बेरोजगारी के मोर्चे पर आर्थिक सर्वेक्षण में तस्वीर अच्छी पेश की गई है. इसमें कहा गया है कि बीते 7 वर्षों में भारतीय लेबर मार्केट के इंडिकेटर्स में सुधार हुआ है. बेरोजगारी दर जो जुलाई-जून 2017-18 में 6% पर थी, FY24 में सुधरकर 3.2% पर आ गई है.
सर्वे के मुताबिक भारत ने हाल के वर्षों में रोजगार के मोर्चे पर अच्छी तरक्की देखी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) की ओर से जारी 2023-24 पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) ने महामारी के बाद एक जबदस्त रिबाउंड दिखाया है. 15 वर्ष और उससे ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए देश की कुल बेरोजगारी दर 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई है.
शहरी इलाकों में तिमाही बेरोजगारी दर में भी सुधार देखने को मिला है, ये Q2FY24 में 6.6% से गिरकर Q2FY25 में 6.4% पर आ गई है. इसके अतिरिक्त, शहरी क्षेत्रों में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) 49.3% से बढ़कर 50.4% हो गया है, इसी अवधि के दौरान वर्कर -टू- पॉपुलेशन रेश्यो (WPR) 46% से बढ़कर 47.2% हो गया है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत का लक्ष्य साल 2047 तक विकसित भारत के रूप में खुद का स्थापित करना है, इसके लिए कम से कम एक दशक तक हर साल करीब 8% की लगातार ग्रोथ को हासिल करना होगा, इस ग्रोथ को हासिल करने के लिए निवेश दर को मौजूदा 31% से बढ़ाकर GDP का का करीब 35% करना होगा.
इसके अलावा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को और ज्यादा विकसित करना और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स और बायो टेक्नोलॉजी जैसी उभरती टेक्नोलॉजीज में निवेश करना भी जरूरी है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की बढ़ती वर्कफोर्स को काम देने के लिए 2030 तक हर साल 78.5 लाख नए गैर-कृषि रोजगार का निर्माण करना होगा और 32% साक्षरता हासिल करनी होगी, हमारे शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता विकसित करनी होगी और उच्च गुणवत्ता वाले, फ्यूचर रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने और श्रमिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए ढेरों उपाय लागू किए हैं. हाल ही में शुरू की गई PM-इंटर्नशिप योजना रोजगार पैदा करने के लिए एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में उभर रहा है. वर्कफोर्स में युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी जनसांख्यिकीय और जेंडर डिविडेंड का फायदा उठाने का मौका देती है.
EPFO के तहत नेट पेरोल ग्रोथ पिछले छह साल में दोगुना से ज्यादा हो गई है, जो कि इस बात का संकेत है कि फॉर्मल सेक्टर में नौकरी की ग्रोथ अच्छी है. बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी और रीन्युएबल एनर्जी सेक्टर रोजगार सृजन के लिए बेहतर मौके मुहैया करा रहे हैं. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सरकार ऑटोमेशन, जेनरेटिव AI, डिजिटलाइजेशन और जलवायु परिवर्तन जैसे उभरते ग्लोबल ट्रेंड्स के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए एक लचीला कुशल इकोसिस्टम तैयार कर रही है.
MSME सेक्टर भारत की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देकर और कम पूंजी लागत पर बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करके, ये सेक्टर कृषि के बाद दूसरे स्थान पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 26 नवंबर, 2024 तक MASME ने 23.24 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है.