वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) बजट 2025 में इंपोर्टेड आइटम्स (Imported Items) पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव कर सकती हैं. इसमें कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मेडिकल डिवाइसेज तक पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव शामिल है, ताकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा सके और देश की इंडस्ट्री को ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने में मदद मिल सके.
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि सरकार कम से कम 30 आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी छूट को बढ़ाने पर विचार कर सकती है, जो सितंबर 2025 में खत्म होने जा रही है. वित्त मंत्रालय का सोचना है कि ड्यूटी में बदलाव को देश के भीतर वैल्यू एडिशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार के 'मेक इन इंडिया' के साथ जोड़ा जाना चाहिए.
NDTV प्रॉफिट को इनमें से एक जानकार व्यक्ति ने बताया कि इंपोर्टेड फिनिश्ड गुड्स पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि सरकार इन इंपोर्टेड वस्तुओं पर मिल रही सशर्त छूट को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने पर विचार कर रही है.
इस व्यक्ति ने बताया कि सरकार ऐसे आइटम्स की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स, इनपुट मैटेरियल्स पर कस्टम्स ड्यूटी को कम करने का प्रस्ताव कर सकती है. वियतनाम से इंपोर्टेड मेडिकल उपकरण जैसे ब्लड प्रेशर मशीन, ऑक्सीमीटर वगैरह पर ड्यूटी में बदलाव देखा जा सकता है और इसे कम किया जा सकता है.
ये कदम कस्टम ड्यूटी रेट स्ट्रक्चर की व्यापक समीक्षा के मुताबिक है ताकि व्यापार में आसानी, ड्यूटी इनवर्जन को खत्म करने और विवादों को कम करने के लिए इसे तर्कसंगत और सरल बनाया जा सके.
ध्यान देने वाली बात ये है कि ड्यूटी इनवर्जन तब होता है जब फिनिश्ड गुड्स पर इनको बनाने के लिए जरूरी इनपुट की तुलना में कम इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. समीक्षा से ड्यूटी स्लैब को मौजूदा 12-13 स्लैब से घटाकर अधिकतम पांच किया जा सकता है. ये पूरे सेक्टर में लागू कई रेट्स को भी तर्कसंगत बनाएगा.
जुलाई के बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकल मैन्युफैक्चरिंग को सपोर्ट करने के लिए मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स, सोना, चांदी, महत्वपूर्ण खनिज, चमड़ा और कुछ केमिकल्स सहित कई उत्पादों पर सीमा ड्यूटी में बदलाव की घोषणा की थी.
इसके अलावा, सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कस्टम ड्यूटी के लिए एक टैक्स सेटलमेंट योजना शुरू करने पर भी चर्चा की.
सरकार ने अतीत में एक्साइज और सर्विस टैक्स मामलों के लिए ऐसी टैक्स सेटलमेंट स्कीम्स की घोषणा की थी. एक अनुमान से पता चलता है कि अकेले कस्टम ड्यूटी से जुड़े 40,000 से अधिक मामले कई अदालतों और ट्रिब्यूनल्स में लंबित थे.