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GNSS: कार में लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला! NH और एक्‍सप्रेस-वे पर हर दिन 20KM का सफर फ्री, नहीं देना होगा टोल टैक्‍स

GNSS की चर्चा आज हम फिर से इसलिए कर रहे हैं, क्‍योंकि केंद्र सरकार ने इसको लेकर एक अधिसूचना जारी की है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी04:46 PM IST, 10 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने आम चुनाव से पहले टोल टैक्‍स कलेक्‍शन को लेकर एक सैटेलाइट बेस्‍ड सिस्‍टम (GNSS) की घोषणा की थी. मोदी 3.0 सरकार बनने के बाद जून में एक इंटरनेशनल वर्कशॉप में इसे इंट्रोड्यूस किया गया. और फिर पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर कर्नाटक और हरियाणा में दो जगहों पर इंस्‍टॉल किया गया. इसे देशभर में लागू किया जाना है.

आज हम फिर से इसकी चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्‍योंकि केंद्र सरकार ने इसको लेकर एक अधिसूचना जारी की है. इसके मुताबिक, ग्‍लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्‍टम (GNSS) से लैस प्राइवेट कार मालिकों को हर दिन NH यानी नेशनल हाईवे और एक्‍सप्रेस-वे पर 20 किलोमीटर तक का सफर टैक्‍स फ्री रहेगा. यानी हर दिन 20 किलोमीटर की यात्रा के लिए उन्‍हें टोल नहीं देना होगा.

GNSS-बेस्‍ड इलेक्‍ट्रॉनिक टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम, जिसमें टोल बूथ की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और ये जाम के झाम से मुक्ति दिलाएगा. GNSS से लैस गाड़ी से रोज तय की जाने वाली दूरी के हिसाब से टैक्‍स वसूले जाने का प्रावधान है.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को National Highways Fee (Determination of Rates and Collection) Rules, 2008 में संशोधन की अधिसूचना जारी की है.

20 KM के बाद ही देना होगा टोल टैक्‍स

केंद्र के नोटिफिकेशन के मुताबिक, नए नियमों के तहत नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने पर ही वाहन मालिकों से टोल लिया जाएगा. ये टोल टैक्‍स हर दिन तय की गई 'कुल दूरी' पर चार्ज किया जाएगा.

अधिसूचना में कहा गया है, 'नेशनल परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर किसी अन्य वाहन का ड्राइवर, मालिक या प्रभारी व्यक्ति, जो NH यानी राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थाई पुल, बाईपास या सुरंग के उसी सेक्‍शन का इस्‍तेमाल का इस्‍तेमाल करता है, उससे GNSS-आधारित यूजर टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम के तहत एक दिन में हर दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा.'

कहां-कहां लागू है ये सिस्‍टम?

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर सैटेलाइट-आधारित टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम को पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर लागू करने का फैसला लिया है.

GNSS-बेस्‍ड यूजर्स टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम को पायलट स्‍टडी के तहत NH-275 के बेंगलुरु-मैसूर सेक्‍शन और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार सेक्‍शन पर इंस्‍टॉल किया गया है.

GNSS-बेस्‍ड टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम

  • नेशनल हाईवे टोल पर होगा सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

  • हाईवे पर टोल बूथों को खत्म करने के मकसद से उठाया गया कदम

  • NH पर नहीं लगेगा जाम, बिना रुकावट आ-जा सकेंगी गाड़ियां

  • IHMCL ने दुनियाभर से मंगवाया है एक्‍सप्रेशन ऑफ इंटरेस्‍ट

  • कारों में लगे ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) के जरिए होगी ट्रैकिंग

  • हाईवे पर तय की गई दूरी के आधार पर चार्ज किया जाएगा टोल टैक्‍स

कैसे काम करता है सिस्‍टम?

पुराने सिस्‍टम में टोल प्‍लाजा पर ज्‍यादा कर्मियों की जरूरत पड़ती थी. फिर FASTag सिस्‍टम लाया गया, लेकिन इसके बावजूद जाम की समस्‍या बनी हुई है. अब GNSS-बेस्‍ड सिस्‍टम पर काम चल रहा है.

  • इसमें कारों में सैटेलाइट और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर तय की गई दूरी का आकलन किया जाएगा और उस दूरी में पड़ने वाले टोल के अनुसार टैक्‍स वसूला जाएगा.

  • FASTag से अलग, सैटेलाइट-आधारित GPS टोल कलेक्‍शन सिस्‍टम, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर काम करता है, जो सटीक ट्रैकिंग करने में सक्षम होगा.

ये सिस्‍टम दूरी के आधार पर सटीक टोल कैलकुलेशन के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और भारत के GPS एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN) जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा.

कैसे लागू होगी व्‍यवस्‍था?

  • इस GNSS-बेस्‍ड सिस्‍टम के तहत वाहनों में एक ट्रैकिंग डिवाइस लगाया जाएगा, जिसे ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) कहा जा रहा है.

  • सरकारी वेबसाइट्स के जरिए FASTag की तरह ही OBU भी एवलेबल कराए जाएंगे. इसे फिलहाल बाहरी तौर पर लगाने की जरूरत होगी.

  • हालांकि भविष्य में कार निर्माता पहले से ही ऐसे उपकरण, कारों में इन-बिल्‍ट कर सकते हैं. कार की कीमत में इसकी कीमत जुड़ी हो सकती है.

  • ट्रैकिंग डिवाइस लगे वाहन NH या अन्‍य टोल वाले सड़कों से गुजरेंगे तो हाईवे पर लगे कैमरे और सैटेलाइट के जरिए तय की गई दूरी का पता चल जाएगा.

  • डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग के जरिए इनका निर्देशांक (Coordinates) रिकॉर्ड हो जाएगा और इससे सॉफ्टवेयर को टोल का निर्धारण करने की अनुमति मिलेगी.

  • CCTV कैमरों वाले गैंट्री सुचारू संचालन सुनिश्चित करते हुए अनुपालन की मॉनि‍टरिंग करेंगे. शुरुआत में इस सिस्टम को प्रमुख हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर लागू किया जा सकता है.

  • तय की गई दूरी के आधार पर OBU से लिंक किए गए बैंक अकाउंट से ऑटोमैटिक रूप से टोल टैक्‍स की राशि काट ली जाएगी.

पायलट स्‍टडी के बाद क्‍या?

इस सिस्‍टम के शुरू होने से भविष्‍य में टोल प्लाजा की जरूरत खत्म हो जाती है और लोगों का काफी समय बचेगा.

  • NHAI की योजना मौजूदा FASTag इकोसिस्टम की जगह GNSS-आधारित ETC सिस्‍टम को इंटीग्रेट करने की है.

  • शुरुआत में, एक हाईब्रिड मॉडल का इस्तेमाल किया जाएगा. जहां RFID- बेस्‍ड ETC और GNSS-बेस्‍ड ETC दोनों एक साथ संचालित होंगे.

  • टोल प्लाजा पर डेडिकेटेड GNSS-लेन होंगे, जिससे ट्रैकिंग सिस्‍टम लैस गाड़ियां गुजर सकेंगी.

  • जैसे-जैसे GNSS-बेस्‍ड सिस्‍टम का विस्‍तार होता जाएगा, टोल प्लाजा पर सभी लेन आखिरकार GNSS लेन में बदल जाएंगी.

पायलट स्‍टडी के तहत जिन दो खंडों पर ये व्‍यवस्‍था लागू की गई है, वहां इस सिस्‍टम का आकलन करने के बाद इसे देश के अन्‍य हिस्‍सों में भी लागू किया जाएगा.

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