मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने तीसरे कार्यकाल (Third Term) का दूसरा बजट पेश किया. ये उनका रिकॉर्ड 8वीं बजट है. बजट में वित्त मंत्री ने मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा देते हुए ऐलान किया कि अब 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
इससे पिछले बजट में नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में बदलाव और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ने के साथ-साथ STCG, STT बढ़ोतरी, कुछ आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी में कटौती जैसे बड़े फैसले हुए थे.
इससे पहले आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2025) में वित्त वर्ष 2025–26 में देश की इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया गया है. साथ ही इसमें कहा गया है कि तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश की GDP करीब 6.4% रहने की संभावना है.
बजट में मिडिल क्लास के हाथों में ज्यादा पैसा दिया गया है, जिससे खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी
टैक्स स्लैब्स में बदलाव स्वागत योग्य कदम
कैपेक्स खर्च मजबूत स्तर पर मौजूद
निजी क्षेत्र के लिए PM गति शक्ति डेटा उपलब्ध कराना अहम कदम
सज्जन जिंदल, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, JSW ग्रुप
नेट टू GDP से ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी मिलती है, फिर भी ज्यादा पारदर्शी है
भारत को ज्यादा निवेश की जरूरत
रिफॉर्म्स से अनुपालन आसान बनेगा
नए गोल्ड बॉन्ड्स जारी करने से कोई फायदा नहीं दिखता
भविष्य में भी कुछ बदलता नजर नहीं आता है
अजय सेठ, सचिव, DEA
बजट अर्थव्यवस्था के कई अहम मुद्दों को कवर करता है
खासतौर पर ग्रोथ और खपत को बढ़ाने वाले क्षेत्र कवर
टैक्स दरों को घटाने से साफ तौर पर खपत बढ़ेगी
खपत के साथ बजट में नौकरियां बढ़ाने के कदम शामिल
केकी मिस्त्री, चेयरमैन, HDFC लाइफ इंश्योरेंस
केंद्रीय बजट राजकोषीय विवेक, शहरी खपत में ग्रोथ और कैपिटल खर्च के बीच संतुलन रखता है
राजकोषीय विवेक हमेशा बेहतर होता है
वित्तीय अनुशासन की जरूरत
निलेश शाह, MD, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी
निजी क्षेत्र से ज्यादा भागीदारी की जरूरत
राजकोषीय विवेक की सीमाओं के अंदर कैपेक्स पर जोर
मनोज गोविल, व्यय सचिव