अगर आपके पास कोई पुरानी कार है, लेकिन अब नई कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो सरकार आपके लिए नई कार के टैक्स पर बंपर छूट देने जा रही है. ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने BS-II और इससे पुरानी एमिशन स्टैंडर्ड वाली कारों को स्क्रैप में बेचकर नई गाड़ी लेने पर टैक्स छूट को दोगुना करके 50% कर दिया है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 24 जनवरी को जारी एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में कहा कि 50% तक की छूट कमर्शियल और प्राइवेट दोनों के लिए लागू होगी, जो BS-I कंप्लायंस वाले हैं या BS मानदंडों से पहले बनाए गए थे या पेश किए गए थे. इसमें 4-व्हीलर्स से लेकर 2-व्हीलर्स सभी शामिल हैं. ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के मुताबिक ये छूट उन BS-II वाहनों पर लागू होगी जो मीडियम और हैवी प्राइवेट और ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स के तहत आते हैं.
पहले, अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रैप में बेचने और फिर नई गाड़ी खरीदने पर मोटर व्हीकल टैक्स पर 25% की छूट मिलती थी. कमर्शियल व्हीकल पर ये छूट 15% है. अब ये दोनों ही टैक्स छूट दोगुना हो जाएंगी.
इतना ही नहीं, पिछले साल अगस्त में SIAM के अधिकारियों ओर ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी की एक बैठक हुई थी, जिसमें ऑटो मैन्युफैक्चरर्स ने ये कहा था कि वो स्क्रैप होने वाली कारों के बाद नई कार खरीदने पर 25,000 रुपये तक की छूट देंगे. यानी गाड़ी खरीदने वालों को कार की कीमत पर डिस्काउंट मिलेगा साथ ही टैक्स पर भी 50% का डिस्काउंट मिलेगा.
आपको बता दें कि ये स्क्रैपेज पॉलिसी अभी सिर्फ दिल्ली-NCR में ही अनिवार्य है. बाकी राज्यों ने भी इसके लिए एडवायजरी जारी की है. जिसमें पेट्रोल वाली 15 साल से पुरानी गाड़ी और डीजल की 10 साल से पुरानी गाड़ी को हर साल या हर 5 साल में फिटनेस टेस्ट से गुजरना होता है. मौजूदा समय में देश में 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 60 से अधिक RVSFs और 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 75 से अधिक ATSs काम कर रहे हैं और कई अभी आने वाले हैं.
इस पॉलिसी के जरिए सरकार का उद्देश्य सड़कों से पुरानी गाड़ियों को हटाकर वायु प्रदूषण और सड़कों पर वाहनों का दबाव कम करना है. भारत में करीब 51 लाख हल्के मोटर वाहन है जो 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 34 लाख हल्के मोटर वाहन जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं. वैध फिटनेस प्रमाण-पत्र के बिना लगभग 17 लाख मध्यम और भारी कॉमर्शियल वाहन है जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं. पुराने वाहन फिट वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना अधिक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और सड़क सुरक्षा के लिए एक भारी भी जोखिम बनते हैं.
इसके अलावा, देश की ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 8 लाख करोड़ का क्रूड तेल आयात होता है जिससे न केवल देश की आर्थिक स्थिति पर दबाव पड़ता है, बल्कि पुराने वाहनों की पुरानी एमिशन तकनीक की वजह से प्रदूषण भी होता है.
आपको बता दें कि गाड़ियों के लिए BS-I कार्बन एमिशन नियम साल 2000 में लाए गए थे, जबकि BS-II को 2002 में लागू किया गया था. परिवहन मंत्रालय ने रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटीज (RVSFs) और ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशंस (ATSs) नेटवर्क के जरिए देश भर में अनफिट प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने के लिए वॉलियंटरी व्हीकल मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम या व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी की शुरुआत की है.