रोटी, कपड़ा और मकान, इन तीन मूलभूत जरूरतों के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार हमारी सबसे अहम जरूरतें हैं. सरकार के एजेंडे में भी ये जरूरतें प्राथमिकता में रही हैं. यहां हम बात करेंगे, स्वास्थ्य की. चूंकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करने वाली हैं तो हेल्थ सेक्टर भी सरकार से उम्मीदें लगाए हुए है.
उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र इस बार के बजट में हेल्थ सेक्टर के लिए आवंटन बढ़ा सकता है. पिछले साल आम बजट में हेल्थ सेक्टर के लिए 90,958 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इस बार उम्मीदें 10% तक की बढ़ोतरी की है.
स्वास्थ्य सेवाओं में टैक्स सुधारों के साथ ही इनोवेशंस को बढ़ावा देने वाले उपायों की भी मांग की जा रही है. साथ ही एक महत्वपूर्ण मांग 'चिकित्सा उपकरणों पर एक समान GST' की है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमानों के अनुसार, देश में स्वास्थ्य सेवा पर होने वाला खर्च 2013-14 में 64.2% से घटकर 2021-22 में 39.4% हो गया है, लेकिन यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की ओर यात्रा चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. इसी अवधि में पब्लिक हेल्थ सर्विस एक्सपेंसेस, GDP के 1.13% से बढ़कर 1.84% हो गया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये 2030 तक 3% के लक्ष्य से बहुत दूर है.
हेल्थ सेक्टर को और भी कई उम्मीदें हैं. आइए एक्सपर्ट्स के हवाले से इसे विस्तार से समझते हैं.
फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड और डायरेक्टर डॉ प्रवीण गुप्ता कहते हैं कि पब्लिक हेल्थ एक्सपेंसेस बढ़ाने के लिए उन्हें एक स्पष्ट रोडमैप की उम्मीद है. स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट और सहायक नीतियों से गांव और शहरों के बीच की खाई को पाटा जा सकता है. खास तौर से वंचित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के हर कोने तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है.
आगामी बजट से प्राथमिक अपेक्षाओं में से एक टैक्स सुधार है. इंडस्ट्री लीडर्स और एक्सपर्ट्स स्वास्थ्य सेवाओं पर GST को शून्य करने या इसे 5% स्लैब में तर्कसंगत बनाने की वकालत कर रहे हैं, जिससे अस्पतालों और नर्सिंग होम की लागत में काफी कमी आ सकती है.
आकाश हेल्थकेयर के MD डॉ आशीष चौधरी ने कहा, 'नए हेल्थ सर्विस प्रोजेक्ट्स के लिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 35AD के तहत 150% कटौती को बहाल करना और नए प्रोजेक्ट्स के लिए न्यूनतम 15 वर्षों के लिए टैक्स राहत प्रदान करना प्रमुख मांगों में शामिल है. साथ ही मौजूदा सुविधाओं के लिए 10 साल की टैक्स राहत की भी उम्मीद है.
एक अन्य महत्वपूर्ण मांग अस्पतालों को इंफ्रास्ट्रक्चर के निवेश के रूप में री-क्लासिफाई करना है. ये कदम प्राइवेट पार्टनरशिप को आकर्षित कर सकता है, जो अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जरूरी है. PSRI अस्पताल DGM(फाइनेंस) अनूप मेहरा मानते हैं कि चिकित्सा उपकरणों के लिए ब्याज दर में छूट के साथ, ये सुधार मददगार साबित होंगे.
नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (NCD) यानी गैर-संचारी बीमारियों का बढ़ना एक बड़ी चुनौती है. 2030 तक, NCD से भारत को 6 ट्रिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान है. ऐसे में व्यापक स्कीनिंग और डायग्नोस्टिक प्रोग्राम तत्काल प्राथमिकता बन गए हैं. सिटी एक्स-रे के CEO डॉ आकार कपूर ने इस पर जोर देते हुए कहा, 'बीमारियों का पता जल्दी चले तो इलाज बेहतर हो सकता है, साथ ही लॉन्ग टर्म हेल्थ सर्विस लागत कम हो सकती है. इसलिए डायग्नोस्टिक सेंटर्स के लिए टैक्स में छूट और उपकरणों पर कम आयात शुल्क जैसे प्रोत्साहन जरूरी हैं.'
देश में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) की भी जबरदस्त संभावनाएं हैं, लेकिन कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि मौजूदा नीतियां इस इमर्जिंग सेक्टर का पूरा समर्थन नहीं करती हैं. एशियन हॉस्पिटल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ NK पांडे ने जोर देकर कहा, 'मेडिकल टूरिज्म से होने वाली आय पर कर छूट और अंतरराष्ट्रीय मरीजों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने से भारत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वैश्विक केंद्र बन सकता है. भारत की चिकित्सा विशेषज्ञता और लागत लाभ बेजोड़ हैं, लेकिन ज्यादा से ज्यादा मरीजों को आकर्षित करने के लिए मेडिकल वीजा में नीतिगत सुधार और शुल्क को तर्कसंगत बनाना जरूरी है.'
स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में फंडिंग एक महत्वपूर्ण बाधा बनी हुई है. एक्सपर्ट्स 'फंड ऑफ फंड्स', पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) जैसे स्वास्थ्य सेवा-विशिष्ट व्यवसाय ट्रस्टों के निर्माण जैसे फाइनेंशियल सपोर्टिव सिस्टम की सलाह देते हैं. डॉ गुप्ता ने कहा, 'ऐसी पहल से इनोवेशन को बढ़ावा मिल सकता है. साथ ही हमारी आबादी की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने में मदद मिलेगी.
डॉ चौधरी कहते हैं, 'ये निर्णायक कार्रवाई का समय है. फंडिंग, पहुंच और इनोवेशन को प्राथमिकता देकर, सरकार सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा को सुलभ, सस्ती और न्यायसंगत बना सकती है.'
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक्सपर्ट्स ने बीमा सुधारों के महत्व पर भी जोर दिया. आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के बावजूद, हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच कम है. सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा लागू करना और धीरे-धीरे स्व-नियोजित प्रोफेशनल्स को कवरेज प्रोवाइड करना स्वास्थ्य सेवा को अधिक न्यायसंगत बना सकता है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, तर्कसंगत नीतियां और स्टेकहोल्डर्स के बीच बढ़ता सहयोग वर्ष 2030 तक सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.