की मंशा करती हैं?
जवाब में वित्त मंत्री ने संतुलित जवाब देते हुए कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों की उन्नति में दूसरे राज्य के लोगों का हाथ भी है. लेकिन इस बीच ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इन राज्यों को आगे बढ़ने में और ज्यादा मदद मिले, अगर मदद ना भी मिले, तो इन्हें पीछे ना ढकेला जाए. इसके लिए इन्हें वित्त आयोग से बात करनी होगी.
हमारे सामने दक्षिण भारतीय 5+1 (पुडुचेरी) के मुद्दे हैं. इन्होंने उन्नति के ऐसे संकेत दिए हैं, जिन्हें टैक्स के पैसे के बंटवारे के दौरान ध्यान रखा जाना चाहिए. इन राज्यों को फाइनेंस कमीशन को बताना होगा कि कैसे उन्होंने बीते दशकों में विकास किया है, जिसके चलते उनके हिस्से में आने वाली ग्रांट पर विचार करने के दौरान इन राज्यों को अलग ढंग से ट्रीट किया जाना चाहिए और उन्हें विकास के लिए प्रोत्साहन दिया जाए. या कम से कम हतोत्साहित नहीं किया जाए.निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने दूसरी तरफ ये भी कहा कि 'ये कहना कि सिर्फ आबादी के आधार पर पैसा दे दो, ये भी ठीक नहीं है. उससे बेहतर है कि विकास की कमियों को भी मापदंड बनाया जाए, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स देखना चाहिए, कितने स्वास्थ्य शैक्षणिक संस्थान संबंधित प्रदेश में हैं, उस पर ध्यान देना चाहिए.'