टोयोटा (Toyota Motors India) ने दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार लॉन्च की है, जो पूरी तरह से एथेनॉल पर चल सकती है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इस कार के प्रोटोटाइप को लॉन्च किया.
ये कार लेटेस्ट इमिशन स्टैंडर्ड BS-6 के अनुकूल है. पेट्रोल डीजल की तुलना में एथेनॉल से चलने वाली कार 20% कम हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करेगी. इससे बेहद कम प्रदूषण होगा.
लॉन्च के मौके पर नितिन गडकरी ने कहा, 'इन प्रयासों से पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. एक दिन ऐसा आएगा, जब पेट्रोल-डीजल का इंपोर्ट 'जीरो' होगा. किसानों के तैयार फ्यूल पर गाड़ियां चलेंगी.' उन्होंने कहा, 'अन्नदाता ही ऊर्जादाता बनेंगे.'
केंद्रीय मंत्री ने जून में नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में इस कार के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था, 'एक ऐसी कार लाने जा रहे हैं, जो 100% एथेनॉल से चलेगी और इस पर महज 15 रुपये लीटर का खर्च आएगा.' उन्होंने इसका हिसाब-किताब भी समझाया था. आज उन्होंने टोयोटा की इस हाइब्रिड कार को लॉन्च किया.
टोयोटा इनोवा हाइब्रिड कार (Toyota Innova HyCross flex-fuel MPV) पूरी तरह से एथेनॉल पर चलेगी. इसे E100 ग्रेड दिया गया है, जो दर्शाता है कि कार पूरी तरह से वैकल्पिक ईंधन पर चलती है.
इस MPV में सेल्फ-चार्जिंग लीथियम-आयन बैटरी पैक भी होगा, जो कार को EV यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल मोड पर चलाने में मदद करने के लिए पर्याप्त पावर जेनरेट करेगा.
इनोवा हाईक्रॉस का फ्लेक्स-फ्यूल एडिशन घरेलू बाजार में मौजूद MPV के हाइब्रिड वर्जन से थोड़ा अलग है. इंजन को E100 ग्रेड एथेनॉल पर चलने के लिए तैयार किया गया है.
इस हाईक्रॉस हाइब्रिड कार में 2.0 लीटर 4-सिलेंडर पेट्रोल इंजन मिलता है. ये इंजन 181 HP का पावर जेनरेट करता है.
बताया जा रहा है कि इसके इंजन को E-CVT ट्रांसमिशन से जोड़ा गया है. इसमें 23.24 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज मिल सकता है.
केंद्रीय मंत्री ने नागपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बताया था कि शत-प्रतिशत एथेनॉल से चलने वाली ये कार 40% बिजली भी पैदा करेगी. ऐसे में आप औसत हिसाब किताब निकालेंगे तो ये पेट्रोल की तुलना में 15 रुपये प्रति लीटर ही पड़ेगा.
उन्होंने समझाया था, 'एथेनॉल की दर 60 रुपये है, जबकि पेट्रोल 120 रुपये प्रति लीटर है. साथ ही ये 40% बिजली भी पैदा करेगी और इस बिजली से भी गाड़ी चलेगी तो एथेनॉल की औसत दर 15 रुपये प्रति लीटर ही पड़ेगी.'
फिलहाल, कंपनी ने इस बारे में नहीं बताया है कि इलेक्ट्रिफाइड इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल का प्रॉडक्शन वर्जन कब लॉन्च होगा और कब से बाजार में नजर आएगा.
केंद्र सरकार ने पिछले 20% एथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल को बाजार में उतारा और फॉसिल फ्यूल या ऑप्शनल क्लीन एनर्जी के लिए अपने प्रयास को गति दी.
फ्लेक्स ईंधन या अन्य वैकल्पिक ईंधन की शुरुआत कच्चे तेल के महंगे आयात को कम करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस कार्यक्रम में कहा, 'एक दिन ऐसा आएगा कि पेट्रोल का इंपोर्ट खत्म हो जाएगा और किसानों के तैयार फ्यूल पर गाड़ियां चलेंगी.'
फ्लेक्स फ्यूल काे प्रचलन में लाने का मकसद प्रदूषण कम करना और देश के कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करना है.
एथेनॉल उत्पादन के लिए देश में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने वाली है. देश में गन्ना या शीरा के अलावा अन्य खेती के उत्पादों की कमी नहीं है.
केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि एथेनॉल आधारित वाहनों के चलन में आने से चीनी मिलों को बड़ा सहारा मिलेगा और इससे रोजगार भी बढ़ेगा.
ऐसा होने से देश के चीनी मिलों को सहारा मिलेगा. वे घाटे से उबर पाएंगी. चीनी मिलें मुनाफे में आएंगी तो बिजनेस स्वत: आगे बढ़ेगा.
एथेनॉल की अधिक मांग से ये तय है कि गांवों और कस्बों में अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे. ऐसा होने पर ग्रामीण इलाकों से पलायन रुकेगा क्योंकि उन्हें उनके घर के पास ही रोजगार मिलना संभव हो पाएगा.