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Budget 2025: माइक्रोफाइनेंस कंपनियों सरकार से मांगा अतिरिक्त फंड; प्री बजट मीटिंग में दी मांगों की लंबी लिस्ट

31 मार्च, 2024 तक, माइक्रोफाइनेंस सेक्टर का आउटस्टैंडिंग लोन 4,42,700 करोड़ रुपये था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:11 AM IST, 09 Jan 2025NDTV Profit हिंदी
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माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के लिए सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन सा-धन (Sa-Dhan) ने वित्तीय सेवा सचिव विभाग के साथ बजट-पूर्व परामर्श के दौरान 'अतिरिक्त फंड निवेश' की मांग की है.

इसने माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में लोन सप्लाई बढ़ाने और स्थिर विकास सुनिश्चित करने के लिए, सदस्यों ने एक स्पेशल फंड की स्थापना करके क्रेडिट विस्तार की मांग की है. ये तब हुआ है, जब इस सेक्टर को ऐसे समय में फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है जब ऊंची ब्याज दरों के कारण माइक्रो-लेंडिंग की मांग धीमी हो गई है.

बजट-पूर्व बैठक में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू, सा-धन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और CEO जिजी मामन और अन्य MFI के CEOs शामिल हुए.

IMEF जैसा कोष जरूरी

सा-धन ने एक प्रेस रिलीज में कहा, 'आगामी बजट में इंडिया माइक्रो-फाइनेंस इक्विटी फंड (IMEF) के समान एक विशेष कोष बनाया जाना चाहिए, ताकि छोटे और उभरते MFI को उन सेक्टर्स में ऑपरेशनल विस्तार करने के लिए इक्विटी सहायता दी जा सके, जहां अधिकांश मेनस्ट्रीम लेंडर्स उपलब्ध नहीं हैं.'

31 मार्च, 2024 तक, माइक्रोफाइनेंस सेक्टर का ज्वाइंट लोन आउटस्टैंडिंग 4,42,700 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा.

क्रेडिट गारंटी योजना भी ला सकती है सरकार!

सरकार के सामने क्रेडिट ऑपरेशन के लिए फंडिंग सपोर्ट का भी अनुरोध रखा गया. सरकार MFI को कॉस्ट-इफेक्टिव तरीके से फंड मुहैया कराने के लिए एक डेडिकेटेड फंडिंग मेकेनिज्म बनाने पर विचार कर सकती है, जिससे अंततः MFI लोन्स की प्राइसिंग में कमी आ सकती है.

सरकार MFI को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन दिलाने में मदद करने के लिए एक क्रेडिट गारंटी योजना भी पेश कर सकती है.

और क्या-क्या अनुरोध किए गए?

इसके अलावा, MFI के कवरेज और दुर्गम इलाकों में उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार से अनुरोध किया गया है कि बजट में NGO और विकास संस्थानों की क्षमता निर्माण की जरूरतों को रेखांकित किया जाना चाहिए ताकि उन्हें MFI या फाइनेंशियल मिडिएटर में बदला जा सके.

माइक्रोफाइनेंस संस्थानों का कवरेज क्षेत्र अपेक्षाकृत कम है. ग्रामीण ग्राहकों का अनुपात लगभग 200 जिलों में 77% तक सीमित है. इसमें मुख्य रूप से बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे शीर्ष पांच राज्यों की 56% हिस्सेदारी है.

उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए एक स्पेशल फंड का भी अनुरोध किया गया है क्योंकि वहां देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा बैंकिंग सुविधाओं की कमी है. नॉर्थ ईस्ट इंडिया में गरीब परिवारों को वित्तपोषित करने के लिए एक डेडिकेटेड फंड पर विचार किया जा सकता है.

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य के भीतर माइक्रोफाइनेंस इकोसिस्टम को फिर से पुनर्निर्माण के लिए सरकार, जरूरतमंदों को आगे के वित्तपोषण के लिए MFI को लॉन्ग टर्म, इंटरेस्ट फ्री लोन देकर नई इक्विटी के निवेश के बारे में सोच सकती है.

इसके अलावा, सरकार ग्रांट फंड या इंटरेस्ट फ्री वाले फंड के रूप में उत्तर पूर्वी विकास वित्त निगम में एक डेडिकेटेड फंड स्थापित कर सकती है.

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