इंडियन इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर सेगमेंट बड़े ट्रांसफॉर्मेशन के लिए तैयार है. पारंपरिक OEMs (ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) और इंडस्ट्री में आने वाले नए खिलाड़ी इस तेजी से बढ़ते सेगमेंट का हिस्सा पाने की कोशिश कर रहे हैं. फिर अगले दो दशक में इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बड़ा शिफ्ट भी होने की संभावना है. ये बातें बर्नस्टीन ने मार्केट के अपने विश्लेषण में कही हैं.
इस सेक्टर के लीडिंग प्लेयर्स में ओला इलेक्ट्रिक, TVS, बजाज और एथर एनर्जी शामिल हैं. इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट में विविधता लेकर आ रहे हैं. इस दौरान वे मोटरसाइकिल, स्कूटर और 3-व्हीलर जैसी अलग-अलग वैरायटी पर फोकस कर रहे हैं.
प्राइसिंग स्ट्रैटेजी ऐसी है कि कंपनियां आमतौर पर महंगे मॉडल्स के साथ उतरती हैं, फिर सस्ते की तरफ जाती हैं. देखा जाए तो ओला इलेक्ट्रिक फिलहाल प्राइसिंग के साथ-साथ फैक्टर इनोवेशन में लीड कर रही है.
ज्यादातर OEMs क्रिटिकल कंपोनेंट्स को आउटसोर्स करती हैं. साथ ही एक्सक्लूसिव EV आउटलेट्स स्थापित करने की प्लानिंग करती हैं. ओला इलेक्ट्रिक वर्टिकल इंटीग्रेशन और कंपनी के स्वामित्व वाले डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की प्लानिंग के साथ फिलहाल सारी कंपनियों से लीड ले रहा है. जबकि दूसरी कंपनियां आमतौर पर थर्ड पार्टी डीलर्स का इस्तेमाल करती हैं.
यूनिट इकोनॉमिक्स के विश्लेषण से पता चलता है कि EV में मार्जिन जनरेट करना आसान नहीं है.
अनुमान है कि TVS को जल्द ही PLI सब्सिडीज मिलने लगेगी, इससे उनकी मार्जिन स्थिति बेहतर होगी. फिलहाल कंपनी को एक यूनिट पर 7.5% EBITDA घाटा होता है.
बजाज को चेतक में TVS की तुलना में ज्यादा घाटा होता है. इसकी वजह आउटसोर्स्ड कंपोनेंट्स पर कंपनी की निर्भरता और कमजोर परफॉर्मेंस स्पेसिफिकेशंस हैं.
एथर एनर्जी की यूनिट इकोनॉमिक्स सबसे कमजोर है, इसकी ओवरहेड कॉस्ट ज्यादा है, ऊपर से इनकी वॉल्यूम भी कम है. ये PLI सब्सिडीज के लिए भी एलिजिबल नहीं है.
इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा कुछ फैक्टर्स पर निर्भर करता है
सब्सिडी की उपलब्धता: PLI और FAME सब्सिडीज बड़े पैमाने पर कॉस्ट स्ट्रक्चर्स और मार्जिन को प्रभावित करती हैं.
स्केल और लोकलाइजेशन: जो कंपनीज इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग और हायर लोकलाइजेशन पर फोकस करती हैं, वे मार्जिन के मामले में अच्छा परफॉर्म करती हैं.
प्रोडक्ट प्राइसिंग: प्रोडक्ट्स की प्राइसिंग मुनाफे को प्रभावित कर सकती है. प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर तुलनात्मक तौर पर अच्छा मार्जिन होता है.
ओला इलेक्ट्रिक: अपने प्रीमियम मॉडल्स के तहत पॉजीटिव ऑपरेटिंग EBITDA हासिल कर रही है कंपनी. जबकि बड़े पैमाने पर बिकने वाले मॉडल्स पर कंपनी को घाटा हो रहा है.
TVS: ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन 7% है, लेकिन Ebitda लेवल पर नुकसान हो रहा है. PLI बेनिफिट्स आने से मुनाफा बढ़ सकता है.
बजाज: 10.5% का EBITDA घाटा, लेकिन मजबूत ICE मार्जिन इस नुकसान को सह सकता है.
एथर एनर्जी: यूनिट की ज्यादा लागत और अंडरयूटिलाइज्ड कैपेसिटी से कंपनी जूझ रही है. इसके चलते पॉजीटिव ग्रॉस मार्जिन (सब्सिडी के साथ) रहने के बावजूद बड़े पैमाने पर घाटा हो रहा है
कुल मिलाकर बर्नस्टीन का कहना है कि भारतीय इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर मार्केट जो एनुअल रेवेन्यू में 1.3 बिलियन डॉलर जनरेट कर रहा है, उसे कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके चलते इसे बिना इंसेंटिव के 300-400 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है.
इसके चलते सेक्टर को सपोर्ट की जरूरत होगी, साथ ही ICE सेक्टर को चुनौती देने के लिए इनोवेटिव स्ट्रैटेजी बनानी होंगी.