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Delay In Monsoon: मॉनसून में थोड़ी देरी से खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ सकता है असर

Slight Delay In Monsoon: IMD (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) ने 16 मई को कहा था कि इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के पहुंचने में सामान्य से अधिक देरी होने का अनुमान है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी04:55 PM IST, 25 May 2023NDTV Profit हिंदी
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साल 2023 की शुरुआत में बेमौसम बारिश होने के बाद हाल ही में मौसम विभाग ने कहा है कि इस बार मॉनसून आने में देरी हो सकती है. अगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही होती है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका सीधा असर खरीफ की फसलों की बुआई पर होगा. यानी कि इस बार खरीफ फसलों की बुआई में कुछ देरी हो सकती है.

मॉनसून पर IMD का अनुमान

IMD (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) ने 16 मई को अनुमान जताया था कि इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के पहुंचने में सामान्य से अधिक देरी हो सकती है. वहीं केरल में मॉनसून के 4 जून को दस्तक देने की संभावना है. नतीजतन, फसलों की बुआई को भी झटका लग सकता है

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य तौर पर 1 जून को केरल में दस्तक देता है और इसमें करीब सात दिन का अंतर (deviation) होता है.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के शोध निदेशक (Director of Researcher) पुशान शर्मा ने कहा कि IMD के पूर्वानुमान के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 4 जून तक देश में पहुंचने की संभावना है, जो दो से तीन दिनों की देरी का संकेत है, जबकि स्काईमेट ने 3 दिनों( +/-) के साथ एक हफ्ते की देरी की भविष्यवाणी की है.

मॉनसून के आगमन में निश्चित ही देरी होगी, और किसानों को मॉनसून का इंतजार करना होगा. इससे बुआई में देरी हो सकती है.
योगेश पाटिल, CEO, Skymet

खरीफ सीजन की फसलें

  • धान (चावल)

  • मक्का

  • ज्वार

  • बाजरा

  • मूंग

  • मूंगफली

  • गन्ना

  • सोयाबीन

क्रिसिल मार्केट के पुशान शर्मा ने कहा कि खरीफ की बुआई में मॉनसून के आने की टाइमिंग महत्वपूर्ण होती है. हालांकि 4 से 7 दिन की देरी से खरीफ फसलों की बुआई पर कुछ खास असर होने की उम्मीद नहीं है.

धान के मामले में (खरीफ बोए गए क्षेत्र का लगभग 37% योगदान देने वाली प्रमुख खरीफ फसल है) पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के प्रमुख राज्यों में बुआई में कोई देरी होने की उम्मीद नहीं है.

क्या कहता है क्रिसिल का ऑन-द-ग्राउंड इंटरैक्शन

क्रिसिल के ऑन-द-ग्राउंड इंटरैक्शन के मुताबिक उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में धान की बुआई में 10-15 दिनों की देरी होने की संभावना है. लेकिन ये मॉनसून के देर से आने के कारण नहीं, बल्कि मार्च में बेमौसम बारिश के बाद रबी फसलों की देरी से कटाई के कारण होगा.

धान के अलावा दूसरे अन्य खरीफ फसलों पर असर

पुशान शर्मा के अनुसार कपास और सोयाबीन जैसी अन्य फसलों के मामले में, जो ज्यादातर पश्चिमी राज्यों के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उगाई जाती हैं, बुआई आमतौर पर मॉनसून के आगमन के बाद की जाती है.

हालांकि 4 से 7 दिनों के आगे पीछे होने से फसलों की बुआई को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकते है. लेकिन सामान्य से कम बारिश के साथ 20-25 दिनों से अधिक देरी से कपास और सोयाबीन की बुआई पर असर संभव है, जिससे किसान बाजरा और ज्वार जैसी बाजरा फसलों की ओर रुख कर सकते हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने जारी की एडवाइजरी

महाराष्ट्र सरकार ने मॉनसून की देरी की संभावना को ध्यान में रखते हुए इस खरीफ सीजन में पालन की जाने वाली फसल मिश्रण पर एक सलाह जारी की है, जिसमें किसानों को सलाह दी गई है कि अगर मॉनसून जुलाई के पहले पखवाड़े से आगे देरी से आता है तो मूंगफली, सोयाबीन, कपास और उड़द जैसी फसलों से बचें.

पुशान शर्मा ने कहा कि जहां तक बुआई का सवाल है, मॉनसून का स्थानिक वितरण (spatial distribution) भी इस पर निगरानी रखे हुए है. क्योंकि पिछले साल बुआई की दौरान पूर्वी राज्यों में बारिश की कमी ने धान के रकबे को काफी प्रभावित किया था.

नर्चर डॉट फार्म (nurture.farm.) के बीमा प्रमुख विवेक ललन के मुताबिक बुआई में देरी का भारत में कृषि क्षेत्र पर असर पड़ सकता है और इससे फसल की कुल पैदावार और उत्पादकता प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा कि ये बाजार की उपलब्धता और कुछ कृषि जिंसों की कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है.

विवेक ललन के मुताबिक अधिकांश दक्षिणी राज्य अपनी खेती और खेती की जरुरतों के लिए मानसून पर निर्भर हैं, क्योंकि इन राज्यों में इरिगेशन इकोसिस्टम (irrigation ecosystem) अभी भी अविकसित है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा 11 अप्रैल को जारी पूर्वानुमान के मुताबिक जून-सितंबर 2023 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ( SWM) बारिश लंबी अवधि के औसत का 96% सामान्य होने की संभावना है.

स्थानिक वितरण (spatial distribution) से पता चलता है कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्वी मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाकों, पश्चिम मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.

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