ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Ola Electric) ने करीब दो महीने पहले सर्विस से जुड़ी मुश्किलों के सामने आने के बाद से हर हफ्ते करीब 100 कर्मचारियों की छंटनी (Layoffs) की है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि कंपनी ने ऐसा मुनाफे (Profit) को बढ़ाने के लिए किया है. भारी डिस्काउंट के बाद कंपनी के स्कूटरों को कम खरीदार मिल रहे हैं.
मामले की जानकारी रखने वाले तीन में से एक व्यक्ति ने अनजान रहने की शर्त पर NDTV Profit को बताया कि ओला इलेक्ट्रिक में हर शुक्रवार लोगों को निकाला जा रहा है. पिछले शुक्रवार को हेडक्वार्टर्स में 100 लैप्टॉप्स को वापस डिपॉजिट किया गया था.
दूसरे व्यक्ति ने NDTV Profit को बताया कि पिछले एक महीने से हर हफ्ते कम से कम 100 लोगों को निकाला जा रहा है. उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या 9 अगस्त को कंपनी की लिस्टिंग के बाद ही छंटनी शुरू हुई. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कंपनी ने मीडिया में सर्विस से जुड़ी परेशानियों के सामने आने के बाद ये कदम उठाया है.
एंप्लॉयज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन के साथ की गई कंपनी की फाइलिंग्स के आधार पर Tracxn डेटा के मुताबिक ओला इलेक्ट्रिक के कर्मचारियों की संख्या अक्टूबर में घटकर 3,754 पर पहुंच गई है. कंपनी के ड्राफ्ट रेड हीरिंग प्रोस्पेक्टस के मुताबिक 31 मार्च तक कंपनी में 4,011 कर्मचारी रहे.
प्रोडक्ट और सर्विस टीमों के अलावा सप्लाई चेन पर सबसे ज्यादा असर हुआ है. जिन लोगों पर असर पड़ा है, उनमें वो लोग शामिल हैं जो तमिलनाडु में ओला इलेक्ट्रिक की फ्यूचर फैक्ट्री में काम करने के लिए अपने घर छोड़कर आए थे.
एक व्यक्ति ने बताया कि अगर आपके रेज्यूम में ओला इलेक्ट्रिक है तो भविष्य में एंप्लॉयर्स सावधान रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनके पास घर वापस जाकर नौकरी खोजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
गुरुवार को NDTV Profit ने ओला इलेक्ट्रिक को एक ईमेल भेजा था. लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला. व्हाट्सऐप टेक्स्ट के जवाब में एक प्रवक्ता ने कहा कि हम इस पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे.
मामले की जानकारी रखने वाले तीसरे व्यक्ति के मुताबिक ओला इलेक्ट्रिक में छंटनी फाउंडर भाविश अग्रवाल की प्राथमिकता का नतीजा है. इससे पहले ये वैल्युएशन थी. अब ये मुनाफा हो गया है. अग्रवाल लंबी अवधि का एक कारोबार बनाना चाहते हैं.
ये कहना असल में करने से आसान है. 30 सितंबर को खत्म हुए तीन महीनों में ओला इलेक्ट्रिक का रेवेन्यू पिछली तिमाही से 26% गिरकर 1,214 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.