रिलायंस एडीएजी के अध्यक्ष अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना अंबानी को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में बुलाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (आरटीएल) आज सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आज शीघ्र सुनवाई के लिए इस याचिका का उल्लेख किया गया। खंडपीठ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति हो गई और इसे सुनवाई हेतु एक ‘‘उचित पीठ’’ के समक्ष 24 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन प्रकरण में मुकदमे का सामना कर रही रिलायंस टेलीकॉम लि. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंची है, क्योंकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट सहित अन्य सभी अदालतों को इस प्रकरण से संबंधित किसी भी याचिका पर विचार से रोक दिया था।
निचली अदालत ने 19 जुलाई को सीबीआई का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया था कि अनिल अंबानी और टीना अंबानी की गवाही उनके समूह की कंपनियों द्वारा स्वान टेलीकॉम में 990 करोड़ रुपये से अधिक के कथित निवेश पर प्रकाश डाल सकती है, जो इसके प्रमोटरों शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका के साथ मुकदमे का सामना कर रही है।
अदालत ने कहा था कि मामले में उचित फैसले पर पहुंचने के लिए अनिल अंबानी, टीना और 11 अन्य को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में बुलाया जाना आवश्यक है। अदालत ने यह भी कहा था कि छद्म (शेल) कंपनियों के संयोजन से संबंधित तथ्यों को साबित करने के लिए अनिल और टीना की गवाही जरूरी है, क्योंकि क्योंकि कुछ गवाह, जिनसे पूर्व में जिरह की जा चुकी है, ऐसा करने में सफल नहीं रहे हैं।
अदालत ने आरोपियों के वकील की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि सीबीआई ने देर से आग्रह किया है और कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह की प्रक्रिया जारी है।
आएडीएजी की समूह कंपनी आरटीएल इस मामले में एक आरोपी है। रिलायंस एडीएजी के तीन शीर्ष अधिकारियों..गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरी नायर भी मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि आरटीएल ने अयोग्य कंपनी स्वान टेलीकॉम को 2जी लाइसेंस तथा महंगी रेडियो तरंगें हासिल करने के लिए अपनी मुखौटा कंपनी के रूप में इस्तेमाल किया।