वित्त वर्ष 2025–26 में देश की इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ेगी. शुक्रवार को संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2025) में ये अनुमान जताया गया है. साथ ही इसमें कहा गया है कि तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश की GDP करीब 6.4% रहने की संभावना है.
1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण को रखा. इकोनॉमिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम ने तैयार किया है.
अनुमान के अनुसार, कमजोर मैन्युफैक्चरिंग और निवेश के कारण देश की GDP के चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो चार साल का न्यूनतम स्तर है. ये पिछले वर्ष के इकोनॉमिक सर्वे में अनुमानित 6.5%-7% की ग्रोथ रेट और केंद्रीय बैंक RBI के 6.6% के अनुमान से भी कम है.
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की GDP में प्रभावशाली 8.2% की वृद्धि हुई और ये सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख इकोनॉमी बनी रही. 2022-23 में इकोनॉमी 7.2% और 2021-22 में 8.7% बढ़ी.
बता दें कि केंद्रीय बजट से एक दिन पहले हर वर्ष पेश किया जाने वाला इकोनॉमिक सर्वे चालू वित्त वर्ष के इकोनॉमिक परफॉर्मेंस का व्यापक विवरण देता है. साथ ही ये अगले वित्त वर्ष के लिए संभावना के बारे में भी बताता है.
सर्वेक्षण में देश के विकास के लिए, लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए और महंगाई को काबू करने के लिए सरकार के उठाए गए कदमों की सराहना की गई है. इकोनॉमिक सर्वे में महंगाई को लेकर कहा गया है कि सरकार के प्रयासों और पॉलिसीज के चलते रिटेल महंगाई कंट्रोल की गई है, हालांकि फूड इनफ्लेशन को लेकर चिंता बनी हुई है.
IMF के मुताबिक साल 2022 में जहां ग्लोबल महंगाई दर 8.7% पर थी और 2024 में कम होते होते ये 5.4% पर आ गई.
वहीं भारत की बात करें तो देश में रिटेल महंगाई दर FY24 में 5.4% से गिरकर FY25 (अप्रैल-दिसंबर) में 4.9% रही है.
हालांकि फूड इनफ्लेशन के मोर्चे पर चिंता बनी हुई है; खराब मौसम, कम उपज के चलते सप्लाई चेन में बाधा आने से ये बढ़ा.
लू और बेमौसम बारिश जैसी चरम मौसमी घटनाओं ने खाद्य उत्पादन और सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित किया है.
महंगाई को काबू करने के लिए सरकार ने कई जरूरी कदम उठाए, सरकार के पॉलिसी हस्तक्षेप से महंगाई कंट्रोल करने में मदद मिली.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में महंगाई के मैनेजमेंट को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं.
IMF और केंद्रीय बैंक RBI का अनुमान है कि देश की CPI धीरे-धीरे FY26 में लगभग 4% के लक्ष्य को पा लेगी.
FY26 की पहली छमाही में अच्छे रबी उत्पादन से खाने-पीने की चीजों की कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि देश में मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का असर निवेश और मैन्युफैक्चरिंग पर पड़ा. इंडस्ट्रियल सेक्टर अच्छी रफ्तार से बढ़ा.
GDP के पहले अनुमान के हिसाब से FY-25 में इंडस्ट्रियल सेक्टर 6.2% की रफ्तार से बढ़ा
मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया मुहिम से देश में विदेशी निवेश और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी
देश में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का प्रोडक्शन 17.5% की CAGR से बढ़ा
कुल एक्सपोर्ट (मर्चेंडाइज और सर्विस) में पिछले 9 महीनों में अच्छी ग्रोथ
एक्सपोर्ट में 6% की ग्रोथ (YoY), सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट 11.6% बढ़ा
2021 में शुरू की गई राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) ने वित्त वर्ष 22-25 के लिए 6 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति जोड़ाकी पहचान की. वित्त वर्ष 22-24 के लिए एसेट मॉनेटाइजेशन 4.30 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 3.86 लाख करोड़ रुपये था.
सड़क, बिजली, कोयला और खनन क्षेत्र ने सबसे ज्यादा परफॉर्म किया. FY25 के लिए, कुल मॉनेटाइजेशन लक्ष्य 1.91 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. सरकारी प्रयासों को कैपेक्स यानी पूंजीगत खर्चों में वृद्धि के साथ पूरक बनाने की जरूरत है.
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अभी भी काफी मांग पूरी नहीं हुई है. विकसित भारत के लक्ष्य के लिए वित्तपोषण के अभिनव तरीके और अधिक निजी भागीदारी (PPP) की जरूरत है.
आर्थिक सर्वेक्षण में AI के चलते बड़े पैमाने पर मिडिल और लोअर स्तर पर बेरोजगारी बढ़ सकती है, वेतन घट सकता है. पॉलिसी मेकर्स को इनोवेशन को सोशल लागत के साथ संतुलित करना चाहिए. इसमें कहा गया है कि लेबर मार्केट में AI से बदलावों का स्थायी प्रभाव रहने की संभावना है.
कॉरपोरेट सेक्टर को AI को ठीक से मैनेज करते हुए जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए
AI के चलते होने वाले बदलाव के विपरीत प्रभावों को कम करने की जरूरत
इन्क्लूसिव ग्रोथ के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच एक मिलकर कोशिश करने जरूरत
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि लेबर मार्केट के हालात 7 साल में बेहतर हुए, FY24 में बेरोजगारी की दर गिरकर 3.2% पर आई.
PM-इंटर्नशिप कार्यक्रम रोजगार बढ़ाने में उत्प्रेरक बनेगा
EPFO में नेट पेरोल पिछले 6 साल में दोगुना हुआ, संगठित क्षेत्र में रोजगार का अच्छा संकेत
डिजिटल इकोनॉमी, रीन्युएबल एनर्जी सेक्टर में रोजगार के बड़े मौके
इसमें कहा गया है कि देश में GCCS की संख्या FY19 में 1,430 से बढ़कर FY24 में 1,700 हो गई है. भारत में GCCS में लगभग 19 लाख लोगों को रोजगार मिला है. पिछले 5 सालों में 400 नई GCCS और 1,100 नई यूनिट्स स्थापित हुईं.