लोग देश में अब गाड़ियां कम खरीद रहे हैं, FADA (Federation of Automobile Dealers Associations of India) के आंकड़े तो कम से कम यही बता रहे हैं. FADA ने अप्रैल महीने के आंकड़े जारी किए हैं, जो ये बता रहे हैं कि मार्च से जो सुस्ती शुरू हुई, वो अगले महीने भी जारी रही. जबकि इसके पहले फरवरी में 13% की जबरदस्त सेल्स ग्रोथ देखने को मिली थी.
पहले हम जरा आंकड़ों पर नजर डालते हैं, फिर समझेंगे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ
FADA के मुताबिक सालाना आधार पर अप्रैल 2025 में गाड़ियों की रिटेल बिक्री महज 3% बढ़ी है, मार्च में भी ये इसी के आस-पास 3.14% पर रही थी. अप्रैल में 2-व्हीलर्स की बिक्री सालाना आधार पर 2.25% बढ़कर 16,86,774 यूनिट रही, जबकि मंथली ये ग्रोथ 11.84% रही. सालाना आधार पर 3-व्हीलर्स की बिक्री 24.51% बढ़कर 99,766 यूनिट रही, जबकि मंथली ग्रोथ बेहद मामूली 0.39% रही. मंथली आधार पर पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में 0.19% की मामूली सी गिरावट आई है, लेकिन सालाना आधार पर ये 1.55% बढ़कर 3,49,939 यूनिट रही. जबकि कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री सालाना आधार पर 1.05% गिरकर 90,558 यूनिट रही, मंथली आधार पर इसमें 4.44% की गिरावट है.
अप्रैल 2025 में गाड़ियों की कुल रिटेल बिक्री 3% YoY बढ़ी
2-व्हीलर्स की बिक्री 2.25% बढ़कर 16,86,774 यूनिट
3-व्हीलर्स की बिक्री 24.51% बढ़कर 99,766 यूनिट
पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री 1.55% बढ़कर 3,49,939 यूनिट
कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री 1.05% गिरकर 90,558 यूनिट
अप्रैल में कुल गाड़ियों की कुल रिटेल बिक्री सालाना आधार पर 2.95% बढ़कर 22,87,952 यूनिट रही, जबकि मंथली सेल्स ग्रोथ 7.57% रही है. अप्रैल के महीने में पैसेंजर व्हीकल्स के नए मॉडल्स बाजार में बहुत कम लॉन्च हुए, बावजूद इसकी बिक्री 1.55% बढ़ने को ठीक-ठीक माना जा सकता है. ये डिस्काउंट बेस्ड मार्केट और ऊंची इनवेंट्री की ओर इशारा करता है, जो कि करीब 50 दिनों की है. जबकि बाजार की प्रतिक्रिया और लागत बढ़ाने के लिए डीलरशिप पर 21-दिनों की इनवेंट्री की बात करता है.
जहां तक कमर्शियल गाड़ियों की बात है, अप्रैल में इसकी बिक्री गिरी, क्योंकि OEM ने गाड़ियों के दाम बढ़ाए थे, जबकि माल ढुलाई की दरें और फ्लीट इस्तेमाल बिल्कुल स्थिर रहे. डीलर्स का कहना है कि मार्च में एडवांस खरीदारी के कारण स्टॉक बढ़ गया. छुट्टियों के कारण नई पूछताछ कम हुई और खरीदारियां टल गई, खासकर SCV कार्गो कैटेगरी में, जहां कीमत और प्रोडक्ट के अंतर ने असर डाला. दूसरी ओर, बस सेगमेंट मजबूत रहा, क्योंकि स्कूल-ट्रांसपोर्टेशन और कर्मचारी-मोबिलिटी की मांग अच्छी थी.
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