दिसंबर 2024 तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से सरकार को 15,82,584 करोड़ रुपये मिले थे, जो कि पिछले साल से 17.45% ज्यादा है. इस कलेक्शन का आधा हिस्सा पर्सनल इनकम टैक्स से आया है, यानी हमारी और आपकी सैलरी से टैक्स काटकर और ये पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि ये सिलसिला FY23 से ही चला आ रहा है.
मतलब ये कि सरकार की टैक्स कमाई में हम मिडिल क्लास लोगों का बड़ा योगदान रहा है, इसलिए इस बात की उम्मीद जरूर की जा सकती है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतीरमण 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में मिडिल क्लास के लिए टैक्स का बोझ कम करके कुछ राहतों का ऐलान कर सकती हैं. कुछ ऐलानों पर नजर डालते हैं जिन पर बजट के दौरान नजरें रहेंगी, और अगर इन्हें लेकर कोई ऐलान हुआ तो इसका सीधा असर मिडिल क्लास पर पड़ेगा.
पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स को बढ़ा दिया था. वित्त मंत्री लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया था, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया था. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की है कि पिछले साल बढ़ाए गए टैक्स को वापस लिया जाए. AMFI का कहना है कि टैक्स रेट्स बढ़ाने से 5 करोड़ म्यूचुअल फंड्स निवेशकों पर असर पड़ा है. टैक्स रेट्स को पहले जैसा करने से निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करने करने के लिए प्रोत्साहित होंगे साथ ही जो निवेशक लंबे समय से म्यूचुअल फंड्स में बने हुए हैं उन्हें अच्छा रिटर्न भी मिलेगा.
PHD चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने वित्त मंत्री से मांग की है कि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स STT को खत्म किया जाए. स्टॉक एक्सचेंज से शेयरों की खरीद-बिक्री पर STT लगता है. इसे डायरेक्टर टैक्स माना जाता है क्योंकि ये सीधा सिक्योरिटीज की वैल्यू पर लगता है. 2024 के बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इक्विटी और इंडेक्स ट्रेडर्स के लिए STT रेट को 0.01% से 0.02% तक बढ़ाने की घोषणा की थी. इससे ट्रेडर्स को अपने ट्रेड के लिए डबल टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है.
STT साल 2004 में UPA लेकर आई थी, तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसे ये कैपिटल गेंस की चोरी को रोकने का हवाला देते हुए लागू किया था. साथ ही, वित्त मंत्री ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) को टैक्सेश से छूट देने की भी घोषणा की थी. इससे अटकलें लगने लगीं कि STT भविष्य में LTCG की जगह ले सकता है. लेकिन साल 2018 में, NDA के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10% टैक्स फिर से लगाया. ये टैक्स तब लागू होता है जब इंडेक्सेशन बेनेफिट के बिना स्टॉक या इक्विटी म्यूचुअल फंड से बेनेफिट 1 लाख रुपये से अधिक हो जाता है. अब हर बजट सीजन में इस बात के कयास लगाए जाते हैं कि सरकार STT को खत्म कर देगी.
नए टैक्स रिजीम को पॉपुलर बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हर साल कुछ नया ऐलान करती हैं. इस साल उम्मीद की जा रही है कि वो टैक्सपेयर्स को कोई बड़ा तोहफा दे सकती है. माना जा रहा है कि वित्त मंत्री 10 लाख रुपये की तक कमाई वाले लोगों के लिए टैक्स का बोझ कुछ कम कर सकती है. NDTV प्रॉफिट को सूत्रों ने बताया है कि सरकार नए टैक्स रिजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए टैक्स रेट्स में बदलाव करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को मौजूदा 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये भी किया जा सकता है. वित्त मंत्री जुलाई के बजट में नए टैक्स रिजीम के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया था.
ट्रेड यूनियन की मांग है कि EPFO के तहत न्यूनतम पेंशन को 5 गुना बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति महीना किया जाए साथ ही 8वें वेतन आयोग का तत्काल गठन किया जाए. यूनियन की मांग है कि सुपर रिच लोगों पर आने वाले बजट में ज्यादा टैक्स लगाया जाए. यूनियन ने वित्त मंत्री के साथ प्री बजट मीटिंग में मांग रखी कि इनफॉर्मल वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए सुपर रिच पर अतिरिक्त 2% का टैक्स लगाया जाए. साथ ही एग्रीकल्चर वर्कर्स के लिए न्यूनतम वेतनमान को भी फिक्स किया जाए. यूनियन ने कहा कि इनकम टैक्स की छूट को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना चाहिए. टेम्पररी वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी स्कीम लाई जाए और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को फिर से बहाल किया जाए. यूनियन की मांग है कि सरकार को नई पेंशन स्कीम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम को खत्म कर देना चाहिए.