निसान मोटर कंपनी को संकट से निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. निसान मोटर कंपनी (Nissan Motor Co.) और होंडा मोटर कंपनी (Honda) ने मर्जर के लिए मोमेरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर साइन किया है. इस मर्जर का उद्देश्य निसान को मौजूदा संकट से निकालना और सेल्स के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी बनाना है. दोनों जापानी कंपनियां जॉइंट होल्डिंग कंपनी बनाने के लिए बिनजेस के इंटिग्रेशन पर भी विचार कर रही हैं.
निसान और होंडा की योजना शेयर ट्रांसफर के जरिए जॉइंट होल्डिंग कंपनी बनाने की है. वो दोनों कंपनी की पैरेंट कंपनी होगी. नई कंपनी अगस्त 2026 में टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज के प्राइम मार्केट पर लिस्ट होगी.
आधिकारिक बयान के मुताबिक कंपनियां एक इंटिग्रेशन प्रिप्रेटरी कमिटी बनाएगी. इसका मकसद आसान ट्रांजिशन और चर्चा करना होगा.
कमिटी की चर्चा और चर्चा के नतीजों के आधार पर कंपनियां निरक्षण करेंगी. आपसी सहयोग से दोनों कंपनियां मिलकर विश्व स्तरीय मोबिलिटी कंपनी बनने का लक्ष्य रख सकती हैं. उनका सेल्स रेवेन्यू 30 ट्रिलियन येन और ऑपरेटिंग प्रॉफिट 3 ट्रिलियन येन को पार कर सकता है.
निसान और होंडा ने 15 मार्च को डील पर साइन किए. ये डील व्हीकल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिफिकेशन के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी से जुड़ी है. उस समय के बाद से दोनों कंपनियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की.
1 अगस्त को दोनों कंपनियों ने रणनीतिक साझेदारी के फ्रेमवर्क को बढ़ाने के लिए अन्य MoU पर साइन किया. कंपनियों ने ये भी ऐलान किया कि उन्होंने नेक्स्ट जनरेशन सॉफ्टवेयर डिफाइन्ड व्हीकल्स या SDVs के लिए प्लेटफॉर्म्स में इस्तेमाल होने वाली तकनीक में जॉइंट रिसर्च करने पर सहमति जताई है.
ये इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिफिकेशन के क्षेत्रों के लिए खासतौर पर अहम है. प्रक्रिया में निसान और होंडा ने अलग-अलग संभावनाओं और विकल्पों पर चर्चा की है. उसी समय दोनों कंपनियों के लिए कारोबार का माहौल और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री कारोबार का माहौल तेजी से बदला है और तकनीकी इनोवेशन में भी तेजी जारी है.