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Budget 2025: फाइनेंशियल सेक्टर की मांग, FD पर टैक्स में छूट और EV के लिए रीफाइनेंस विंडो मिले

टर्म डिपॉजिट से मिले रिटर्न पर इनकम टैक्स लगाया जाता है, जिससे लोग अपनी बचत को फिक्स्ड डिपॉजिट में डालने से कतराते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी12:55 PM IST, 03 Jan 2025NDTV Profit हिंदी
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बजट 2025 के लिए सभी की विश लिस्ट तैयार है. फाइनेशियल सेक्टर, खासतौर पर बैंक्स ने भी वित्तमंत्री के सामने अपनी मांगों की एक फेहरिस्त बनाई है. इसमें टैक्स छूट से लेकर फाइनेंस से जुड़ी कई मांगें हैं.

बैंक बीते कुछ महीनों से बैंकों में तेजी से कम होते सेविंग्स से जूझ रहे हैं, बैंक्स चाहते हैं कि वित्त मंत्री फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स छूट को लेकर कोई कदम उठाएं ताकि लोग बैंकों में पैसा जमा करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें. इसे लेकर फाइनेंशियल मार्केट्स के नुमाइंदों की तरफ से कई सुझाव दिए गए हैं.

फाइनेंशियल सेक्टर के बजट सुझाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को फाइनेंशियल सेक्टर और कैपिटल मार्केट्स के नुमाइंदों से मुलाकात की और उनकी बातों और सुझावों को सुना. इस बैठक में वित्त सचिव और DIPAM सेक्रेटरी आर्थिक मामलों और वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार भी इस बैठक में शामिल थे. वित्त मंत्री FY2025-26 के लिए आम बजट 1 फरवरी को संसद में पेश करेंगी.

एडलवाइस म्यूचुअल फंड की MD और CEO राधिका गुप्ता ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में बताया कि वित्त मंत्री के साथ बजट से पहले हुई बैठक के दौरान कैपिटल मार्केट की दक्षता में सुधार और कैपिटल मार्केट इंक्लूजन को बढ़ाने को लेकर कई सुझाव भी दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि डेट और इक्विटी दोनों में लॉन्ग टर्म सेविंग्स को प्रोत्साहन देने को लेकर सिफारिशें भी की गईं हैं.

रीफाइनेंस विंडो की मांग

FIDC के डायरेक्टर रमन अग्रवाल ने कहा कि NBFC सेक्टर ने ग्रीन फाइनेंस और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए रीफाइनेंस विंडो की मांग की है. उन्होंने कहा 'NBFC को डायरेक्ट रीफाइनेंस मुहैया कराना बहुत आवश्यक है. MSME के लिए, छोटे उधारकर्ताओं के लिए और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी पर्यावरण-अनुकूल संपत्तियों के लिए एक विशेष फंड SIDBI और NABARD जैसे संगठनों को दी जा सकती है, जो हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को रीफाइनेंस करते हैं.

उन्होंने कहा, मौजूदा समय में SARFAESI एक्ट के तहत लिमिट अभी 20 लाख रुपये है जिसे कम किया जा सकता है ताकि छोटे NBFCs प्लेयर्स को इसके तहत कवर किया जा सके. साथ ही सरकार गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर TDS हटाने पर विचार कर सकती है क्योंकि इस प्रावधान से कोई अतिरिक्त रेवेन्यू पैदा नहीं होता है.

सूत्रों के मुताबिक, बैंकों के प्रतिनिधियों ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को सावधि जमा के साथ जोड़ने का सुझाव दिया ताकि डिपॉजिट को बढ़ाने को लेकर लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके.

टर्म डिपॉजिट से मिले रिटर्न पर इनकम टैक्स लगाया जाता है, जिससे लोग अपनी बचत को फिक्स्ड डिपॉजिट में डालने से बचते हैं.

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